आज होने वाली सूर्यग्रहण की घटना बहुत ही अद्भुत और अलग होने जा रही है क्योंकि इस बार ऐसा त्रिकोणीय साया बनने वाला है जिसमें सूर्यग्रहण, सुपरमून, और सम्पात का बेहद ही शानदार नज़ारा दुनिया के सामने पेश होगा I इस लेख के ज़रिये हम आपको सूर्य ग्रहण के समय, बचाव के उपायों के साथ-साथ और भी बहुत कुछ बताएँगे।
जैसा कि हमने पहले ही कहा कि सूर्यग्रहण की रात को सुपरमून का योग बनेगा। इस समय रात-दिन अवधि में एक बराबर होंगे। आइये अब आपको बताते हैं कि क्या होता है सुपरमून, सूर्यग्रहण, और सम्पात।
क्या होता है सुपर मून?
सुपर मून दरअसल पूरे चाँद को कहा जाता है, जिसमें वह अपनी परिधि में पृथ्वी के सबसे पास पहुँच जाता है। चूंकि उस वक्त चंद्रमा आम दिनों के मुकाबले पृथ्वी से ज्यादा करीब रहता है, इसलिए यह न सिर्फ अधिक बड़ा दिखता है, बल्कि खूब चमकता भी है। वैज्ञानिक कहते हैं कि इस स्थिति में चांद अपनी सामान्य अवस्था से 12 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चमकीला दिखाई पड़ता है।
क्या होता है सूर्य ग्रहण?
सूर्य ग्रहण तब होता है, जब सूर्य आंशिक अथवा पूर्ण रुप से चंद्रमा द्वारा छुपा दिया जाता है I इस प्रकार के ग्रहण के लिये चंद्रमा का पृथ्वी और सूर्य के बीच आना आवश्यक है, इससे पृ्थ्वी पर रहने वाले लोगों को सूर्य का छिपा हुआ भाग नहीं दिखाई देता है I
क्या होता है सम्पात?
जब दिन और रात की अवधि एक बराबर होती है तब उस दिन को सम्पात कहा जाता है I साल में दो बार 21 मार्च और 23 सितम्बर को सम्पात का योग बनता हैI
ग्रहण का वक़्त और स्थान
तारीख़
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ग्रहण का प्रकार
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भारत में दृश्यता
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दृश्यता के क्षेत्र
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समय
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मार्च 20, 2015
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पूर्ण सूर्य ग्रहण
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नहीं
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स्वालबार्ड और फरोए द्वीप, आइसलैंड, यूरोप, उत्तर और पूर्वी एशिया, और उत्तर और पश्चिमी अफ्रीका
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11:10 - 01:15
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त्रिकोणीय सूर्यग्रहण से रक्षा हेतु 8 सरल उपाय
- ग्रहण लगने से पूर्व स्नान करके भगवान का पूजन, यज्ञ, जप करना बहुत ही फलदायी साबित होगा।
- भगवान वेदव्यास जी के अनुसार चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म एक लाख गुणा और सूर्य ग्रहण में दस लाख गुणा फलदायी होता है। यदि गंगा जल पास में हो तो पुण्यकर्म का फल चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुणा और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुणा बढ़ जाता है।
- ग्रहण के समय अपने गुरुमंत्र, इष्टमंत्र का जप अवश्य करें। जप न करने से आपके मंत्र को मलिनता प्राप्त होगी।
- ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके ब्राहमण को दान देने से कष्टों का निवारण किया जा सकता है।
- ग्रहण के प्रकोप को कम करने के लिए बासा पानी, अन्न नष्ट कर नया भोजन और ताज़ा पानी पीया जाना बहुत ज़रूरी है।
- ग्रहण-काल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धोना और स्वयं भी स्नान करना बेहद ज़रूरी समझा जाता है।
- ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, ज़रूरतमंदों को वस्त्र दान देने से अनेक गुणा पुण्य प्राप्त होता है।
- ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्री को कैंची, चाकू आदि से कुछ भी काटने को मना किया जाता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से शिशु पर ग्रहण के दुष्प्रभाव की आशंका बहुत गुना बढ़ जाती है।
इन सरल-सी बातों को अपना कर त्रिकोणीय सूर्यग्रहण के प्रकोप से आराम से खुद को बचा सकते हैं। साथ ही ज़्यादा-से-ज़्यादा शेयर करके आप आपने परिजनों की भी सहायता कर सकते हैं।
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