दशहरा और नवमी तिथि आज: जानें, पुजा मुहूर्त

क्या आप अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं? क्या आप अपने कॅरियर को लेकर चिंतित हैं? क्या आप पैसों की तंगी से जूझ रहे हैं? यदि हाँ, तो पढ़ें इस लेख को और जानें, माँ दूर्गा पूजा से कैसे होगी आपकी सभी मनोकामनाएँ पूरी।

Dussehra ke din karen vidhivat pooja, Puri hogi sabhi manokamna.



दशहरा मुहूर्त 2015


मुहूर्त
बजे से
बजे तक
विजय मुहूर्त
दोपहर 01:58
दोपहर 02:43 तक
अपराहन पूजाका समय
दोपहर 01:13
दोहपर 03:27 तक

शरद नवरात्रि नवमी तिथि आज


नवरात्रि का नौवाँ दिन माँ सिद्धिदात्री को समर्पित है। आज के दिन पूजा सुबह 06:25 से 07:50 और 10:40 से 11:59 बजे के बीच की जा सकती है। नीचे लिखे मंत्र से माँ की अराधना करें, आपके सभी कार्य माँ सिद्धिदात्री की कृपा से पूरे होंगे। 

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

नवमी तिथि की पूजा की सार्थकता के लिए निम्न बातों पर ध्यान दें:

  • पूजा बताए गए मुहूर्त में ही करें
  • गुलाबी रंग का वस्त्र धारण करें
  • देवी को तिल चढ़ाएँ

साढ़े तीन मुहूर्त


वर्ष के साढ़े तीन शुभ मुहूर्तों में एक मुहूर्त दशहरा भी होता है। अर्थात् दशहरा का पूरा दिन ही शुभ माना गया है। यदि आप किसी दिन कोई पूजा या शुभ कार्य करते हैं, तो उस दिन का शुभ मुहूर्त भी आप जानना चाहते हैं। हालाँकि विजय मुहूर्त का विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों की मानें तो इस मुहूर्त में कोई भी कार्य करना बेहद ही शुभ होता है; जैसे- गृह-प्रवेश, कारोबार की शुरूआत, नए घर की नींव रखना, इत्यादि।

दशहरे की शुरूआत


दशहरा हिन्दू का सबसे बड़ा त्यौहार है। अलग-अलग प्रकार के लोगों के लिए इसका महत्व भी भिन्न है। एक तरफ़ तो कुछ लोग आज के दिन नौं दिन का उपवास तोड़ते हैं, तो दूसरी तरफ़ कुछ लोग रावण का पुतला दहन कर, बुराई पर अच्छाई की जीत का ज़श्न मानते हैं।

ऐसा माना जाता है कि निम्न दो कारणों से ही दशहरा मनाया जाता है:

  • राम की रावण पर विजय प्राप्ति 
  • महिषासुर पर माँ दुर्गा की विजय

दशहरे की पूजा विधि


  1. चूना और फूल से दशहरे की रंगोली बनाएँ
  2. नौं जगह गाय के गोबर के उपले रखें
  3. गाय के गोबर से दो कटोरे ढक्कन सहित बनाएँ
  4. एक कटोरे में कुछ सिक्के डालें
  5. दूसरे कटोरे में अक्षत, रोली, फल, और जौ लें
  6. अब केला, ग्वार की फली, मूली, और मिठाई चढ़ाएँ
  7. अब धूप और अगरबत्ती दिखाएँ 
  8. इसके बाद परिक्रमा करें
  9. फूल-अक्षत के साथ पुरानी खाता-बही की पूजा करें
  10. कटोरे में रखे सिक्के को निकालें और उसे किसी सुरक्षित स्थान पर रखें
  11. अब ब्राह्मण को भोजन कराएँ और दान दें
  12. इस पूजा विधि के अलावा आप शस्त्र पूजा भी कर सकते हैं

  • यदि आप एक सैनिक हैं तो अपनी बंदूक और अन्य शस्त्रों की पूजा करें
  • यदि आप बढ़ई हैं तो अपने औज़ारों की पूजा करें
  • यदि आप लेखपाल हैं तो अपने खाता-बही की पूजा करें
  • यदि आप रसोइया हैं तो अपनी रसोई के सामान की पूजा करें

चाहे आप किसी भी पेशे में हों, अपने औजारों की पूजा अवश्य करें, क्योंकि दशहरा शस्त्रों और औजारों की पूजा करने के लिए सबसे शुभ माना गया है। 

दशहरे से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण रस्में


रावण दहन और शास्त्रों की पूजा के अतिरिक्त और भी कुछ परंपराएँ हैं जिनका पालन आज के दिन किया जाता है। आइए एक नज़र डालते हैं उनपर...

टीका विधि: रक्षाबंधन की तरह ही दशहरे के दिन टीका लगाने की परंपरा है। आज के दिन बहन अपने भाई के माथे पर टीका लगाती है। 

ब्राह्मण पूजा: अच्छे सौभाग्य और सफलता पाने के लिए ब्राह्मण को भोजन कराएँ और आदर-सत्कार के साथ वस्त्र एवं दान देकर विदा करें। 

सोना/झिंजेरी/कठमूली के पेड़ की पूजा: कठमूली के वृक्ष को सोना वृक्ष भी कहते हैं। विजय दशमी के दिन इसकी पूजा की जाती है। पूजा के दिन इसके पत्ते का उपयोग उपहार देने के लिए होता है। इसके पत्ते को सोना और अच्छे सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। 

विद्यार्थियों के लिए दशहरा


दक्षिण भारत के विद्यार्थी दशहरे के दिन माँ सरस्वती की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से बच्चों का मन पढ़ाई में लगता है और शिक्षा संबंधी बाधाएँ दूर होती हैं। इसलिए यदि आप विद्यार्थी जीवन में हैं तो अपनी कॉपी, कलम, और किताब की विधिवत पूजा करें। इस दशहरा यह पूजा करके देखें, निश्चय ही आपको सफलता मिलेगी। 

एस्ट्रोसेज की ओर से आप सभी को शरद नवरात्रि और दशहरा 2015 की ढेर सारी शुभकामनाएँ!

माँ दूर्गा आपकी सभी मुरादें पूरी करें!

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