क्या असफलता मिलने से निराश हैं,बनते काम बिगड़ जाते हैं? कड़ी मेहनत के बावजूद आपको सफलता नहीं मिल रही है? पैसे की कमी रहती है? क्या आपकी सेहत भी आपका साथ नहीं दे रही है? ऐसे में मुमकिन है कि आप शनि देव की वक्र दृष्टि के शिकार हों। तो अभी जानिये 6 सरल उपाय जो बचाएंगे आपको शनि के क्रोध से और दिलाएंगे जीवन में क़ामयाबी...
शास्त्रों में शनि देव के क्रोध के अनेक उदाहरण मिलते हैं। कहते हैं कि मेघनाद की कुंडली में रावण ने सारे ग्रहों को पकड़कर सबसे शुभ माने जाने वाले 11वें भाव में क़ैद कर दिया था। लेकिन त्रिलोक को जीतने वाला रावण भी शनि देव को रोक न सका और उन्होंने धीरे-से अपना पैर अनिष्ट-कारक 12वें भाव में बढ़ा दिया। शनि देव के इस कार्य की ही वजह से अपराजेय समझा जाने वाले मेघनाद का अंत बुरा हुआ।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार भिन्न-भिन्न भावों में शनि का फल भी भिन्न-भिन्न होता है। शनि सूर्य पुत्र के नाम से विख्यात हैं। कहते हैं कि शनि जिसे चाहे राजा से रंक बना देता है और रंक से राजा। आइए देखते हैं क्या हैं वे 6 अचूक उपाय जो शनि के प्रकोप को शान्त कर उनकी कृपा-दृष्टि को आकर्षित करते हैं –
1. हनुमान चालीसा का पाठ
हनुमान चालीसा का नियमित पाठ शनिदेव के प्रकोप से बचने का रामबाण उपाय है। अगर आप पर शनि की ढैया या साढे साती चल रही है और शनि द्वारा दिए कष्टों से पीड़ित हैं, तो हनुमान चालीसा का पाठ आपके लिए अचूक उपाय की तरह है। कहा जाता है कि हनुमान जी ने शनि देव को लंका में दशग्रीव के बंधन से मुक्त कराया था। ऐसा भी कहा गया है कि कलियुग में अभिमानवश एक बार शनिदेव हनुमान जी के पास गए और बोले - “तुमने मुझे त्रेता में ज़रूर बचाया था, लेकिन अब यह कलिकाल है। मुझे अपना काम करना ही पड़ता है। इसलिए आज से तुम्हारे ऊपर मेरी साढ़े साती शुरू हो रही है। मैं तुम पर आ रहा हूँ।” यह कहते हुए वे हनुमान जी के मस्तक पर सवार हो गए। शनिदेव के कारण हनुमान जी को सर पर खुजली होने लगी, जिसे मिटाने के लिए उन्होंने सर पर एक विशाल पर्वत रख लिया। जिसके नीचे शनिदेव दब गए और “त्राहि माम् त्राहि माम्” चिल्लाने लगे। उन्होंने हनुमान जी से याचना की और कहा कि वे आगे से उन्हें या उनके भक्तों को कभी परेशान नहीं करेंगे। हनुमान चालीसा हनुमान जी के स्तोत्रों में बहुप्रचलित और अनन्त शक्ति संपन्न है। इसका पाठ शनि के सभी कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला कहा गया है।
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2. शनि मंत्र का जाप
कहते हैं कि मन्त्रों में इतनी शक्ति होती है कि उनका सही उपयोग मरे हुए को भी ज़िन्दा कर सकता है। हर देवता का अपना मन्त्र होता है, जिसको विधि-पूर्वक जपना उस देवता को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीक़ा है। शनि देव के निम्न मंत्र का 40 दिनों में 19,000 बार जप साढ़ेसाती में बहुत लाभ देता है -
“ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनिश्चराय नमः”
शनि-मंत्र के बीज अक्षरों की अपरिमित शक्ति ढैया और साढ़े साती के ताप का शमन करती है। शनि देव के इस मन्त्र का लाभ सभी को लेना चाहिए। साथ ही दशरथ कृत शनि स्तोत्र भी शनि के दुष्प्रभावों से बचने का बेहतरीन उपाय है।
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3. तिल, तेल और छाया पात्र का दान
तिल, तेल और छाया पात्र दान शनिदेव को अत्यन्त प्रिय हैं। इन चीज़ों का दान शनि की शान्ति का प्रमुख उपाय है। मान्यता है कि यह दान शनि देव द्वारा दिए जाने वाले कष्टों से निजात दिलाता है। छाया पात्र दान की विधि बहुत ही सरल है। मिट्टी के किसी बर्तन में सरसों का तेल लें, उसमें अपनी छाया देखकर उसे दान कर दें। यह दान शनि के आपके ऊपर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को दूर कर उनका आशीर्वाद प्रदान करता है।
4. धतूरे की जड़ धारण करें
वैदिक ज्योतिष में विभिन्न जड़ों की मदद से ग्रहों की शान्ति का विधान है। कई ज्योतिषियों का मानना है कि रत्न धारण करना नुक़सान भी पहुँचा सक्ता है, लेकिन जड़ धारण करने से ऐसी आशंका नहीं रहती है। रत्न ग्रह की शक्ति बढ़ाने का काम करते हैं, वहीं जड़ियाँ ग्रहों की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में मोड़ने का कार्य करती हैं। शनि देव को प्रसन्न कर उनकी कृपा पाने के लिए ग्रन्थों में धतूरे की जड़ को धारण करने की सलाह दी गई है। धतूरे की जड़ का छोटा-सा टुकड़ा गले या हाथ में बांधकर धारण किया जा सकता है। इस जड़ी को धारण करने से शनि की ऊर्जा आपको सकारात्मक रूप से मिलने लगेगी और जल्दी ही आपको ख़ुद फर्क महसूस होगा।
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5. सात मुखी रुद्राक्ष धारण करें
जड़ियों की ही तरह रुद्राक्ष को भी हानि रहित उपाय की मान्यता प्राप्त है। सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना न सिर्फ़ भगवान शिव को प्रसन्न करता है, बल्कि शनि देव का आशीर्वाद भी दिलाता है। पुराणों के अनुसार सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं रहती है और लक्ष्मी माता की कृपा हमेशा बनी रहती है। साथ ही सेहत से जुड़ी समस्याओं में भी इसे बहुत प्रभावी माना जाता है। इस रुद्राक्ष को सोमवार या शनिवार के दिन गंगा जल से धोकर धारण करने से शनि जनित कष्टों से छुटकारा मिलता है और समृद्धि प्राप्त होती है।
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6. नाव की कील का छल्ला और काले घोड़े की नाल
नाव की कील का छल्ला और काले घोड़े की नाल भी शनि देव के दुष्प्रभावों से बचने के कारगर उपाय हैं। यदि आप शनि की अंतर्दशा या महादशा से गुजर रहे हैं और इस दौरान मिलने वाले कष्टों और असफलता से परेशान हैं, तो नाव की कील का छल्ला धारण करें। इसके प्रभाव से शनि जनित कष्टों में कमी आएगी। वहीं यदि आपके घर व ऑफिस पर किसी की बुरी नजर है, तो काले घोड़े की नाल घर या दफ्तर में लगाएं। इसके प्रभाव से घर और ऑफिस में सुख, शांति व समृद्धि रहेगी।
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यहाँ बताए गए ये छोटे-छोटे उपाय करने में सरल हैं और जल्दी असर दिखाते हैं। अगर श्रद्धा के साथ इन उपायों को किया जाए, तो शनि देव की वक्र दृष्टि से बचकर उनकी कृपा सहज ही हासिल की जा सकती है। इन सरल उपायों को अपनाएं और शनि देव के आशीष से अपना जीवन सुखमय बनाएँ।
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