इन 7 राशियों को होगा विशेष लाभ! पढ़ें सूर्य के मकर राशि में होने वाले गोचर का ज्योतिषीय प्रभाव और जानें मकर संक्रांति पर क्या है स्नान और दान का महत्व?
नवग्रहों का स्वामी सूर्य ग्रह 14 जनवरी को मकर राशि में गोचर करेगा और एक महीने की अवधि के बाद 13 फरवरी मंगलवार को 03:02 बजे कुंभ राशि में संचरण करेगा। आईये जानते हैं सूर्य के मकर राशि में गोचर का समस्त राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा :-
यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। चंद्र राशि कैल्कुलेटर से जानें अपनी चंद्र राशि।
मेष
व्यावसायिक और सामाजिक क्षेत्र में मान-सम्मान बढ़ेगा। अपार शक्ति का अनुभव होगा और परिस्थितियों पर नियंत्रण करने में सफल रहेंगे। आगे पढें...
वृषभ
अपने लक्ष्य को पाने की दिशा में आप तेज़ी से बढ़ेंगे। व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन से जुड़े फैसले स्वतंत्र होकर लेने की कोशिश करें।आगे पढें...
मिथुन
ऊर्जा और मनोबल में कमी आ सकती है। कोई भी कार्य करने से पहले अच्छे से सोचें और फिर आगे बढ़ें। विवाद होने की भी संभावना है। आगे पढें...
कर्क
कर्क राशि के जातकों के आचरण और व्यवहार में कड़वाहट और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है। जीवनसाथी के व्यवहार में परिवर्तन देखने को मिलेगा। आगे पढें...
सिंह
सिंह राशि के जातक अपनी सेहत का खास ख्याल रखें। क्योंकि इस गोचर की वजह से आपके स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है। आगे पढें...
कन्या
वे जातक जो उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने के इच्छुक हैं। इस गोचर के प्रभाव से उनकी यह मनोकामना पूरी होगी। आगे पढें...
तुला
पारिवारिक जीवन में अशांति रह सकती है। क्रोध और बेसब्र स्वभाव की वजह से प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में कुछ मुद्दे और मतभेद उभर सकते हैं।आगे पढें...
वृश्चिक
अति आत्म विश्वासी होने से बचें वरना ये अति आत्म विश्वास आपके लिए घातक साबित हो सकता है। आगे पढें...
धनु
गोचर धनु राशि के जातकों के लिए लाभकारी रहेगा। इस दौरान आपको आर्थिक फायदे होंगे। आपके ग़लत व्यवहार से दूसरों को तकलीफ पहुँच सकती है। आगे पढें...
मकर
आपके अंदर क्रोध और अहंकार की प्रवृत्ति बढ़ सकती है। इससे वैवाहिक जीवन पर बुरा असर पड़ सकता है। आगे पढें...
कुंभ
लंबी दूरी की यात्रा पर जा सकते हैं। वे लोग जो विदेश यात्रा पर जाने के इच्छुक हैं उनकी यह मनोकामना पूरी होने की संभावना नज़र आ रही है। आगे पढें...
मीन
मीन राशि के जातकों के लिए गोचर लाभकारी रहने वाला है। आप अन्य लोगों की बातों को छोड़कर खुद पर फोकस करेंगे।आगे पढें...
मकर संक्रांति 2018
मकर संक्रांति हिन्दू धर्म से जुड़ा एक प्रमुख पर्व है। यह पर्व मुख्यतः सूर्य के राशि परिवर्तन करने पर मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार जब पौष मास में सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि हर साल सामान्यतः 14 जनवरी को आती है। इसी दिन से सूर्य देव की उत्तरायण गति प्रारंभ हो जाती है, इसलिए भारत के कुछ इलाकों में इसे उत्तरायण पर्व के तौर पर मनाया जाता है। दक्षिण भारत के राज्यों में मकर संक्रांति को पोंगल पर्व के तौर पर मनाया जाता है। मकर संक्रांति से ही मौसम में बदलाव होने लगता है। शरद ऋतु धीरे-धीरे कम होने लगती है और बसंत ऋतु का आगमन हो जाता है। इसके बाद से ही दिन लंबे होने लगते हैं और रातें छोटी हो जाती है।
यह जानना भी ज़रूरी है- सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के 17 दिन बाद चंद्र ग्रहण घटित होगा। माना जा रहा है कि 150 साल से भी ज्यादा समय के बाद 31 जनवरी 2018 को दुर्लभ पूर्ण चंद्र ग्रहण घटित होगा खगोल विज्ञान के अनुसार इस चंद्र ग्रहण को “ब्लू मून” कहते हैं। यह चंद्र ग्रहण भारत समेत दुनिया के कई देशों देखा जाएगा और सभी जगहों पर इसका व्यापक असर होगा।
मकर संक्रांति का धार्मिक और पौराणिक महत्व
भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक नजरिये से मकर संक्रांति का बड़ा ही महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। चूंकि शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी है। लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है।
एक अन्य कथा के अनुसार असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाई जाती है। बताया जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा।
विस्तार से जानें मकर संक्रांति पर्व से जुड़ी परंपरा और मुहूर्त: मकर संक्रांति
मकर संक्रांति क्यों है महत्वपूर्ण- 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में गोचर करेगा। मकर शनि की राशि है और शनि देव, सूर्य देव के पुत्र हैं लेकिन सूर्य और शनि पिता-पुत्र होने के बावजूद आपस में शत्रुता रखते हैं, इसलिए सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से कुछ हलचल देखने को मिल सकती है।
विस्तार से जानें: सूर्य के मकर राशि में होने वाले गोचर का राशिफल
पोंगल
पोंगल दक्षिण भारत में विशेषकर तमिलनाडु, केरल और आंध्रा प्रदेश में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है। पोंगल विशेष रूप से किसानों का पर्व है। इस मौके पर धान की फसल कटने के बाद लोग खुशी प्रकट करने के लिए पोंगल का त्यौहार मानते हैं। पोंगल का त्यौहार ’तइ’ नामक तमिल महीने की पहली तारीख यानि जनवरी के मध्य में मनाया जाता है। 3 दिन तक चलने वाला यह पर्व सूर्य और इंद्र देव को समर्पित है। पोंगल के माध्यम से लोग अच्छी बारिश, उपजाऊ भूमि और बेहतर फसल के लिए ईश्वर के प्रति आभार प्रकट करते हैं। पोंगल पर्व के पहले दिन कूड़ा-कचरा जलाया जाता है, दूसरे दिन लक्ष्मी की पूजा होती है और तीसरे दिन पशु धन को पूजा जाता है।
पढ़ें पोंगल पर्व पर होने वाले धार्मिक कर्म और आयोजन: पोंगल
उत्तरायण
उत्तरायण खासतौर पर गुजरात में मनाया जाने वाला पर्व है। नई फसल और ऋतु के आगमन पर यह पर्व 14 और 15 जनवरी को मनाया जाता है। इस मौके पर गुजरात में पतंग उड़ाई जाती है साथ ही पतंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जो दुनियाभर में मशहूर है। उत्तरायण पर्व पर व्रत रखा जाता है और तिल व मूंगफली दाने की चक्की बनाई जाती है।
वैदिक ज्योतिष में सूर्य- सूर्य को आत्मा, पिता, पूर्वज, उच्च सरकारी सेवा और सम्मान का कारक माना गया है इसलिए सूर्य के राशि परिवर्तन बड़ा महत्व होता है। जन्म कुंडली में सूर्य की शुभ स्थिति मनुष्य को उन्नति प्रदान करती है। वहीं सूर्य के अशुभ प्रभाव से सम्मान की हानि, पिता को कष्ट और उच्च पद प्राप्ति आदि में बाधा होती है। सूर्य की आराधना से इसके अशुभ प्रभावों से बचा जा सकता है।
हिंदू धर्म में उत्तरायण काल का महत्व
हिंदू धर्म में सूर्य का दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर गमन करना बेहद शुभ माना गया है। मान्यता है कि जब सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर चलता है, इस दौरान सूर्य की किरणों को खराब माना गया है, लेकिन जब सूर्य पूर्व से उत्तर की ओर गमन करने लगता है, तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं।
एस्ट्रोसेज की ओर से आप सभी को मकर संक्रांति पर्व की शुभकामनाएं! हम आशा करते हैं कि आपके जीवन में शांति और समृद्धि आये।
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