आज यानी की जून १५, २०१४ को है ‘फ़ादर्स डे’। एक व्यक्ति के जीवन में पिता की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। पिता उस छायादार वृक्ष के सामान है जो अजीवन हमें अपनी छत्र छाया में रखता है। जानिये पं. हनुमान मिश्रा से ज्योतिष के अनुसार पिता का महत्व।
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माँ का रिश्ता दुनिया का अनोखा रिश्ता है। इकलौती माँ ही तो है जो न केवल अपने दूध से हमें सींच सींच कर बड़ा करती है बल्कि उससे पहले नौ महीने तक अपने कोख में हमें रखकर अपनी जीवन शक्ति से भी हमें सींचती है।
जैसा कि माँ का स्थान दुनिया सबसे महत्वपूर्ण स्थान है, वैसे ही पिता का स्थान भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। वास्तव में एक बच्चे के जीवन में पिता का बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण स्थान होता है। पिता के रहते व्यक्ति को जिम्मेदारियों से मुक्ति मिली रहती है, फलस्वरूप व्यक्ति को पनपने का भरपूर मौका मिलता है। पिता के होते व्यक्ति सारी दुनिया की फिक्र छोड़कर पिता की गोद में सिर रखकर आराम से सो सकता है।
आमतौर पर होता ये है कि जब हम छोटे होते हैं तो पिता जी की अनुशासनप्रियता व सख्ती के कारण हम उन्हें क्रूर या कठोर समझने लगते हैं, वहीं पिता की डाँट से बचाने वाली माँ के व्यवहार को हम उचित और पिता के व्यवहार को अनुचित समझने लगते हैं। लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है और हम जीवन की कठिन डगर पर चलते हैं तब पता चलता है कि पिता की वो डाँट और सख्ती हमारे भले के लिए ही थी। तब हमें मालूम पड़ता है कि पिता हमारे लिए कितने खास हैं। वास्तविकता यही है कि पिता की हर एक सिखावन हमें अपनी मंजिल की ओर बढ़ने में मदद करती है। हालांकि समय बदल रहा है और पिता की वो सख्ती मित्रता का रूप ले रही है। पिता के व्यवहार में आ रहे इस परिवर्तन का दूरगामी परिणाम क्या होगा यह एक अलग विषय है। फिलहाल "फादर्स डे" पर हम जन सामान्य को ये बताना चाह रहे हैं कि ज्योतिष, पिता की महत्ता को किस प्रकास सिद्ध करता है।
ज्योतिष में सूर्य को पिता का कारक ग्रह माना जाता है। इस तरह यह कहना काफी हद तक उचित रहेगा कि ज्योतिष में सूर्य ग्रह की सेवा व पूजा से जो फल मिलते हैं वही पिता की सेवा से मिलते हैं। सूर्य आत्मा, स्वभाव, आरोग्यता का कारक माना गया है। यानि यदि किसी व्यक्ति ने दिल से पिता की सेवा की है तो उसकी आत्मा पवित्र होगी। उसके स्वभाव से लोग प्रभावित होंगे और वह निरोगी रहेगा। सूर्य को ग्रहों का राजा माना गया है। यानी राजसत्ता से जोड़ने में सूर्य ग्रह अग्रणी है। सूर्य से प्रभावी रिश्ते यानी पिता की सेवा व उन्हें प्रसन्न रखने से जातक का संबंध राजसत्ता या सरकारी कामों से होना स्वाभाविक है। सूर्य आत्मबल तथा आत्मविश्वास का भी कारक है। आपने अनुभव किया होगा कि जब बचपन में किसी सहपाठी ने आपको रास्ते में परेशान किया हो, आप डरे हों और अचानक आपको आपके पिता दिख गए हों तो आपका आत्मबल एकदम से बढ़ गया होगा।
कुण्डली में पिता का विचार नवम भाव से किया जाता है। वहीं से हम भाग्य और धर्म का विचार करते हैं यानी पिता ही है जो हमें धर्म अधर्म की सटीक जानकारी देता है। पिता ही हमारा प्रारम्भिक गुरु होता है। जिन पर पिता की छत्र छाया होती है उनका भाग्योदय जल्दी होता है यानी सफलता अपेक्षाकृत जल्दी मिलती है। दूर जाकर ज्ञानार्जन करना हो या आजीविका पानी हो। इस मामलें में नवम भाव यानी पिता का भाव ही मददगार होता है और दूर जाने के लिए आत्मबल पिता के द्वारा ही बढ़ाया जाता है। कुण्डली में सूर्य अनुकूल और मज़बूत हो तो जीवन में खूब मान प्रतिष्ठा मिलती है। इसी तरह जातक के जीवन में मान सम्मान का सम्बंध उसके पिता के कर्मों से होता है। या तो जातक को उसके पिता के नाम से जाना जाता है या फिर जातक के कर्मों से उसके पिता को जाना जाता है। यानी मान प्रतिष्ठा के मामलें में भी पिता की अहं भूमिका होती है। अर्थात ज्योतिष भी इस बात को मानता है कि जीवन में मान प्रतिष्ठा व उन्नति के लिए पिता का आशीर्वाद बहुत ज़रूरी होता है।
अत: हम सभी को चाहिए कि सिर्फ एक दिन 'फ़ादर्स डे' मना कर इतिश्री न करें बल्कि प्रतिदिन उन्हें नमन कर अपना जीवन सार्थक बनाएं, क्योंकि माता और पिता दोनों की सहायता से ही जीवन की नैय्या चलती है अकेले से नहीं। माता-पिता ही दुनिया की सबसे गहरी छाया हैं, इनके सहारे जीवन जीने का सौभाग्य जिसे मिला है वही वास्तव में सौभाग्यशाली है। आप सभी को पितृ दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं!!
पं. हनुमान मिश्रा
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