भगवान शिव को करें प्रसन्न और पाएँ वरदान! 28 जुलाई 2018 से श्रावण मास की शुरुआत हो रही है। जानें भगवान शिव को प्रिय इस माह की महिमा और महत्व!
श्रावण मास
हिन्दू धर्म में श्रावण मास का विशेष महत्व है, विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना के लिए। क्योंकि सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले वर्ष का पांचवां महीना श्रावण मास है। इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार सावन का महीना जुलाई या अगस्त माह में आता है। श्रावण मास का आगमन वर्षा ऋतु के समय में होता है। यह वह समय होता है जब धरती पर चारों ओर हरियाली ही हरियाली होती है। सावन में स्नान और भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने का बड़ा महत्व है।
सावन के सोमवार की तारीख
सावन के सोमवार | दिनांक |
सावन माह प्रारंभ | 28 जुलाई 2018 |
सावन का पहला सोमवार | 30 जुलाई 2018 |
सावन का दूसरा सोमवार | 6 अगस्त 2018 |
सावन का तीसरा सोमवार | 13 अगस्त 2018 |
सावन का चौथा सोमवार | 20 अगस्त 2018 |
सावन माह का अंतिम दिन | 26 अगस्त 2018 |
सावन सोमवार व्रत व पूजा विधि
सावन का पूरा महीना भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं होता है। सावन के महीने में आने वाले प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, साथ ही सोमवार का व्रत रखा जाता है। देश के तमाम ज्योतिर्लिंग और शिवालयों में भगवान भोलेनाथ के भक्तों का तांता लगा रहता है। आइये जानते हैं शिव पूजन और सावन सोमवार की व्रत विधि।
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें।
- तत्पश्चात भगवान शिव का जल व दूध से अभिषेक करें।
- इसके बाद चंदन का तिलक लगाएं और बेल पत्र, धतूरा, फल, फूल आदि चढ़ाएँ।
- घी या तेल का दीया जलाएं।
- सावन सोमवार व्रत कथा व शिव चालीसा का पाठ करके मंगल आरती गाएं।
- व्रत के दिन सुबह और शाम भगवान शिव की आराधना करें।
- शाम को पूजा समाप्ति के बाद व्रत खोलें और भोजन करें।
भगवान भोलेनाथ को क्यों प्रिय है श्रावण मास?
सावन मास में किए जाने वाले सोमवार के व्रत भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इस संदर्भ में कई कथाएं हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए सावन मास में निराहार रहकर कठोर व्रत किया। इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनसे विवाह किया।
वहीं दूसरी कथा के अनुसार ऐसा भी माना जाता है कि इसी माह में भगवान शिव पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत जलाभिषेक आदि से किया गया था। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव हर वर्ष सावन मास में अपनी ससुराल आते हैं और पृथ्वी पर रहने वाले वासियों के लिए कृपा प्राप्त करने का यह सबसे उत्तम समय होता है।
सावन सोमवार व्रत का महत्व
सावन के महीने में जो भक्त भगवान शिव की श्रद्धाभाव के साथ पूजा-अर्चना करते हैं, उन्हें भगवान शिव की कृपा ज़रूर प्राप्त होती है। ऐसा भी माना जाता है कि विवाहित महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय व अविवाहित महिलाएं अच्छे वर की कामना के लिए इस व्रत को रखती हैं। वहीं सावन में भगवान शिव के पूजन व व्रत से लंबी आयु का वरदान भी प्राप्त होता है।
हम आशा करते हैं कि सावन के इस पवित्र माह में भगवान भोलेनाथ की कृपा आप पर बनी रहे। एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को अनंत शुभकामनाएँ!
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