आज यानी फ़रवरी 17, 2015 को देश भर में शिव भक्तों द्वारा महा शिवरात्रि का पर्व बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाएगा। आज पूर्ण विश्वास के साथ व्रत व भगवान शिव की आराधना करें जिससे आप भी उनकी कृपा के पात्र बन सकें। इसके बारे में अधिक जानने के लिए आगे पढ़ें।
आज महा-शिवरात्रि का पावन दिन है जो भगवान शिव को समर्पित है। सभी शिव भक्तों के लिए इस पर्व का बहुत बड़ा महत्त्व है। हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी या चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इसके बारे में अधिक जानने से पहले आइये महा-शिवरात्रि की पूजा के शुभ मुहूर्त पर एक नज़र डालें:
महा शिवरात्रि 2015: शुभ पूजा मुहूर्त
निशिता काल पूजा मुहूर्त: 00:09 to 01:00
- पहले पहर की पूजा का मुहूर्त: 18:08 से 21:21 (फ़रवरी 17, 2015)
- दूसरे पहर की पूजा का मुहूर्त: 21:21 (फ़रवरी 17, 2015) से 00:34 (फ़रवरी 18, 2015)
- तीसरे पहर की पूजा का मुहूर्त: 00:34 (फ़रवरी 18, 2015) से 03:48 (फ़रवरी 18, 2015)
- चौथे पहर की पूजा का मुहूर्त: 03:48 (फ़रवरी 18, 2015) से 07:01 (फ़रवरी 18, 2015)
अगले दिन यानि फ़रवरी 18, 2015 को पारण का समय: 07:01 to 09:03
हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है, जिसे मासिक शिवरात्रि कहते हैं। लेकिन फाल्गुन मास में मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि का स्थान सर्वश्रेष्ठ है।
महा शिवरात्रि: पौराणिक कथाएँ
महा शिवरात्रि से समबन्धित दो पौराणिक कथाएँ बहुत प्रचलित हैं जिनका वर्णन इस प्रकार है:
- ऐसा माना जाता है की महा शिवरात्रि के पावन पर ही भगवान शिव और माँ पारवती की शादी हुई थी। इसीलिए इसको भगवान शिव का सबसे प्रिय दिन भी माना जाता है।
- महा शिवरात्रि की विशालता का एक अन्य कारण यह भी है कि इसी दिन भगवान शिव ने पूरी दुनिया को घातक विष के प्रभाव से बचाया था, जिसके बाद से उन्हें नीलकंठ के नाम से भी जाना जाने लगा।
आइये अब बात करें महा शिवरात्रि में की जाने वाली पूजा की विधि की।
महा शिवरात्रि: पूजा विधि
महा शिवरात्रि के शुभ दिन की शुरुआत सभी शिव भक्तों लिए भगवान शिव या शिवलिंग की पूजा द्वारा होती है। महा शिवरात्रि का व्रत व पूजा पूरे दिन भर चलता रहता है। आइये देखें पूजा करने के वो ख़ास नियम जिनका ख़याल हर भक्त को रखना चाहिए।
- भक्तों को सुबह स्नान करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
- इसके बाद भगवान शिव के मंदिर जाकर शिवलिंग को पंचामृत से स्नान करवाना चाहिए। पंचामृत को बनाने के लिए दूध, दही, शहद, घी, तथा चीनी को मिलाया जाता है।
- शिवलिंग पर बेल-पत्र, फूल, फल चढ़ाये जाते हैं और सिन्दूर से तिलक किया जाता है।
- शिवलिंग की आरती करने के लिए दीप तथा अगरबत्ती/धूपबत्ती जलाये जाते हैं।
- सभी शिव भक्त शिवरात्रि के व्रत को पूर्ण श्रद्धा के साथ करने का प्रण लेते हैं।
- शाम के समय भगवान शिव की पूजा करने से पहले एक बार फिर स्नान किया जाता है।
- शिवरात्रि का व्रत रखने के दौरान फल, दूध, तथा दूध से बने पदार्थ खाए जा सकते हैं। लेकिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए।
- व्रत का समापन अगले दिन पारण के समय खाना खाकर किया जाता है।
भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी करते हैं और उनके पापों को हर लेते हैं। महाशिवरात्रि पर पूरे विश्वास के साथ पूजा करने से शिव उन्हें सौभाग्य, धन, तथा मोक्ष प्रदान करते हैं। इस शिवरात्रि पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आराधना करें और उनकी कृपा को प्राप्त करें।
एस्ट्रोसेज की तरफ़ से आपको महा शिवरात्रि 2015 की बहुत-बहुत बधाई!
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