ऍस्ट्रोसेज प्रस्तुत करता है ज्योतिषी 'पंडित दीपक दूबे' का इंटरव्यू। आइये जानते हैं कैसे ज्योतिष विद्या में इनकी दिलचस्पी बढ़ी तथा किस तरह इनका यह ज्ञान लोगों की सहायता का माध्यम बना।
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1) ज्योतिष में दिलचस्पी कैसे पैदा हुई? पेशे के तौर पर इस क्षेत्र में आना कैसे हुआ?
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में मैं मनोविज्ञान का छात्र रहा, व्यावसायिक जगत में आधुनिक सूचना तकनिकी में विशेषज्ञता हासिल की और काफी समय तक कार्य किया साथ ही मीडिया जगत में कई समाचार पत्रों का संपादन भी किया। कहने का तात्पर्य है कि मानव सम्बन्धी समस्याओं और उनके उत्थान - पतन को लगातार नजदीक से देखने का मौका मिला, लगता था कि कुछ कर नहीं पा रहा हूँ उनके लिए। पिछले जो भी कार्य थे उनमे शोध और नयी चीजों की जानकारी लेने की आदत तो थी ही जिसने मेरे ज्योतिष क्षेत्र में आने पर बहुत सहयोग किया। साथ ही मेरे पिता जी जो मेरे ज्योतिष क्षेत्र में गुरु भी हैं उनसे भी प्रेरणा मिली कि क्यों ना मानव सेवा के लिए भारत की सबसे प्राचीन और विश्वसनीय पद्धति का प्रयोग किया जाये और लोगों की राह आसान बनायी जाये।
2) आप कौन-सी ज्योतिषीय पद्धति का उपयोग करते हैं और क्यों?
मैं वैदिक पद्धति का प्रयोग करता हूँ और उसमे भी भृगु पद्धति का, कारण भी सामान्य है क्योंकि प्राचीन काल में ज्योतिष का प्रारम्भ ही भृगु ऋषि के द्वारा किया गया। ऐसा हम उत्तर भारतीय मानते हैं और कथाओं में भी प्रचलित है।
3) आपके जीवन में ज्योतिष से जुड़ी कोई घटना या आपकी कोई ऐसी भविष्यवाणी जिसका ख़ासा असर रहा हो और जिसे आप यहाँ हमारे पाठकों से साझा करना चाहें?
ऐसे तो बहुत सी घटनाएँ होती रहती हैं परन्तु एक घटना का जिक्र मैं करना चाहूँगा जिसमे एक व्यक्ति को जिसे बहुत ही गंभीर लीवर की बीमारी थी और जिसे दिल्ली के एक नामी अस्पताल ने लेने से मना कर दिया था। मुझे भी उसके बचने में संदेह लग रहा था, फिर भी मैंने उन्हें महामृत्युंजय अनुष्ठान करें की सलाह दी और परिवार वालों ने भी पूरी लगन के साथ अनुष्ठान कराया। जिंदगी में पहली बार मैं आश्चर्य चकित हुआ कि अनुष्ठान होते होते ७ दिनों के बाद वह व्यक्ति उठ गया और अभी तक जिन्दा है। वाकई मन्त्रों में अद्भुत शक्ति होती है बशर्ते आप उसपर पूरी श्रध्दा रखे, दूसरी भविष्यवाणी अभी हाल में बनी अरविन्द केजरीवाल की सर्कार को लेकर रही, तो ऐसी बहुत सी घटनाएँ हैं।
4) उभरते हुए ज्योतिषियों या फिर जिन लोगों की इस विषय में रुचि है उनके लिए आपकी क्या सलाह है?
ज्योतिष का वास्तविक ज्ञान जिन्हें है उन्हें यह समझना चाहिए कि यह दो धारी तलवार है, ज्ञान के साथ साथ आध्यात्मिकता और संयम बहुत आवश्यक है। ज्ञान और प्रसिद्धि मिलते ही अहंकार आने लगता है, अतः उससे बच कर रहें तभी वास्तव में इस अद्भुत एवं ईश्वरीय ज्ञान को आप ठीक से प्राप्त कर सकते हैं और जीवन पर्यंत इस ज्ञान के प्रकाश से लोगों के जीवन को प्रकाशित कर सकते हैं।
5) आपके मुताबिक़ ऐसी कौन-सी ज्योतिषीय पुस्तकें हैं जिन्हें पढ़ना ही चाहिए?
कोई भी ज्योतिषी केवल एक ग्रन्थ को पढ़कर ज्ञान नहीं प्राप्त कर सकता। जो प्राचीन ऋषि मुनि थे और जिनके ग्रन्थ उपलब्ध हैं जैसे रावन संहिता, भृगु संहिता, पराशर होरा शास्त्र इत्यादि। अधिकांशतः पुराने ग्रन्थ अपने मूल रूप में उपलब्ध नहीं हैं, एक ही ग्रह और स्थान को लेकर विद्वानों में मतभेद है, अतः मेरा मानना है कि अधिक से अधिक ग्रंथों का अध्ययन करें और जो उपचार या फलादेश सर्वमान्य हों उसका प्रयोग करें और निरंतर अध्ययन शील रहें, मुहूर्त और मन्त्रों का प्रयोग पुराणों में भी मिलता है अतः इस क्षेत्र में किसी एक पुस्तक या ग्रन्थ तक सिमित रहना संभव नहीं है।
6) ऍस्ट्रोसेज.कॉम के पाठकों से आप क्या कहना चाहेंगे?
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1) ज्योतिष में दिलचस्पी कैसे पैदा हुई? पेशे के तौर पर इस क्षेत्र में आना कैसे हुआ?
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में मैं मनोविज्ञान का छात्र रहा, व्यावसायिक जगत में आधुनिक सूचना तकनिकी में विशेषज्ञता हासिल की और काफी समय तक कार्य किया साथ ही मीडिया जगत में कई समाचार पत्रों का संपादन भी किया। कहने का तात्पर्य है कि मानव सम्बन्धी समस्याओं और उनके उत्थान - पतन को लगातार नजदीक से देखने का मौका मिला, लगता था कि कुछ कर नहीं पा रहा हूँ उनके लिए। पिछले जो भी कार्य थे उनमे शोध और नयी चीजों की जानकारी लेने की आदत तो थी ही जिसने मेरे ज्योतिष क्षेत्र में आने पर बहुत सहयोग किया। साथ ही मेरे पिता जी जो मेरे ज्योतिष क्षेत्र में गुरु भी हैं उनसे भी प्रेरणा मिली कि क्यों ना मानव सेवा के लिए भारत की सबसे प्राचीन और विश्वसनीय पद्धति का प्रयोग किया जाये और लोगों की राह आसान बनायी जाये।
2) आप कौन-सी ज्योतिषीय पद्धति का उपयोग करते हैं और क्यों?
मैं वैदिक पद्धति का प्रयोग करता हूँ और उसमे भी भृगु पद्धति का, कारण भी सामान्य है क्योंकि प्राचीन काल में ज्योतिष का प्रारम्भ ही भृगु ऋषि के द्वारा किया गया। ऐसा हम उत्तर भारतीय मानते हैं और कथाओं में भी प्रचलित है।
3) आपके जीवन में ज्योतिष से जुड़ी कोई घटना या आपकी कोई ऐसी भविष्यवाणी जिसका ख़ासा असर रहा हो और जिसे आप यहाँ हमारे पाठकों से साझा करना चाहें?
ऐसे तो बहुत सी घटनाएँ होती रहती हैं परन्तु एक घटना का जिक्र मैं करना चाहूँगा जिसमे एक व्यक्ति को जिसे बहुत ही गंभीर लीवर की बीमारी थी और जिसे दिल्ली के एक नामी अस्पताल ने लेने से मना कर दिया था। मुझे भी उसके बचने में संदेह लग रहा था, फिर भी मैंने उन्हें महामृत्युंजय अनुष्ठान करें की सलाह दी और परिवार वालों ने भी पूरी लगन के साथ अनुष्ठान कराया। जिंदगी में पहली बार मैं आश्चर्य चकित हुआ कि अनुष्ठान होते होते ७ दिनों के बाद वह व्यक्ति उठ गया और अभी तक जिन्दा है। वाकई मन्त्रों में अद्भुत शक्ति होती है बशर्ते आप उसपर पूरी श्रध्दा रखे, दूसरी भविष्यवाणी अभी हाल में बनी अरविन्द केजरीवाल की सर्कार को लेकर रही, तो ऐसी बहुत सी घटनाएँ हैं।
4) उभरते हुए ज्योतिषियों या फिर जिन लोगों की इस विषय में रुचि है उनके लिए आपकी क्या सलाह है?
ज्योतिष का वास्तविक ज्ञान जिन्हें है उन्हें यह समझना चाहिए कि यह दो धारी तलवार है, ज्ञान के साथ साथ आध्यात्मिकता और संयम बहुत आवश्यक है। ज्ञान और प्रसिद्धि मिलते ही अहंकार आने लगता है, अतः उससे बच कर रहें तभी वास्तव में इस अद्भुत एवं ईश्वरीय ज्ञान को आप ठीक से प्राप्त कर सकते हैं और जीवन पर्यंत इस ज्ञान के प्रकाश से लोगों के जीवन को प्रकाशित कर सकते हैं।
5) आपके मुताबिक़ ऐसी कौन-सी ज्योतिषीय पुस्तकें हैं जिन्हें पढ़ना ही चाहिए?
कोई भी ज्योतिषी केवल एक ग्रन्थ को पढ़कर ज्ञान नहीं प्राप्त कर सकता। जो प्राचीन ऋषि मुनि थे और जिनके ग्रन्थ उपलब्ध हैं जैसे रावन संहिता, भृगु संहिता, पराशर होरा शास्त्र इत्यादि। अधिकांशतः पुराने ग्रन्थ अपने मूल रूप में उपलब्ध नहीं हैं, एक ही ग्रह और स्थान को लेकर विद्वानों में मतभेद है, अतः मेरा मानना है कि अधिक से अधिक ग्रंथों का अध्ययन करें और जो उपचार या फलादेश सर्वमान्य हों उसका प्रयोग करें और निरंतर अध्ययन शील रहें, मुहूर्त और मन्त्रों का प्रयोग पुराणों में भी मिलता है अतः इस क्षेत्र में किसी एक पुस्तक या ग्रन्थ तक सिमित रहना संभव नहीं है।
6) ऍस्ट्रोसेज.कॉम के पाठकों से आप क्या कहना चाहेंगे?
ऍस्ट्रोसेज.कॉम भारत के अत्यंत पुराने और ईश्वरीय ज्ञान को तकनिकी के माध्यम से पुरे विश्व में प्रसारित कर रहा है, पाठकों को इतनी अधिक सामग्री कहीं एक ही जगह मिलना अत्यंत कठिन है। पैनल पर जो विशेषज्ञ हैं वह भी अलग - अलग विधाओं से हैं और अत्यंत विद्वान हैं, सबसे बड़ी बात इसके संचालक पुनीत पाण्डेय जी और प्रतिक पाण्डेय जी, जो इस ईश्वरीय कार्य को जिस पवित्रता, आध्यात्मिकता और लगन के साथ कर रहे हैं, वह आज के इस भौतिक युग में बहुत कम ही देखने को मिलता है और अत्यंत सराहनीय है।
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