12 अक्टूबर साल 2015 का वह दिन है जिस दिन आप अपनी सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ती पा सकते हैं, क्योंकि यह श्राद्ध का अंतिम दिन है, जिसे सर्व-पितृ अमावस्या भी कहा जाता है। आइए अब जानते हैं इस दिन के बारे में विस्तार में।
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सर्व-पितृ अमावस्या के दिन तर्पण के बाद श्रद्धा से ज़रूरतमंदों को भोजन कराना चाहिए। शास्त्रों में इसका बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। परंपरा के अनुसार श्राद्ध के बाद गाय, कौवा, अग्नि, चींटी और कुत्ते को खाना दिया जाता है। इससे पितरों को शांति मिलती है और वे तृप्त होते हैं।
तर्पण और श्राद्ध को लेकर अलग-अलग लोगों की श्रद्धा भिन्न प्रकार की हैं। इसके लिए आप नीचे दिए ज्योतिषीयो के लेख पढ़ सकते हैं:
हिन्दु धर्म में इंसान के मरने के बाद उसका श्राद्ध-कर्म किया जाता है, ताकि मरे हुए इंसान को स्वर्ग की प्राप्ति हो और उसकी आत्मा को शांति मिले। दिन-प्रतिदिन लोगों को अपने जीवन को बेवजह बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जो इस बात का संकेत है कि आपके पूर्वजों को शांति नहीं मिली है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए ही पिंडदान किया जाता है। ताकि उन्हें स्वर्ग में सुख-शांति मिल सकें।
यदि श्राद्ध को उचित तरीक़े से किया जाए तो हमारी 64 पीढ़ीयाँ को पितरों का आशीर्वाद मिलता है। उनकी कृपा हमें ग्रहों के बुरे प्रभाव से बचाती है और घर-परिवार में ख़ुशियों का आगमन होता है।
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कैसे करें तर्पण
- तांबे के पात्र में गंगाजल लें। ( शुद्ध जल भी ले सकते हैं)
- उसमें गाय का कच्चा दूध और थोड़ा काला तिल डालें।
- अब उस पात्र में कुशा डालकर उसे मिलाएँ।
- स्टील का एक अन्य पात्र (लोटा) लें और उसे अपने सामने रखें।
- दक्षिणाभिमुख होकर खड़े हो जाएँ।
- कुशा के साथ तांबे के पात्र के जल को स्टील के लोटे में धीरे-धीरे गिराएँ, ध्यान रहे कि कुशा न गिरे।
- जल को गिराते समय नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण करें।
- अंत में ज़रूरतमंदों को खाना खिलाएँ। (इसके बारे में नीचे विस्तार से दिया गया है)
ॐ पितृ गणाय विद्महे जगत धारिण्ये धीमहि तन्नो पितरो प्रचोदयात् ।
भोजन विधान
सर्व-पितृ अमावस्या के दिन तर्पण के बाद श्रद्धा से ज़रूरतमंदों को भोजन कराना चाहिए। शास्त्रों में इसका बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। परंपरा के अनुसार श्राद्ध के बाद गाय, कौवा, अग्नि, चींटी और कुत्ते को खाना दिया जाता है। इससे पितरों को शांति मिलती है और वे तृप्त होते हैं।
पितृ-पक्ष या श्राद्ध के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें: पितृ-पक्ष 2015
तर्पण और श्राद्ध को लेकर अलग-अलग लोगों की श्रद्धा भिन्न प्रकार की हैं। इसके लिए आप नीचे दिए ज्योतिषीयो के लेख पढ़ सकते हैं:
महाल्या अमावस्या का महत्व
हिन्दु धर्म में इंसान के मरने के बाद उसका श्राद्ध-कर्म किया जाता है, ताकि मरे हुए इंसान को स्वर्ग की प्राप्ति हो और उसकी आत्मा को शांति मिले। दिन-प्रतिदिन लोगों को अपने जीवन को बेवजह बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जो इस बात का संकेत है कि आपके पूर्वजों को शांति नहीं मिली है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए ही पिंडदान किया जाता है। ताकि उन्हें स्वर्ग में सुख-शांति मिल सकें।
यदि श्राद्ध को उचित तरीक़े से किया जाए तो हमारी 64 पीढ़ीयाँ को पितरों का आशीर्वाद मिलता है। उनकी कृपा हमें ग्रहों के बुरे प्रभाव से बचाती है और घर-परिवार में ख़ुशियों का आगमन होता है।
हम आशा करते हैं आपके पितर प्रसन्न होंंगे और आपके जीवन में सुख-शांति आएगी !
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