जानें घटस्थापना से कैसे करें मां का आह्वान! पढ़ें नवरात्रि में प्रथम दिन का महत्व और मां शैल पुत्री की पूजा का महत्व। साथ ही जानें घटस्थापना के नियम और विधि।
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सुख-समृद्धि के लिए नवरात्र में धारण करें: नवदुर्गा कवच
शरद नवरात्रि 21 सितंबर 2017 से प्रारंभ हो रही है और देवी शक्ति देवी दुर्गा की आराधना का यह महापर्व 29 सितंबर तक हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। नौ दिनों तक चलने वाले इस पावन पर्व का पहला दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में विधि विधान के साथ घटस्थापना करने के बाद मां शैलपुत्री की आराधना की जाती है। आईये इस लेख के माध्यम से जानते हैं घटस्थापना का शुभ मुहूर्त व पूजा विधि।
घटस्थापना मुहूर्त
दिनाँक
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समय
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21 सितंबर 2017, गुरुवार
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06:08:40 से 08:09:45 तक
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नोट- उपरोक्त मुहूर्त नई दिल्ली (भारत) के लिए है।
जानें अपने शहर के अनुसार: घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना का महत्व
नवरात्रि में घटस्थापना/कलश स्थापना का विशेष महत्व है। क्योंकि यह नवरात्रि का पहला दिन है और घटस्थापना के बाद ही देवी दुर्गा के इस पर्व की विधिवत शुरुआत होती है। नवरात्र में (चैत्र व शरद) में प्रतिपदा अथवा प्रथमा तिथि में शुभ मुहूर्त में पूरे विधि विधान के साथ कलश स्थापना की जाती है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कलश को भगवान गणेश की संज्ञा दी गई है। इस दिन सर्वप्रथम गणेश जी की वंदना कर समस्त देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है।
नवरात्र के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की आराधना
नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। इसी कड़ी में प्रथम दिन मां शैलपुत्री की उपासना की जाती है। संस्कृत में शैलपुत्री का अर्थ है ‘’पर्वत की बेटी’’। पौराणिक मान्यता के अनुसार पर्वत राज हिमालय की पुत्री होने के कारण ही इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। इनका वाहन वृषभ है, इसलिए माँ शैलपुत्री को वृषारूढ़ा नाम से भी जाना जाता है। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल का पुष्प सुशोभित है। माँ के इस प्रथम रूप को सती नाम से भी पुकारा जाता है।
एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं! हम आशा करते हैं कि देवी दुर्गा का आशीर्वाद आप पर सदैव बना रहे।
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