विजयादशमी आज, जानें पूजा का मुहूर्त

आज इस मुहूर्त में करें काम,अवश्य मिलेगी सफलता ! पढ़ें दशहरा पर होने वाली पूजा का शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि। 

देशभर में आज दशहरा का पर्व मनाया जा रहा है। इस पर्व को शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराह्न काल में मनाया जाता है और इसलिए इस त्यौहार को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक माना जाता है। इस विशेष दिन पर पूजा का भी विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन यदि शुभ मुहूर्त में पूरे विधि विधान के साथ पूजा की जाए तो भक्तों को इसका बड़ा पुण्य और लाभ मिलता है इसलिए नीचे पूजा का शुभ मुहुर्त एवंं इसकी विधि का विवरण है।

36%
छूट

पूछें के पी सिस्टम के ज्योतिषी से

कीमत : रु 715
सेल कीमत : रु 455
36%
छूट

पूछें लाल किताब के ज्योतिषी से

कीमत : रु 715
सेल कीमत : रु 455
41%
छूट

एस्ट्रोसेज महा कुंडली

कीमत : रु 1105
सेल कीमत : रु 650


दशहरा मुहूर्त 2017


मुहूर्त
बजे से
बजे तक
विजय मुहूर्त
02:10:22 बजे (दोपहर)
02:58:05 बजे (दोपहर)
अपराह्न पूजा का समय
01:22:39 बजे
03:45:47 बजे

ऊपर दिया गया समय नई दिल्ली (भारत) के लिए है। अपने शहर के अनुसार जानें: विजयादशमी पूजा का शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि

दशहरा पर विजय मुहूर्त का महत्व


दशहरे का दिन साल के सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। यह साढ़े तीन मुहूर्त में से एक है। साल का सबसे शुभ मुहूर्त - चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अश्विन शुक्ल दशमी, वैशाख शुक्ल तृतीया, एवं कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (आधा मुहूर्त)। यह अवधि किसी भी काम की शुरूआत करने के लिए उत्तम है। हालाँकि कुछ निश्चित मुहूर्त किसी विशेष पूजा के लिए भी हो सकते हैं।

ऐसा कहते हैं कि जब सूर्यास्त होता है और आसमान में कुछ तारे दिखने लगते हैं तो यह अवधि विजय मुहूर्त कहलाती है। इस समय कोई भी पूजा या कार्य करने से अच्छा परिणाम प्राप्त होता है। कहते हैं कि भगवान श्रीराम ने दुष्ट रावण को हराने के लिए युद्ध का प्रारंभ इसी मुहुर्त में किया था। इसी समय शमी नामक पेड़ ने अर्जुन के गाण्डीव नामक धनुष का रूप लिया था।



विजयादशमी की पौराणिक कथा


धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस के साथ नौ दिनों तक युद्ध किया था और दसवें दिन अर्थात आज ही के दिन माँ ने उस राक्षस का संहार कर समस्त सृष्टि की रक्षा की थी। इसके अलावा त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने लंकापति पापी रावण का वध किया था इसलिए इस पर्व का नाम दशहरा पड़ा और तभी से दस सिरों वाले रावण के पुतले को हर साल दशहरा के दिन प्रतीक के रूप में जलाया जाता है ताकि हम अपने अंदर के क्रोध, लालच, भ्रम, नशा, ईर्ष्या, स्वार्थ एवं अहंकार आदि को नष्ट करें। 

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को विजयादशमी पर्व 2017 की हार्दिक शुभकामनाएं !

Related Articles:

No comments:

Post a Comment