गुरु पूर्णिमा कल, चंद्रग्रहण का साया!

ग्रहण सूतक लगने से पहले करें पूजन, जानें समय। 27 जुलाई 2018 को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। पढ़ें इस पर्व का धार्मिक महत्व।


गुरु पूर्णिमा पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है। इस दिन गुरु व इष्ट देव की आराधना का विशेष महत्व है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व जुलाई या अगस्त महीने में आता है। इस साल गुरु पूर्णिमा उत्सव 27 जुलाई को मनाया जाएगा। इसी दिन साल का दूसरा चंद्रग्रहण भी घटित होगा, इसलिए गुरु पूर्णिमा पर होने वाली पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठान ग्रहण के सूतक लगने से पूर्व करने होंगे। 

विशेष: 27 जुलाई को चंद्रग्रहण का सूतक दोपहर 12:27 बजे से लग जाएगा, इसलिए गुरु पूर्णिमा पर होने वाली पूजा इस समय से पहले करना सही होगा।

हिंदू धर्म में गुरु का स्थान सर्वोच्च माना गया है, इस वजह से इस दिन गुरूदेव के पूजन का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचियता ऋषि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन व्यास जी की पूजा की जाती है और उनकी स्मृति में सभी लोग अपने गुरु, इष्ट और आराध्य देव की पूजा करते हैं।


पूजन विधि


आइये जानते हैं गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु देव को प्रसन्न करने के लिए कैसे करें उनका पूजन।

  • गुरु पूर्णिमा के दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें।
  • इसके बाद नए अथवा साफ कपड़े पहनकर गुरु के पास जाएं।
  • गुरु को ऊँचे सुसज्जित आसन पर बिठाकर पुष्प माला पहनाएं और फल आदि अर्पित करें। 
  • श्रद्धानुसार दक्षिणा देकर पूर्ण आस्था के साथ गुरु की पूजा करें तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। 
  • इस दिन गुरु(शिक्षक) के साथ-साथ जीवन का पाठ सिखाने वाले अन्य गुरु समान अग्रज लोग जैसे- माता-पिता, भाई-बंधु आदि का भी आदर-सम्मान करना चाहिए।
  •  इस दिन गुरु से गुरु मंत्र लेना चाहिए। साथ ही अपने इष्ट देव को भी गुरु के रूप में पूजना चाहिए।


गुरु पूर्णिमा का महत्व 


हमारे वेदों में गुरु को त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश से ऊपर बताया गया है क्योंकि वो गुरु ही है जो अपने शिष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का कार्य करता है, प्राचीन काल में गुरुकुल में निःशुल्क शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र, इसी दिन श्रद्धा व भक्ति के साथ अपने गुरु की पूजा-अर्चना किया करते थे। गुरु पूर्णिमा के दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का बहुत महत्व है। इसके अलावा गुरु पूर्णिमा के अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है, मंदिरों में पूजा-अर्चना होती है और जगह-जगह पर भंडारे व मेले लगते हैं। विद्यालयों व अन्य शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों द्वारा गुरु को सम्मानित किया जाता है।

हिन्दू धर्म और भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य की परंपरा सदियों से चली आ रही है। गुरु के प्रति आदर के इसी भाव को व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा का पर्व।

एस्ट्रोसेज की ओर सभी पाठकों को गुरु पूर्णिमा पर्व की शुभकामनाएँ!

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