आजादी के 70 साल, चुनौतियां अभी बाकी हैं! पढ़ें भारत की आजादी के 70 साल पर एक विशेष ज्योतिषीय लेख, साथ ही जानें श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व का महत्व।
15 अगस्त 2017 को भारत अपने स्वतंत्रता दिवस की 70वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। इन 70 सालों में भारत ने तकनीक, आर्थिक, शिक्षा, रक्षा और ऊर्जा समेत हर क्षेत्र में उन्नति की है लेकिन चुनौतियां अब भी बरकरार हैं। ऐसे में 15 अगस्त के बाद आने वाले समय में कैसी होगी भारत की तस्वीर? क्या आने वाले वक्त में देश के राजनीतिक हालात बदलेंगे, महंगाई कम होगी, रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और चीन व पाकिस्तान समेत अन्य पड़ोसी देशों से कैसे होंगे भारत के रिश्ते? आइये भारत वर्ष की कुंडली के आधार पर जानते हैं इन सभी मुद्दों का ज्योतिष विश्लेषण।
भारत को स्वतंत्रता 15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि में 12 बजे मिली थी, इसी समय आजाद भारत का जन्म हुआ। अत: इस समय के अनुसार भारत की जन्म कुंडली इस प्रकार है।
भारत वर्ष की कुंडली
इस कुंडली के अनुसार भारत वर्ष का वृषभ लग्न है और राहु लग्न भाव में स्थित है। मंगल द्वितीय भाव में बैठा हुआ है। शुक्र, बुध, सूर्य, चंद्रमा और शनि तृतीय भाव में स्थित हैं। वहीं बृहस्पति षष्ठम और केतु सप्तम भाव में बैठे हुए हैं। नवमांश कुंडली का लग्न मीन है, जो कि लग्न कुंडली में वृषभ से एकादश स्थान की राशि है। दोनों कुंडली की स्थिति सभी मामलों में लाभ और वृद्धि को दर्शाती हैं। वर्ष 1947 की शुरुआत से भारत वर्ष शनि, बुध, केतु, शुक्र और सूर्य की महादशा से गुजर चुका है। फरवरी 2017 से भारत पर चंद्रमा और राहु की दशा चल रही है। कुंडली के अनुसार चंद्रमा तृतीय भाव में कर्क राशि में स्थित है। वहीं राहु लग्न भाव में वृषभ राशि में बैठा है। तृतीय भाव साहस, पड़ोसी, परिवर्तन, चाल, संचार, महत्वाकांक्षा और मानसिक झुकाव को दर्शाता है। वहीं लग्न भाव स्वयं के शरीर, व्यक्तित्व और सुरक्षा का प्रतिनिधित्व करता है। चंद्रमा जो कि तृतीय भाव का स्वामी होकर तृतीय भाव में स्थित है। यह स्थिति अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आक्रामक छवि और आत्म विश्वास को दर्शाती है।
क्या भारत की आर्थिक स्थिति होगी मजबूत?
अगस्त 2017 से अगस्त 2018 के बीच में भारत की अर्थव्यवस्था में जबरदस्त उछाल आएगा और आयात व निर्यात बढ़ेगा। बहुराष्ट्रीय कंपनी और विदेशी संस्थाओं के आगमन से अर्थव्यवस्था में और सुधार होगा। इस साल महंगाई नियंत्रण में रहेगी हालांकि जनता इससे संतुष्ट नहीं होगी। रोजगार बढ़ेगा लेकिन उसी अनुपात में बेरोजगारी भी बढ़ेगी। इस बीच निवेश को बढ़ाने के लिए आर्थिक और वाणिज्य से संबंधित कई बिल संसद में पेश होंगे। हाउस होल्ड आइटम्स, अल्ट्रा मॉर्डन टेक्नोलॉजी, फैशन और कॉस्मेटिक के क्षेत्र में अच्छी तेजी देखने को मिलेगी।
चीन और पाकिस्तान करेंगे परेशान
भारत की कुंडली में चंद्रमा तृतीय भाव का स्वामी होकर तृतीय भाव में बैठा है। यह स्थिति दर्शाती है कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रभाव बढ़ेगा। राहु का गोचर कर्क राशि में होने से पड़ोसियों से विशेषकर चीन और पाकिस्तान से कुछ समस्याएं हो सकती हैं लेकिन भारत अपने दृंढ इच्छा शक्ति से अपना प्रभाव जमाने में कामयाब रहेगा। इसके अतिरिक्त विभिन्न मामलों में इंटरनेशनल लेवल पर भारत के राजनयिक कौशल का असर देखने को मिलेगा।
क्या बदलेंगे देश के राजनीतिक हालात ?
15 अगस्त 2017 के बाद राहु के प्रभाव से भारतीय राजनीति में कई आश्चर्यजनक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। राजनीतिक दलों को लेकर जनता में असंतोष की भावना बढ़ सकती है। सियासी दल और सरकारों के खिलाफ तरह-तरह की आवाज़ें बुलंद होंगी। देश की सियासत में सांप्रदायिक मुद्दों को लेकर अधिक हलचल रहेगी।
दुर्घटना और अपराध
चंद्रमा के कर्क राशि में और राहु के वृषभ राशि में स्थित होने से जल और भूमि संबंधी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। ऐसे में बाढ़, भूस्खलन, भूकंप, फसलों को नुकसान, पानी की कमी, भूमि संबंधी विवाद, पानी से जनति बीमारी और नदियों से जुड़े विवाद हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त महिलाओं के खिलाफ हिंसा में वृद्धि होने की संभावना है।
अब पढ़ें वैष्णव मत के अनुसार आज मनाई जा रही श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष लेख
(नोट- वैष्णव पंथ के अनुयायी 15 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मना रहे हैं, जबकि स्मार्त संप्रदाय ने 14 अगस्त को जन्माष्टमी पर्व मनाया है।)
जन्माष्टमी का पावन पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। भगवान श्री कृष्ण ने देवकी एवं वसुदेव की आठवीं संतान के रूप में जन्म लिया था। श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था इसलिए इस दिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
जन्माष्टमी व्रत एवं नियम-
- जन्माष्टमी का प्रारंभ व्रत और पूजा के साथ अष्टमी को होता है जबकि नवमी को पारणा के साथ इसका समापन किया जाता है।
- इस दिन भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है।
- जन्माष्टमी व्रत में भोजन के रूप में अनाज को ग्रहण नहीं करें, बल्कि दूध, फलाहार लें और भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद मध्य रात्रि को व्रत खोलें।
विस्तार से जानें: जन्माष्टमी पूजा विधि
जन्माष्टमी का महत्व-
शास्त्रों के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत एवं पूजन का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण जी ऐसे अवतार हैं जिनके दर्शन मात्र से प्राणियों के सारे दुख और पाप मिट जाते हैं। शास्त्रों में जन्माष्टमी के व्रत को व्रतराज कहा गया है। जो भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ इस व्रत का पालन करते हैं उन्हें महापुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा संतान प्राप्ति, वंश वृद्धि और पितृ दोष से मुक्ति के लिए जन्माष्टमी का व्रत एक वरदान है।
एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !
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