जानें कैसे करें इस नवरात्रि माँ शैलपुत्री का आह्वान, साथ ही पढ़ें कल से शुरू हो रहे हिन्दू नववर्ष पर मनाये जाने वाले विभिन्न पर्वों का महत्व !
हिन्दू धर्म में नवरात्रि देवी दुर्गा की आराधना का सबसे बड़ा पर्व होता है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार हर वर्ष में 5 नवरात्रि आती हैं। जिनमें चैत्र नवरात्रि और शरद नवरात्रि सबसे प्रमुख होती है। इसके अलावा कई राज्यों में अन्य 3 गुप्त नवरात्रि भी मनाई जाती हैं, जो क्रमशः पौष, आषाढ़ और माघ गुप्तरात्रि के नाम से जानी जाती हैं।
वर्ष 2019 में चैत्र नवरात्रि 6 अप्रैल 2019 शनिवार से शुरू हो रही है और 14 अप्रैल 2019 को समाप्त होगी। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का विशेष महत्व है। शुभ मुहूर्त में विधि पूर्वक घटस्थापना करने के बाद माँ शैलपुत्री की उपासना की जाती है। ऐसे में आज हम अपने इस लेख में आपको चैत्र नवरात्रि से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी के साथ ही इसके घटस्थापना का शुभ मुहूर्त एवं माँ शैलपुत्री के पूजन की पूरी विधि बताने जा रहे हैं। आइये अब जानते हैं घटस्थापना का शुभ मुहूर्त:-
घटस्थापना मुहूर्त
दिनाँक | समय |
6 अप्रैल 2019, शनिवार | 06:06:18 से 10:18:05 तक |
अवधि | 4 घंटे 11 मिनट |
नोट- उपरोक्त मुहूर्त नई दिल्ली (भारत) के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि
नवरात्रि का पहला दिन और घटस्थापना का महत्व
हिन्दू पंचांग की मानें तो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि का आरंभ होता है और इसी दिन घटस्थापना अथवा कलश स्थापना करने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार ये कहा गया है कि घटस्थापना पूजा का शुभ मुहूर्त पूरे विधि-विधान के साथ ही संपन्न किया जाना चाहिए। इसी लिए हिंदू धर्म में नवरात्रि के दौरान घटस्थापना का विशेष महत्व है।
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नवरात्रि के प्रथम दिन होता है माँ शैलपुत्री का पूजन
शास्त्रों अनुसार माँ दुर्गा का पहला स्वरूप देवी शैलपुत्री को माना गया है। अगर आप सोच रहे हैं कि इनका नाम शैलपुत्री कैसे पड़ा तो, बता दें कि पर्वत राज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा, जिनका वाहन वृषभ होता है। इसी चलते माँ शैलपुत्री को देवी वृषारूढ़ा नाम से भी जाना जाता है। माँ शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल का पुष्प सुशोभित होता है। कई राज्यों में माँ के इस प्रथम रूप को सती नाम से भी पुकारा जाता है।
विस्तार से जानें: माँ शैलपुत्री की महिमा और मंत्र
हिन्दू नववर्ष हुआ प्रारंभ
पंचांग अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष प्रारंभ होता है। और हिन्दू नववर्ष प्रारंभ होने पर भारत के अलग-अलग राज्यों में कई अहम त्यौहार मनाये जाते हैं। जैसे: महाराष्ट्र और मध्य भारत में इस मौके पर गुड़ी पड़वा पर्व मनाए जानें का विधान है तो वहीं दक्षिण भारत में इस मौके पर उगादि पर्व की धूम देखते ही बनती है।
हिन्दू नववर्ष चैत्र प्रतिपदा का महत्व
हेमाद्रि के ब्रह्मपुराण के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन सूर्य उदय के समय ही परम पिता ब्रह्मा जी ने इस जगत की उत्पत्ति की थी। इसी कारण से प्रतिवर्ष चैत्र मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा अर्थात प्रथमा तिथि को नव वर्ष का प्रारंभ होता है और नया संवत्सर लागू होता है। वर्ष 2019 में दिनांक 6 अप्रैल दिन शनिवार को प्रारंभ होने वाले इस नूतन संवत्सर का नाम परिधावी है। यह संवत्सर क्रम में 46 वां संवत्सर है। इसी तिथि से विक्रमी संवत 2076 का आरंभ होगा। यहाँ विस्तार में पढ़ें हिन्दू नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा!
आईये अब विस्तार से जानते हैं हिन्दू नववर्ष के प्रारंभ होने पर विभिन्न राज्यों में मनाये जाने वाले कुछ प्रमुख पर्व:
गुड़ी पड़वा
गुड़ी पड़वा मध्य भारत के महाराष्ट्र प्रांत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है। हिंदू धर्म में चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा कहा जाता है। इस दिन से हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इसलिए इसे सृष्टि का प्रथम दिवस भी कहा जाता है। चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को सर्वोत्तम तिथि कहा गया है। महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। गुड़ी का अर्थ ‘’विजय पताका” होता है इसीलिए इस दिन घर के बाहर गुड़ी यानि ध्वज फहराया जाता है। मान्यता है कि घर के बाहर गुड़ी फहराने से बुरी शक्तियों का नाश होता है और सुख, समृद्धि व सौभाग्य में वृद्धि होती है। जानें अपने शहर के अनुसार गुड़ी पड़वा का पंचांग एवं मुहूर्त: गुड़ी पड़वा 2019
उगादी
चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को दक्षिण भारत उगादि पर्व मनाता है। भारत अलग-अलग सांस्कृतिक विविधताओं से परिपूर्ण देश है। जहाँ कई प्रकार की परंपराएँ, रीति-रिवाज, तीज-त्यौहार प्रचलित हैं। इसी प्रकार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष प्रारंभ होता है और इस ख़ुशी में दक्षिण भारतवासी उगादी पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ इस दिन को मनाते हैं। इसे तेलुगु नव वर्ष भी कहा जाता है। कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र और कोंकणी समुदाय के लोग इसे युगादी के नाम से पुकारते हैं, वहीं तमिलनाडु के लोग इसे उगादी और युगादी दोनों नामों से संबोधित करते हैं। जानें अपने शहर के अनुसार उगादी का पंचांग एवं मुहूर्त: उगादी 2019
एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को चैत्र नवरात्रि और हिन्दू नववर्ष 2019 की हार्दिक शुभकामनाएँ ! हम आशा करते हैं कि माँ दुर्गा आपको जीवन में शांति और समृद्धि प्रदान करें।
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