आएँ, सीखें ज्योतिष सिर्फ़ २ मिनट में ज्योतिषी पुनीत पाण्डे के साथ। हमारी 2 मिनट ज्योतिष कोर्स की शृंखला द्वारा आप आसानी से ज्योतिष के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं। आज हम जिस विषय की चर्चा करने जा रहे हैं वो है ‘गोचरफल के ७ रहस्य’।
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दशा के अलावा घटना का समय पता लगाने की एक और पद्धति है ‘गोचर’। गोचर को अंग्रेज़ी में ट्रांज़िट कहते हैं। वर्तमान समय के ग्रहों की स्थिति का जन्म कुण्डली पर असर देखेने को गोचर कहते हैं। जैसे मान लिजिए की आपका लग्न सिंह और राशि कन्या है। आजकल शनि तुला राशि में चल रहा है तो ज्योतिष की भाषा में यह कहा जाएगा कि शनि सिंह लग्न से तीसरे में और कन्या राशि से दूसरे में गोचर कर रहा है, क्योंकि तुला सिंह से तीसरी और कन्या से दूसरी राशि है।
गोचर देखने की अनेक पद्धतियाँ हैं। आज गोचर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताता हूँ, ध्यान से सुनें।
इन महत्वपूर्ण नियमों का अभ्यास करें। अगले एपीसोड तक, नमस्कार।
पुनीत पाण्डे
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दशा के अलावा घटना का समय पता लगाने की एक और पद्धति है ‘गोचर’। गोचर को अंग्रेज़ी में ट्रांज़िट कहते हैं। वर्तमान समय के ग्रहों की स्थिति का जन्म कुण्डली पर असर देखेने को गोचर कहते हैं। जैसे मान लिजिए की आपका लग्न सिंह और राशि कन्या है। आजकल शनि तुला राशि में चल रहा है तो ज्योतिष की भाषा में यह कहा जाएगा कि शनि सिंह लग्न से तीसरे में और कन्या राशि से दूसरे में गोचर कर रहा है, क्योंकि तुला सिंह से तीसरी और कन्या से दूसरी राशि है।
गोचर देखने की अनेक पद्धतियाँ हैं। आज गोचर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताता हूँ, ध्यान से सुनें।
- जब हमें भाव का प्रभाव देखना है तो हमेशा लग्न से गोचर देखें। जैसे अगर आपकी सिंह लग्न और कन्या राशि हो और शनि तुला में हो तो तीसरे भाव का फल ज़्यादा मिलेगा, क्योंकि शनि लग्न से तीसरे भाव में है।
- अगर यह देखना है कि शुभ फल मिलेगा कि अशुभ तो चंद्र से देखें। सामान्य तौर पर पाप ग्रह और चंद्र खुद जन्म चंद्र से उपाच्य भावों में सबसे बढ़िया फल देते हैं। सभी ग्रहों की चंद्र से गोचर करने पर शुभ और अशुभ स्थिति ब्लैक बोर्ड पर देखें और नोट कर लें।
- सूर्य, मंगल, गुरु, और शनि का चंद्र से बारहवें भाव पर, आठवें भाव पर और पहले भाव पर गोचर विशेषकर अशुभ होता है। चंद्र से बारहवें, पहले, और दूसरे भाव में शनि के गोचर को साढ़े साती कहा जाता है।
- ग्रह न सिर्फ उन भावों का फल देते हैं जहाँ वे लग्न से बैठे होते हैं बल्कि उन भावों का भी फल देते हैं जिन जिन भावों को वे देखते हैं।
- अगर कोई ग्रह उस राशि में गोचर करे जिसमें वह जन्म कुण्डली में हो तो अपने फल को बढ़ा देता है।
- दशा गोचर से ज़्यादा महत्वपूर्ण होती है। अगर किसी फल के बारे में दशा न बताए तो सिर्फ गोचर से फल नहीं मिल सकता। इसलिए बिना दशा देखे सिर्फ गोचर देखकर कभी भविष्यवाणि नहीं करनी चाहिए।
- अगर दशा प्रारम्भ होने के समय गोचर बढ़िया न हो तो दशा से शुभ फल नहीं मिलता।
ग्रह | शुभ स्थान | वेध स्थान |
सूर्य | 3, 6, 10, 11 | 9, 12, 4, 5 |
चन्द्र | 1, 3, 6, 7, 10, 11 | 5, 9, 12, 2, 4, 8 |
मंगल | 3, 6, 11 | 12, 9, 5 |
बुध | 2, 4, 6, 8, 10, 11 | 5, 3, 9, 1, 8, 12 |
गुरु | 2, 5, 7, 9, 11 | 12, 4, 3, 10, 8 |
शुक्र | 1, 2, 3, 4, 5, 8, 9, 11, 12 | 8, 7, 1, 10, 9, 5, 11, 6, 3 |
शनि | 3, 6, 11 | 12, 9, 5 |
इन महत्वपूर्ण नियमों का अभ्यास करें। अगले एपीसोड तक, नमस्कार।
पुनीत पाण्डे
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पुनीत जी आपने ३ नंबर नोट मैं लिखा है सूर्य, मंगल, गुरु, और शनि का चंद्र से बारहवें भाव पर, आठवें भाव पर और पहले भाव पर गोचर विशेषकर अशुभ होता है। लेकिन ब्लैक बोर्ड मैं सूर्य 9, 12, 4, 5 मंगल 12, 9, 5 गुरु 12, 4, 3, 10, 8 शनि 12, 9, 5 का गोचर अशुभ बताया है लेकिन गुरु को छोड़कर बाकि मैं 8 वा एवं चारो मैं पहले भाव का उल्लेख नहीं हैं कृपया समझने की कृपा करें और जन्म कुंडली मैं भी चन्द्र से और लगन से सुबह अशुभ का टेबल देने की कृपा करें धन्यवाद
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