पढ़ें मां ब्रह्मचारिणी की महिमा और उपासना का महत्व! नवरात्र के दूसरे दिन देवी दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा का विधान है। आईये इस लेख में जानते हैं मॉं ब्रह्मचारिणी की उपासना का महत्व और पूजन विधि।
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नवरात्रि में मॉं ब्रह्मचारिणी की उपासना
नवरात्र के दूसरे दिन मॉं ब्रह्मचारिणी की पूजा और आराधना की जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी दुर्गा के इस स्वरूप को माता पार्वती का अविवाहित रूप माना गया है। ब्रह्मचारिणी संस्कृत का शब्द है, इसमें ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानि आचरण करने वाली अर्थात तप की तरह आचरण करने वाली। मॉं ब्रह्मचारिणी की कृपा से सिद्धि और सफलता प्राप्त होती है। इनकी पूजा व उपासना से मनुष्य के अंदर तप, त्याग, संयम और सदाचार जैसे गुणों की वृद्धि होती है और बुराइयों का नाश होता है।
माता ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
मॉं ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय है। कठोर तप के कारण मुख पर अद्भूत तेज है। देवी ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्र में सुशोभित हैं, उनके दाहिने हाथ में जप माला और बायें हाथ में कमण्डल है।
पूजा विधि
देवी शक्ति मॉं ब्रह्मचारिणी की पूजा इस प्रकार करें…
- मॉं ब्रह्मचारिणी की पूजा से पहले कलश देवता का विधिवत तरीके से पूजन करें।
- अब देवी ब्रह्मचारिणी का पूजन शुरू करें। सबसे पहले अपने हाथ में एक फूल लेकर मॉं ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें।
- इसके बाद मॉं ब्रह्मचारिणी का पंचोपचार पूजन करें और लाल फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर अर्पित करें।
- घी अथवा कपूर जलाकर मॉं ब्रह्मचारिणी की आरती करें और अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
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एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को नवरात्रि की शुभकामनाएं! हम आशा करते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से आपके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे।
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