रक्षाबंधन-चंद्रग्रहण आज, करें ये काम!

रक्षाबंधन पर चंद्रग्रहण, जानें राखी बांधने का मुहूर्त! जानें रक्षाबंधन के त्यौहार का महत्व, साथ ही पढ़ें चंद्रग्रहण का विभिन्न राशियों पर होने वाला प्रभाव।


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रक्षा बंधन भाई और बहन के पवित्र रिश्ते से जुड़ा पर्व है। हर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए रक्षा बंधन के त्यौहार का इंतज़ार करती है। रक्षा बंधन का त्यौहार हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व जुलाई या अगस्त के महीने में आता है। इस वर्ष रक्षाबंधन का त्यौहार 7 अगस्त, सोमवार को मनाया जा रहा है। रक्षाबंधन हिन्दू धर्म के बड़े पर्वों में से एक है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र यानि राखी बांधती हैं। वहीं भाई अपनी बहन को उपहार और हमेशा उनकी रक्षा करने का वचन देता है। रक्षाबंधन का त्यौहार धर्म और जाति से परे है। इतिहास में कई ऐसे उदाहरण मिलते हैं जिनमें अलग-अलग धर्म के लोगों ने भाई-बहन के रिश्तों को एक नई पहचान दी।

रक्षाबंधन मुहूर्त
राखी बांधने का मुहूर्त
11:10:05 से 21:15:35 तक
अवधि
10 घंटे 5 मिनट
रक्षा बंधन अपराह्न मुहूर्त
13:46:59 से 16:27:29 तक
रक्षा बंधन प्रदोष मुहूर्त
19:07:59 से 21:15:36 तक

(नोट- यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए है। जानें अपने शहर में रक्षा बंधन का मुहूर्त: रक्षा बंधन मुहूर्त)

इस वर्ष रक्षा बंधन के दिन रात्रि में चंद्र ग्रहण भी है। ग्रहण के सूतक की वजह से रक्षा बंधन के मुहूर्त को लेकर असमंजस की स्थिति बन रही है लेकिन धर्म सिन्धु और निर्णय सिन्धु के अनुसार, रक्षाबंधन मनाने में ग्रहण काल और संक्रांति का विचार नहीं किया जाता है।

"निर्णय सिंधु" के परिच्छेद 2 के अनुसार,

"इदं रक्षाबंधनं नियतकालत्वात् भद्रावर्ज्य ग्रहणदिनेपि कार्यं

होलिकावत्। ग्रहणसंक्रांत्यादौ रक्षानिषेधाभावात् ।"

यानि रक्षाबंधन नियत काल में होने से भद्रा को छोड़ कर ग्रहण के दिन भी होली के समान ही करना चाहिए। ग्रहण का सूतक अनियतकाल के कर्मों में लगता है जबकि राखी श्रावण सुदी पूर्णिमा को ही मनाई जाती है। रक्षा बंधन नियत कर्म होने के कारण इसको ग्रहण का सूतक दोष नहीं लगता है, इसलिए रक्षा बंधन 7 अगस्त को 11:08 के बाद पूरे दिन कर सकते हैं।

वे लोग जो कुल परंपरा के अनुसार ग्रहण के सूतक में किसी भी शुभ कार्य को करना वर्जित मानते हैं। वे सभी ग्रहण सूतक प्रारंभ होने से पहले राखी बांध सकते हैं। यदि आप इस मत से सहमत हैं तो 7 अगस्त को सुबह 11:05 से 1:25 के बीच रक्षाबंधन मना सकते हैं।


रक्षाबंधन का महत्व


रक्षा बंधन महज राखी बांधने का दिन नहीं है बल्कि यह भावना और संवेदनाओं का पर्व है। राखी एक रेशम का धागा न होकर भाई-बहनों के बीच आपसी स्नेह और लगाव का प्रतीक है। 

रक्षाबंधन पर हर बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने का बेसब्री से इंतज़ार करती है। वहीं घर से दूर रहने वाले भाइयों को अपनी बहन की राखी का इंतज़ार रहता है। रक्षाबंधन का पर्व केवल सगे भाई-बहनों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मुंह बोले भाई-बहनों के रिश्तों से भी जुड़ा हुआ है। भारत के इतिहास में ऐसी कई कहानियां दर्ज हैं, जहां अलग-अलग धर्म होने के बावजूद भाई-बहनों के बीच प्यार और लगाव की अनोखी मिसाल देखने को मिली हैं। इनमें सबसे चर्चित किस्से मुगल सम्राट हुमायूं और रानी कर्णावती एवं महान योद्धा अलेक्जेंडर की पत्नी व राजा पुरु के बीच रक्षाबंधन के अनुपम रिश्ते को लेकर हैं।

एस्ट्रोसेज की अपील: इस रक्षाबंधन पर लें पर्यावरण बचाने का संकल्प

विज्ञान और आधुनिकता के इस दौर में जलवायु परिवर्तन बेहद चिंता का विषय है। वृक्षों की कटाई और बढ़ते प्रदूषण की वजह से पर्यावरण लगातार दूषित हो रहा है। ऐसे में अब जरुरत है प्रकृति को बचाने की। हिंदू धर्म में वृक्षों का बड़ा महत्व है और इन्हें देवताओं का दर्जा दिया गया है। रक्षाबंधन पर हम ईश्वर को भी राखी बांधते हैं, इसलिए आइये हम संकल्प लेते हैं कि रक्षाबंधन के दिन स्नेह की एक डोर एक वृक्ष को भी बांधे और उसकी रक्षा की जिम्मेदारी लें। हिन्दू धर्म शास्त्रों में लिखा है कि: 

‘’जो मनुष्य वृक्षों को बचाता है, वृक्ष लगाता है, उसके वंश का नाश नहीं होता है।

वह दीर्घकाल तक स्वर्ग लोक में निवास पाकर सुख भोगता है।’’ 

प्रकृति में पेड़-पौधे बिना किसी भेदभाव के मानव समुदाय को जीवन देते हैं, इसलिए हमें राखी का एक धागा बांधकर वृक्षों की रक्षा का संकल्प अवश्य लेना चाहिए।

अब पढ़ें रक्षाबंधन पर होने वाले चंद्र ग्रहण के बारे में 

चंद्र ग्रहण 2017


रक्षा बंधन के दिन 7 अगस्त 2017 सोमवार को आंशिक चंद्र ग्रहण घटित होगा। यह चंद्र ग्रहण मकर राशि और श्रवण नक्षत्र में लगेगा। श्रवण नक्षत्र का स्वामी चंद्रमा है इसलिए वे लोग जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर है उनके लिए यह ग्रहण कष्टकारी रह सकता है। सोमवार को होने वाले चंद्र ग्रहण को चूड़ामणि संज्ञक कहा गया है। चूड़ामणि ग्रहण में होने वाला पूजा-पाठ, यज्ञ दान पुण्य अति फलदायी माना जाता है।

चंद्रग्रहण का समय और दृश्यता: यह चंद्रग्रहण भारत समेत यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, पूर्वी दक्षिण अमेरिका आदि क्षेत्रों में दिखाई देगा। चूंकि यह ग्रहण भारत में दृश्य है इसलिए इसका सूतक मान्य होगा। चंद्र ग्रहण का समय और समाप्तिकाल इस प्रकार है: 


चंद्र ग्रहण (7 अगस्त 2017)
ग्रहण आरंभ
मध्य अवधि
ग्रहण समाप्ति
कुल समय
भारत में दृश्यता
22:52
23:50
24:48:00
1 घंटा 56 मिनट
दृश्य है

जानें विभिन्न राशियों पर क्या होगा चंद्र ग्रहण का प्रभाव: चंद्र ग्रहण 2017 

ग्रहण का सूतक


चंद्रग्रहण का सूतक 7 अगस्त सोमवार को दोपहर 1 बजकर 52 मिनट पर शुरू हो जाएगा और रात्रि 12:48 पर ग्रहण की समाप्ति पर स्नान के बाद सूतक काल समाप्त हो जाएगा। ग्रहण शुरू होने से पहले स्नान, मध्य में हवन,पूजा-पाठ और समाप्ति के बाद दान पुण्य और स्नान करना चाहिए।

जानें वर्ष 2017 में घटित होने वाले ग्रहण और पढ़ें ग्रहण में क्या करें, क्या नहीं करें?: सूर्य-चंद्र ग्रहण की तिथि व सावधानियां

हम आशा करते हैं कि रक्षाबंधन और चंद्रग्रहण पर आधारित यह लेख आपको जरूर पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को सुखद भविष्य की शुभकामनाएं।

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