सूर्य देव को इस शुभ समय में अवश्य चढ़ाएँ जल! पढ़ें सूर्य सप्तमी का धार्मिक व ज्योतिषीय महत्व और जानें सूर्य पूजन की विधि व नियम।
रथ सप्तमी या सूर्य सप्तमी वह तिथि है जब सूर्य देव ने ब्रह्मांड को अपने दिव्य तेज से प्रकाशमान किया था। माघ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली सप्तमी की तिथि को रथ सप्तमी, माघ सप्तमी या सूर्य सप्तमी कहा जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार साल 2018 में यह तिथि 24 जनवरी को पड़ रही है।
मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य का जन्म हुआ था इसलिए इसे सूर्य जयंती के नाम से भी मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है।
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सूर्य सप्तमी पूजा विधि
सूर्य देव को नियमित जल चढ़ाने और उनकी उपासना करने से मनुष्य के अंदर आत्म विश्वास, आरोग्य, सम्मान और तीव्र स्मरण शक्ति की प्राप्ति होती है। रथ सप्तमी पर सूर्य देव के पूजन की विधि इस प्रकार है:
- सूर्य सप्तमी पर व्रत रखें और सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- इस दिन पवित्र नदी, सरोवर या घर पर स्नान के बाद एक कलश में जल लेकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके धीरे-धीरे सूर्य देव को जल चढ़ाएँ और सूर्य मंत्र “ॐ घृणि सूर्याय नमः” का जाप करें।
- सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद घी का दीपक जलाएं और कपूर, धूप जलाकर सूर्य देव की आरती करें व उन्हें लाल पुष्प चढ़ाएं।
- इस दिन आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ अवश्य करना चाहिए। इसके प्रभाव से आरोग्य की प्राप्ति होती है।
- सूर्य ग्रहण की तरह सूर्य सप्तमी के दिन भी दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है, इसलिए इस दिन सूर्य से संबंधित वस्तुओं का दान करें।
सूर्य पूजन का महत्व
हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष में सूर्य को देवता व नवग्रहों के राजा की उपाधि दी गई है। संसार में सूर्य के बिना जीवन के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती है, इसलिए सूर्य को जगत पिता कहा गया है। मान्यता है कि रोजाना सूर्य को जल चढ़ाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है और मानसिक चेतना मिलती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार रथ सप्तमी पर सूर्य भगवान की पूजा करने से जाने-अनजाने किए गए पापों से छुटकारा मिल जाता है और सूर्य से संबंधित सभी दोषों का प्रभाव कम होता है।
एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को सूर्य सप्तमी की हार्दिक शुभकामनाएँ! हम आशा करते हैं कि सूर्य देव की कृपा आप पर बनी रहे।
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