माघ पूर्णिमा कल, जानें मुहूर्त

पढ़ें स्नान,दान और व्रत की विधि व नियम! जानें माघ पूर्णिमा का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व। साथ ही पढ़ें इस दिन गंगा स्नान से होने वाले लाभ।


हिन्दू धर्म में माघ मास का विशेष महत्व होता है। क्योंकि यह महीना दान-पुण्य, धर्म-कर्म और त्याग का माह होता है। मघा नक्षत्र के नाम पर इसे माघ महीना कहते हैं। इसी माह में आने वाली पूर्णिमा की तिथि को माघ या माघी पूर्णिमा कहा जाता है। 2018 में माघ पूर्णिमा 31 जनवरी को पड़ रही है। इसी दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भी दिखाई देगा। माघ पूर्णिमा के दिन गंगा, यमुना और किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान का विशेष महत्व बतलाया गया है, साथ ही दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि माघ स्नान करने वाले मनुष्यों को सुख, संपत्ति, संतान और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

माघ पूर्णिमा और धार्मिक कर्म


माघ पूर्णिमा पर व्रत, स्नान, दान और जप की विशेष महिमा बतलाई गई है। इसलिए इस दिन प्रयाग में गंगा स्नान करने से समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। यदि माघ पूर्णिमा के दिन पुष्य नक्षत्र हो तो इस तिथि का महत्व और बढ़ जाता है। माघ पूर्णिमा का व्रत रखने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस दिन दान में तिल और काले तिल विशेष रूप से दान में देना चाहिए। माघ माह में काले तिल से हवन और काले तिल से पितरों का तर्पण करना चाहिए।
विस्तार से जानें माघ पूर्णिमा व्रत के नियम: व्रत और पूजा विधि

ज्योतिषीय महत्व


हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष में पूर्णिमा की तिथि शुभ मानी गई है। पूर्णिमा पर चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है। मान्यता है कि चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से शोभायमान होकर अमृत की वर्षा करते हैं। इसके अंश वृक्षों, नदियों, जलाशयों और वनस्पतियों में होते हैं इसलिए इनमें सारे रोगों से मुक्ति दिलाने वाले गुण मौजूद होते हैं। मान्यता यह भी है कि माघ पूर्णिमा में स्नान दान करने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है।

हम आशा करते हैं कि माघ पूर्णिमा के धार्मिक महत्व पर आधारित यह लेख आपको अवश्य पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को माघ पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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