सूर्य ग्रहण-सोमवती अमावस्या आज, जानें महत्व

पढ़ें सूर्य ग्रहण के शुभ और अशुभ प्रभाव! पढ़ें 21 अगस्त को होने वाले सूर्य ग्रहण का महत्व और विभिन्न राशियों पर होने वाला इसका प्रभाव। इस लेख के अंत में पढ़ें आज मनाई जा रही सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व।

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सूर्य ग्रहण मघा नक्षत्र और सिंह राशि में लग रहा है। मघा केतु का नक्षत्र है इसलिए इस नक्षत्र से संबंधित राशि वाले लोगों के लिए यह ग्रहण परेशानियों का कारण बन सकता है। हालांकि हर राशि पर ग्रहण का प्रभाव भिन्न-भिन्न होता है। यह इस साल का दूसरा एवं अंतिम सूर्य ग्रहण है।

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जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष है या राहु-केतु की दशा-अंतर्दशा चल रही है या जिनकी कुंडली में सूर्य या चंद्र ग्रहण दोष बना हुआ है उन पर भी ग्रहण का ज्यादा असर होगा, ग्रहण का प्रभाव 30 दिनों तक रहता है।

पढ़ें, ग्रहण में क्या करें और क्या ना करें?: ग्रहण से संबंधित सावधानियां

सूर्य ग्रहण की दृश्यता: यह सूर्य ग्रहण यूएसए में पूर्ण ग्रहण के रूप में दिखाई देगा जबकि जबकि उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भाग, पश्चिमी यूरोप, उत्तर-पश्चिम एशिया और अफ्रीका के कुछ भाग में आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। 
(यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा)

सूर्य ग्रहण का समय और समाप्तिकाल:

ग्रहण प्रारंभ
खग्रास प्रारंभ
परमग्रास प्रारंभ
खग्रास समाप्त
ग्रहण समाप्त
21ः16
22ः18
23ः51
01ः32
02ः34

नोटः उपरोक्त समय भारतीय मानक समयानुसार है।

ग्रहण का प्रभाव


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य अपनी राशि सिंह में मज़बूत स्थिति में है। वहीं चंद्रमा भी सिंह राशि में स्थित है। सूर्य एवं चंद्रमा दोनों ही ग्रह राहु के समीप है और राहु कर्क राशि में प्रवेश कर चुका है। यह सिंह राशि में सूर्य एवं चंद्रमा पर बुरा प्रभाव डालने में सक्षम है। इस दौरान जल संकट, फसलों का नुकसान, प्रशासकीय कार्यों में कठिनाई, राजनैतिक क्षेत्र में भ्रम, सत्ता पक्ष के लिए चुनौतियाँ, जनता में असंतोष, आर्थिक क्षेत्र में उतार-चढ़ाव, स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों (हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, मानसिक विकार) आदि का सामना करना पड़ सकता है।

जानें विभिन्न राशियों पर क्या होगा सूर्य ग्रहण का प्रभाव: सूर्य ग्रहण राशिफल

ग्रहण का सूतक 


भारत में यह सूर्य ग्रहण नहीं दिखाई देगा इसलिए इस सूर्य ग्रहण का सूतक और धार्मिक महत्व भारत में मान्य नहीं होगा। हालांकि जिन देशों में यह ग्रहण दिखाई देगा वहां इसका धार्मिक प्रभाव और सूतक माना जाएगा। ग्रहण का सूतक वृद्ध, बच्चों और रोगियों पर मान्य नहीं होता है।

ग्रहण के समय रखें इन बातों का ध्यान:

  1. ग्रहण से पूर्व स्नान, मध्य में हवन, पूजा-पाठ और समाप्ति पर दान पुण्य करें।
  2. देवी-देवताओं की मूर्ति और तुलसी के पौधे का स्पर्श न करें।
  3. ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान के बाद भगवान की मूर्तियों को स्नान कराएं और पूजा करें।
  4. सूतक काल समाप्त होने के बाद ताज़ा भोजन करें।
  5. सूतक काल के पहले तैयार भोजन को बर्बाद नहीं करें, बल्कि उसमें तुलसी के पत्ते डालकर भोजन को शुद्ध करें।
  6. ग्रहण के समय गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकलें। किसी भी वस्तु को काटने, छीलने के लिए सुई, कैंची, चाकू आदि का उपयोग न करें।
  7. सूर्य ग्रहण के समय इस मंत्र का जप करें-

"ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ”

अब पढ़ें सोमवती अमावस्या पर विशेष लेख। आज सोमवती अमावस्या मनाई जा रही है। जानें इस अमावस्या पर पितृ पूजन का महत्व।

सोमवती अमावस्या


सोमवती अमावस्या यानि सोमवार के दिन आने वाली अमावस्या। हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का बड़ा महत्व है। खास बात है कि यह साल में केवल दो बार ही आती है। इस वर्ष यह 21 अगस्त और 18 दिसबंर को मनाई जाएगी। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है इसलिए सोमवती अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन पितृों को तर्पण किया जाता है। पितृ दोष की पूजा के लिए इस दिन का विशेष महत्व बताया गया है। 

सोमवती अमावस्या का महत्व


सोमवती अमावस्या पर दान-धर्म और पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन महिलाएं पीपल के वृक्ष की परिक्रमा और पूजन करती हैं। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार में पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करने से जीवन में सुख-शांति आती है। वैसे तो हर अमावस्या पर पितृों का तर्पण किया जाता है लेकिन सोमवती अमावस्या के अवसर पर पितृ पूजन का अधिक महत्व है। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या का व्रत करने से घर में सुख-शांति और खुशहाली आती है। 

सोमवती अमावस्या पूजन विधि

  1. प्रात:काल मौन रहकर नदी में स्नान करने से पितृों को शांति मिलती है। यदि संभव हो तो इस दिन मौन व्रत रखें।
  2. सूर्य देव और तुलसी को जल अर्पित करें, साथ ही गाय को दही और चावल खिलाएं।
  3. विवाहित महिलाएं पीपल के वृक्ष की विधिवित तरीके से पूजन और परिक्रमा करें।
  4. इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें।
  5. वस्त्र और अन्न का दान करें। 

हम आशा करते हैं कि सूर्य ग्रहण और सोमवती अमावस्या पर हमारा यह लेख आपको जरूर पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को सुखद भविष्य की शुभकामनाएं!

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4 comments:

  1. Nice information shared.Thanks.

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  2. Nice information ,but please update these kind information one or two days erlier so that we can follow it ,yesterday i saw their were no updates and when i checked in the morning some of the ritual got missed so please make sure to update one or two days erlier it will be very much helpfull

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  3. आपका यह लेख बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक है लेकिन कृपया इस तरह की जानकारी एक या दो दिन पूर्व दें तो अच्छा होगा ताकि इसे अमल मे लाया जा सके ।

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