होलिका दहन मुहूर्त: यथासमय देवत्व


होलिका दहन के दिन अच्‍छाई पृथ्वी पर प्रचलित और बुराई एक बार फिर सत्यानाश हो जाता है। होलिका दहन मुहूर्त आपको होलिका दहन प्रदर्शन करने के लिए सही समय बताती है। साथ ही आपको भाग्योन्नति का अवसर भी देती है।




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होलिका-दहन मुहूर्त


होलिका दहन हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहार होली पर्व से एक दिन पूर्व किया जाता है। होलिका दहन का तात्पर्य है बुरे कर्मो का नाश और सत्कर्म की विजय। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन बुराई का प्रतीक राक्षस राज हिरणकश्यपु की बहन होलिका अग्नि की ज्वाला में भस्म हो गई थी और अच्छाई के प्रतीक भक्त प्रहलाद सही सलामत उसी अग्नि की ज्वाला में बच गए थे। इसी विजय की खुशी में प्राचीनकाल से हिन्दू धर्मानुयायियों द्वारा प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भ्रद्रारहित काल में होलिका दहन किया जाता है।
होली पूजन के पश्चात ही होलिका दहन किया जाता है। यह दहन सदैव उस समय किया जाता है जब भद्रा न हो। ऐसी मान्यता है कि भद्रा लग्न में होलिका दहन करने से अशुभ परिणाम आते हैं, देश में विद्रोह, अराजकता आदि का माहौल पैदा होता है। होलिका दहन के समय गेहूँ या अन्य अनाज की बाल को इसमें सेंकना चाहि‌ए। ऐसा माना जाता है कि होलिका दहन के समय बाली सेंककर घर में फैलाने से धन-धान्य में वृद्धि होती है। 

होली का त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस सालर 16 मार्च 2014 (रविवार) को होलिका दहन और 17 मार्च 2014 (सोमवार) को रंगों वाली होली है।  धार्मिक एवं सामाजिक एकता के पर्व होली के होलिका दहन के लिए हर चौराहे व गली-मोहल्ले में होलिका लगाई जाती है। कंडों व लकड़ियों से बड़ी-बड़ी होली सजाई जाती हैं। लकड़ी और कंडों की होली के साथ घास लगाकर होलिका खड़ी की जाती है। होली जलाने से पूर्व होलिका पूजन की परम्परा है। होलिका पूजन करने के पश्चात ही व्रती भोजन करते हैं।

हिंदू धर्म में अनगिनत मान्यताएं, परंपराएं एवं रीतियां हैं। वैसे तो समय परिवर्तन के साथ-साथ लोगों के विचार व धारणाएं बदलीं, उनके सोचने-समझने का तरीका बदला, परंतु संस्कृति का आधार अपनी जगह आज भी कायम है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी पर्व-त्योहारों को मुहूर्त शुद्धि के अनुसार मनाना शुभ एवं कल्याणकारी है। भद्रा के मुख का त्याग करके निशा मुख में होली का पूजन करना शुभफलदायक सिद्ध होता है। शास्त्रों में भद्रा रहित समय में, प्रदोष काल में होलिका पूजन करने का विधान है। परन्तु आजकल प्रदोष से पूर्व ही मध्याह्न या अपराह्न में ही होलिका पूजन करने की परम्परा है।

इस साल 16 मार्च 2014 को भद्रा प्रात: 10:02 बजे तक है, अत: उसके बाद का समय होलिका का पूजन के लिए शुभ रहेगा। देश के प्रमुख शहरों के लिए होलिका पूजन का समय, लाभ, अमृत व शुभ चौघड़िया तालिका में दी गई हैं।



स्थान
होलिका पूजन मुहूर्त




मध्याह्न में पूजन
अपराह्न में पूजन



से
तक
से
तक
दिल्ली
10:02
12:30
13:59
15:28
मुंम्बई
10:02
12:48
14:17
15:46
कोलकाता
10:02
11:45
13:15
14:44
चेन्नई
10:02
12:18
13:47
15:17
चण्डीगढ़
10:02
12:32
14:01
15:30
शिमला
10:02
12:41
14:10
15:39
जम्मू
10:02
12:39
14:08
15:37
लखनऊ
10:02
12:15
13:44
15:13
गांधीनगर
10:02
12:18
13:47
15:17
जयपुर
10:02
12:36
14:05
15:34
रायपुर
10:02
12:12
13:42
15:11
देहरादून
10:02
12:27
13:56
15:25
भोपाल
10:02
12:29
13:58
15:28
भुवनेश्वर
10:02
11:56
13:25
14:54
पटना
10:02
11:58
13:27
14:56
रांची
10:02
11:58
13:27
14:56
तिरुअंतपुरम
10:02
12:20
13:50
15:19
हैदराबाद
10:02
12:25
13:54
15:24
बेंगलूरू
10:02
12:28
13:58
15:28


उपरोक्त सारणी के माध्यम से आप अपने शहर का होली पूजन मुहूर्त जान पाएंगे। यदि इस सारणी में आपके शहर या गांव का नाम नहीं है तो सारणी में दिया गया जो शहर आपके यहां से सबसे ज्यादा नजदीक हो उस समय में आप भी होली पूजन कर सकते हैं। आपके शहर में होली कब जलाई जानी चाहिए।  इसके लिए हमारा अन्य लेख “होलिका-दहन मुहूर्त” जरूर पढ़ें।

पं हनुमान मिश्रा

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