जन्माष्टमी के दिन अवश्य करें ये 10 काम

कृष्ण जन्माष्टमी पर जानिए भगवान कृष्ण की लीला। आज देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जा रहा है। आइए इस पावन पर्व के महत्व पर डालते हैं एक नज़र।


जन्माष्टमी का पावन पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। श्री कृष्ण भगवान विष्णु जी के आठवें अवतार हैं। भगवान श्री कृष्ण देवकी एवं वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पैदा हुए इसलिए इस दिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। 


पूजा शुभ मुहूर्तः-


निशीथ पूजा मुहूर्त
24:04:21 से 24:47:33 बजे तक
अवधि
0 घंटे 43 मिनट
पारणा मुहूर्त
17:41:42 बजे के बाद, 15 अगस्त 2017

नोटः ऊपर दिया गया मुहूर्त नई दिल्ली के लिए है। जानें अपने शहर में जन्माष्टमी का शुभ मुहुर्त

विशेष: उपरोक्त मुहुर्त केवल स्मार्त संप्रदाय के लिए है जबकि वैष्णव पंथ के अनुयायी 15 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे।

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जन्माष्टमी व्रत एवं नियम-

  1. जन्माष्टमी का प्रारंभ व्रत और पूजा के साथ अष्टमी को होता है जबकि नवमी को पारणा के साथ इसका समापन किया जाता है।
  2. इस पावन दिन भगवान श्रीकृष्ण की विशेष-पूजा अर्चना की जाती है।
  3. जन्माष्टमी व्रत में भोजन के रूप में दूध व फलाहार ग्रहण किये जाते हैं और भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद मध्य रात्रि को व्रत खोला जाता है।

विस्तार से जानें: जन्माष्टमी पूजा विधि

जन्माष्टमी का महत्वः-


शास्त्रों के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत एवं पूजन का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण जी ऐसे अवतार हैं जिनके दर्शन मात्र से प्राणियों के सारे दुख और पाप मिट जाते हैं। शास्त्रों में जन्माष्टमी के व्रत को व्रतराज कहा गया है। जो भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ इस व्रत का पालन करते हैं उन्हें महापुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा संतान प्राप्ति, वंश वृद्धि और पितृ दोष से मुक्ति के लिए जन्माष्टमी का व्रत एक वरदान है। 

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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