क्या आप जानते हैं कि कौन से रंग की राखी किस राशि के लिए शुभ है? क्या आप जानते हैं कि राखी कलाई पर ही क्यों बांधी जाती है? क्या है राखी के कलाई पर बांधने का चिकित्सकीय कारण? आइए डालते हैं इस पर एक नज़र।
इस साल रक्षाबंधन का यह त्यौहार 29 अगस्त 2015, को मनाया जाएगा। लेकिन यह रक्षाबंधन पहले से ख़ास होगा, क्योंकि इस बार आपकी बहना आपकी राशि के रंग के अनुरूप राखी बांधने वाली है। आइए एक नज़र डालते हैं कि कौन सी आपकी राशि के लिए होगी ख़ास?
अलग-अलग राशि के लिए अलग-अलग रंग की राखी
- मेष- लाल, गुलाबी या पीली राखी।
- वृष- श्वेत, नीली, रेशमी या चाँदी की समान चमकीली राखी।
- मिथुन- गुलाबी, नीली तथा हरी रंग की राखी।
- कर्क- पीली,श्वेत या रेशमी राखी।
- सिंह- लाल, गुलाबी या पीले रंग की राखी।
- कन्या- श्वेत, हरी या गुलाबी रंग की राखी।
- तुला- श्वेत, नीली या चमकीले रंग की राखी।
- वृश्चिक- सुर्ख़-लाल, गुलाबी या पीली रंग की राखी।
- धनु- लाल, पीली या गुलाबी राखी बांधें।
- मकर- नीली या चमकीली श्वेत रंग की राखी बांधें।
- कुम्भ- श्वेत तथा नीले रंग की राखी बांधें।
- मीन- पीले और गुलाबी रंग की राखी बांधें।
रक्षा बंधन का मुहूर्त
शुभ समय
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1:50 PM to 9:03 PM
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अशुभ समय
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10:50 AM to 1:50 PM
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राखी कलाई पर ही क्यों?
राखी महज़ एक धागा नहीं हैं, बल्कि यह हमें कई प्रकार की बीमारियों से भी बचाती है, इस बात से आप शायद ही वाक़िफ़ हों कि आख़िर राखी कलाई पर ही क्यों बांधी जाती है, आइए जानते हैं इसके पीछे का महत्वपूर्ण कारण?
राखी को कलाई पर बांधने के तीन कारण हैं-
- आध्यात्मिक कारण।
- आयुर्वेदिक कारण।
- मनोवैज्ञानिक कारण।
- आध्यात्मिक कारण- कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधने से ब्रह्मा, विष्णु और महेश तथा लक्ष्मी, सरस्वती और दूर्गा की कृपा प्राप्त होती है। ब्रह्मा की कृपा से कीर्ति, विष्णु कृपा से सुरक्षा और महेश की कृपा से सभी दूर्गुणों का नाश होता है। लक्ष्मी की कृपा से धन-दौलत, सरस्वती की कृपा से बुद्धि-विवेक तथा दूर्गा की कृपा से शक्ति की प्राप्त होती है।
- आयुर्वेदिक कारण- आयुर्वेद के अनुसार शरीर की प्रमुख नसें कलाई होकर गुज़रती है जो कलाई से ही नियंत्रित भी होती हैं। कलाई पर रक्षासूत्र बांधने से त्रिदोष(वात, पित्त, कफ़) का नाश होता है। इसके अलावा इससे लकवा, डायबिटीज़, हृदय रोग, ब्लड-प्रेशर जैसे रोगों से भी सुरक्षा होती है।
- मनोवैज्ञानिक कारण- रक्षासूत्र बांधने से मनुष्य को किसी बात का भय नहीं सताता है। मानसिक शक्ति मिलती है। मनुष्य ग़लत रास्तों पर जाने से बचता है। मन में शांति और पवित्रता बनी रहती है।
राखी या रक्षासूत्र का उदय
हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ-अवसर पर मौली बांधने की परंपरा है। मौली को रक्षा-सूत्र और मणिबंध नाम से भी जाना जाता है। प्राचीन काल में ऋषि-मुनी और ब्राह्मण लोगों को रक्षासूत्र बांधते थे। बाद में इसे राखी के रूप में बांधा जाने लगा। आज भी कई जगह ब्राह्मण अपने यज़़मानों को राखी बांधते हैं।
राखी एक रूप अनेक
आपसी सौहार्द का प्रतीक रक्षाबंधन का यह त्यौहार विभिन्न जगहों पर अनेक रूपों में दिखाई देता है। राजस्थान में ननद अपनी भाभी को एक विशेष प्रकार की राखी बांधती है जिसे ‘लुम्बा’ कहा जाता है।
आप सभी को एस्ट्रोसेज की तरफ़ से रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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