ऑपरेशन के ज़रिए स्तन का हटवाना, क्या एंजिलिना जॉली का सही क़दम है?

पंडित हनुमान मिश्रा
4 जून 1975 को कर्क लग्न और मीन राशि में जन्मी एंजिलिना जोली ने स्‍वस्‍थ होने के बावजूद अपनी दोनों ब्रेस्‍ट को ऑपरेशन के जरिए हटवा दिया है। क्या यह इनका सही कदम है? हो सकता है कि एक डॉक्टर के नजरिए से यह एक सही कदम हो लेकिन क्या ज्योतिष के नजरिए से भी यह पूर्णत: सही कदम है, यह जानने के लिए एंजिलिना जोली के जन्मांक विश्लेषण करना जरूरी होगा।

नाम: एंजिलिना जोली
जन्म तिथि: 4 जून 1975
जन्म समय: 09:08:59
जन्म का स्थान: लॉस एंजल्स, कैलीफ़ोर्निआ, यू.एस.

इनके जन्मांक में आप देख सकते हैं कि लग्नेश चंद्रमा नवम भाव में है। यहां चंद्र ग्रह मंगल, शनि और षष्ठेश गुरु के प्रभाव में है। कई कैंसर पीड़ितों की कुंडली देखने पर एक कॉमन बात देखने को मिली है कि इसमें शनि, मंगल और पीड़ित बृहस्पति का प्रभाव लग्न, लग्नेश, षष्ठ भाव या फ़िर षष्ठेश पर देखने को मिलता है। इस कुंडली में लग्नेश चन्द्रमा पर शनि, मंगल और बृहस्पति तीनों का प्रभाव दिख रहा है। इस कुंडली में चतुर्थेश शुक्र लग्न पर स्थित है। भाग्येश किण्तु षष्ठेश बृहस्पति से दृष्ट है। शनि के नक्षत्र में है। चतुर्थ भाव का कारक ग्रह चन्द्रमा होता है जो कि इस कुंडली का लग्नेश है, वह पीडित है इस बात की चर्चा हम कर चुके हैं। चतुर्थ भाव पर मंगल की दृष्टि है। इन तमाम कारणो से इनके ब्रेस्ट में या सीने में परेशान परिलक्षित हो रही है।

क्या यह स्थिति इस समय कैंसर का संकेत कर रही है?

वर्तमान में इन पर शुक्र में बुध की दशा सितम्बर 2011 से प्रभावी है अत: यह कहना ज्यादा उचित होगा कि कैंसर होने का एहसास या भय सितम्बर 2011 के आस पास से एंजिलिना जोली के मनोमस्तिष्क पर हावी या प्रभावी होना शुरु हो गया था। इसके उपचार या ऑपरेशन की नौबत का संकेत मंगल की प्रत्यंतर दशा कर रही है जो फ़रवरी 2013 में इन पर प्रभावी हुई और 13 अप्रैल 2013 तक रही। राहु की प्रत्यंतर दशा आने के बाद यह बात सर्वजनिक हुई।

अब असली मामला यह है कि क्या कैसर दूर करने के लिए इनका यह कदम सही था? मेरे खयाल से काफ़ी हद तक तो ठीक कहा जा सकता है। ऐसा करके इन्होंने कम से कम ब्रेस्ट कैंसर से बचाव का उपाय तो कर ही लिया है। क्योंकि मंगल की अष्टम दृष्टि चतुर्थ भाव पर थी जो कैसर या किसी अन्य माध्यम से सीने पर जख्म या घाव मिलने की संकेत है। और ऑपरेशन करवाने मंगल की इस घातक दृष्टि का काफ़ी हद तक उपाय हो गया है। हांलाकि इस कदम से पहले एक बार ये कैंसर कारक ग्रहों का उपाय कराकर योग और आयुर्वेद की शरण में जाती तो शायद यह नौवत न आती। लेकिन शायद ये इन बातों को न मानने वाले संस्कार में पली बढ़ी हों तो ऐसे में इनका यह कदम बहुत हद तक ठीक है। इसके बावजूद भी इन्हे बीच-बीच में कैंसर कारक ग्रहों का उपाय कराकर योग और आयुर्वेद की शरण में जाते रहना ठीक होगा क्योंकि चतुर्थ भाव सर्वाधिक पीड़ित था वो कैंसर का पहला प्रभाव वहां हुआ लेकिन शनि सप्तमेश और अष्टमेश है और बारहवें भाव में होकर दूसरे भाव को देख रहा है अत: उपाय और उपचार न करने पर मुख और गर्भाशय कें कैंसर का भी खतरा बन सकता है। यह स्थिति 2016 और 2019-2020 में आ सकती है।

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