दिवाली पर इस बार 7 साल बाद बन रहा है महा लक्ष्मी योग

जानिए दिवाली का शुभ मुहूर्त और पढ़ें इस साल दीपावली पर माँ लक्ष्मी किन लोगों पर करेंगी धन की वर्षा 
दिवाली हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है। जो कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस साल दीपावली का त्योहार 7 नवंबर 2018 को देशभर में मनाया जाएगा। मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम, माँ सीता और लक्ष्मण सहित चौदह साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। तब अयोध्यावासियों ने उनके आने की ख़ुशी में अपने-अपने घरों में घी के दिए जलाए थे जिससे अमावस्या की काली रात भी जगमगा-कर रोशन हो गई थी। इसलिए भी दिवाली को प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है। 

दिवाली का त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधेरे पर प्रकाश की जीत को दर्शाता है। इस त्योहार की तैयारी और अनुष्ठान आम तौर पर पांच दिन की अवधि में मनाए जाते हैं, लेकिन दिवाली का मुख्य त्योहार रात के अंधेरे तथा प्रतिपदा के नये चंद्रमा की रात के साथ ही मनाया जाता है। दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा की जाती है। दीपदान, धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भैया दूज आदि त्यौहार दिवाली के साथ-साथ ही मनाए जाते हैं।  
शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त:
शाम 17:59 से 19:55 तक।
प्रदोष काल:
शाम 17:32 बजे से 20:09 बजे तक।
वृषभ काल:
17:59 बजे से 19:55 बजे तक।
सूचना: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर का दिवाली मुहूर्त 


कब मनाई जाती है दिवाली?

  • कार्तिक मास में अमावस्या के दिन प्रदोष काल होने पर दीपावली (महालक्ष्मी पूजन) मनाने का विधान है। इसमें सबसे ज़्यादा प्रचलित और मान्य अवधि उस वक़्त की हैं जब दो दिन तक अमावस्या तिथि प्रदोष काल का स्पर्श न करे, जिसके बाद ही दूसरे दिन दिवाली मनाने का विधान मान्य होता है। 
  • वहीं, कई लोग ये भी मानते है कि अगर दो दिन तक अमावस्या तिथि, प्रदोष काल में नहीं आती है, तो ऐसी स्थिति में ही पहले दिन दिवाली मनाई जानी चाहिए।
  • इसके अलावा ज्योतिषी मत के अनुसार यदि अमावस्या तिथि का विलोपन हो जाए, यानी कि अगर अमावस्या तिथि ही न पड़े और चतुर्दशी के बाद सीधे प्रतिपदा आरम्भ हो जाए, तो ऐसे में पहले दिन चतुर्दशी तिथि को ही दिवाली मनाने का विधान होता है। 

दिवाली पूजा विधि 

  • दिवाली पूजन में सबसे पहले श्री गणेश जी का ध्यान करना अनिवार्य होता है। ध्यान के बाद भगवान गणेश की प्रतिमा को स्नान कराएं और नए वस्त्र और फूल अर्पित करें।
  • गणेश पूजन के बाद देवी लक्ष्मी का पूजन शुरू करना चाहिए। 
  • मां लक्ष्मी की प्रतिमा को पूजा स्थान पर रखकर हाथ जोड़कर उनसे प्रार्थना करें कि वे आपके घर आएं।
  • प्रार्थना के बाद लक्ष्मी जी को स्नान कराएं। स्नान पहले जल फिर पंचामृत और फिर वापिस जल से कराना शुभ होता है। 
  • स्नान के बाद माँ लक्ष्मी को वस्त्र, आभूषण और माला अर्पित करें। 
  • माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा को इत्र अर्पित कर कुमकुम का तिलक लगाएं। 
  • अब धूप व दीप जलाएं और माता के पैरों में गुलाब के फूल अर्पित करें
  • दिवाली के दिन शुभ मुहूर्त में पूजा के दौरान माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश को 11 या 21 चावल अर्पित कर आरती करें। आरती के बाद परिक्रमा कर उन्हें भोग लगाएं।
  • भोग लगाने के बाद प्रशाद को परिजनों में बाटें और शुभ दीपावली की शुभकामनाएँ दें। 

दिवाली के दिन क्या करें?

  • दीपावली यानि कार्तिक अमावस्या के दिन प्रात:काल शरीर पर तेल की मालिश के बाद स्नान करना शुभ होता है। कहा गया है कि ऐसा करने से साल भर धन की हानि नहीं होती है।
  • मान्यता है कि दिवाली के दिन वृद्धजन और बच्चों को छोड़कर् अन्य व्यक्तियों को भोजन नहीं करके उपवास करना चाहिए और शाम को महालक्ष्मी पूजन के बाद ही ये उपवास खोलना चाहिए। ।
  • दीपावली पर पूर्वजों का पूजन कर उन्हें भोग अर्पित करें। 
  • प्रदोष काल के समय हाथ में दीपक जलाकर पितरों को मार्ग दिखाएं। आप अन्य माध्यम से भी रोशनी कर पितरों को मार्ग दिखा सकते है। मान्यता है कि ऐसा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • मान्यता ये भी है कि दिवाली से पहले मध्य रात्रि को स्त्री-पुरुषों को गीत, भजन और घर में उत्सव मनाना चाहिए। ऐसा करने से घर में व्याप्त दरिद्रता दूर होती है।


दिवाली का आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों रूप से अपना विशेष महत्व है। हिंदू शास्त्रों में दिवाली को आध्यात्मिक अंधकार पर आंतरिक प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव भी कहा गया है।

एस्ट्रोसेज की टीम आशा करती है कि दिवाली का त्यौहार आपके लिए मंगलमय हो। माता लक्ष्मी की कृपा आप पर सदैव बनी रहे और इस दीपावली आपके जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली आए।

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