राहु का कन्या राशि में गोचर (जुलाई 12, 2014) - जानिए छाया ग्रह का प्रभाव आपकी राशि पर!

छाया ग्रह राहु जुलाई 12 2014, को कन्या राशि में प्रवेश कर रहा है। राहु का गोचर सबके जीवन पर प्रभाव डालने वाला होता है। लेकिन इस बार यह गोचर क्या प्रभाव लाएगा? आइये जानें राहु के कन्या राशि में गोचर के आप के जीवन पर होने वाले प्रभाव ‘पं. दीपक दूबे’’ द्वारा।

राहु का कन्या राशि में गोचर और उसके प्रभाव।

राहु को छाया ग्रह माना जाता है, महाभारत के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान राहु नामक राक्षस का सिर भगवान विष्णु ने काट दिया, परन्तु अमृत अंदर जाने की वजह से उसकी मृत्यु नहीं हुई और राहु अब एक राक्षस के बजाय दो हो गया। सिर का हिस्सा राहु और धड़ का हिस्सा केतु नाम से जाना जाता है। ऋग्वेद में राहु को स्वर्भानु नाम से पुकारा गया है -

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स्वर्भानोरथ यदिन्दु माया अवो दिवो वर्तमाना अवाहत। गूळहं सूर्य तमसापव्रतेन तुरीयेण ब्रह्मा विन्ददत्री।। ऋग्वेद ५/४०/६

अर्थात , "हे सूर्य ! स्वर्भानु नामक दैत्य ने जब आपको अंधकार से ढक लिया था, उस समय सभी लोक एक सा दिखाई देता था, उस समय समस्त जीव विमूढ़ हो गए और अपने स्थानों को भी नहीं जा सके"

एक बात तो तय है कि राहु के दुष्प्रभाव में आया हुआ व्यक्ति अपना विवेक खो देता है, रास्ता भटक जाता है। चूँकि राहु दैत्य का सिर है, अतः इसका प्रभाव व्यक्ति के मष्तिष्क पर पड़ता है। जैसे कोहरे में आँखों के सामने धुंध हो जाता है उसी प्रकार व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता धूमिल हो जाती है। व्यक्ति बहुत कुतर्क करने लगता है, व्यसन, झूठ, अपराध अर्थात व्यक्ति उन सभी कर्मों की ओर अग्रसर हो जाता है जो एक मनुष्य को नहीं करना चाहिए।

राहु का राशि परिवर्तन १२ जुलाई, २०१४ को तुला से कन्या में हो रहा है। राहु की गति सदैव विपरीत दिशा अर्थात वक्री रहती है, अतः यह तुला से एक राशि पूर्व अर्थात कन्या राशि में प्रवेश कर रहा है। कन्या राशि राहु की उच्च राशि मानी गयी है (मतान्तर से कुछ विद्वान मिथुन राशि को भी उच्च मानते हैं, परन्तु बुध की राशियों में राहु प्रसन्न रहता है यह सर्वमान्य है)।

पाठकों को यह बताना उचित होगा कि राहु के राशि परिवर्तन का यह परिणाम सामान्य रूप से किया गया है, वास्तविक परिणाम या परिणामों में अधिकता/न्यूनता किसी भी जातक की कुंडली में जन्म के समय राहु की स्थिति, लग्नेश से सम्बन्ध, वर्तमान दशा/अन्तर्दशा पर पूरी तरह से निर्भर करती है। अतः मेरे द्वारा दिए गए इस फल को अंतिम ना मानें और किसी विशेष परिस्थिति में अपनी कुंडली दिखाकर ही अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचे।

(यह परिणाम वैदिक ज्योतिष और लग्न के आधार पर बताये गए हैं। चन्द्र, सूर्य या नाम राशि के आधार पर नहीं। )

राहु के इस गोचर का विभिन्न राशियों पर क्या असर होगा आइए जानते हैं-

मेष:

राहु का यह परिवर्तन आपके पारिवारिक और वैवाहिक जीवन के लिए बेहतर होगा, जीवन साथी से बिगड़ा हुआ सम्बन्ध अब बेहतर होगा। यदि किसी आवश्यक कार्य से कर्ज़ लेना चाहेंगे तो बुद्धि बल से प्राप्त करेंगे, और यदि पुराना कर्ज़ है तो उसे चुका पाने में समर्थ होंगे। शत्रु बनेंगे परन्तु कुछ नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे। स्वास्थ्य के मामलों में सावधानी बरतें अन्यथा कोई दीर्घ कालिक बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं।

वृषभ :

आपकी राशि वालों के लिए राहु का प्रवेश पंचम भाव में होगा। पंचम भाव विद्या, बुद्धि और संतान को प्रभावित करता है। राहु का यहाँ आना बहुत शुभ सूचक नहीं है, निर्णय गलत होंगे, यदि स्वयं किसी परीक्षा प्रतियोगिता में शामिल हो रहे हैं तो सफलता की सम्भावना कम होगी, संतान पक्ष से भी परेशानी हो सकती हैं, थोड़ा आवेशित महसूस करेंगे। अनावश्यक के वाद विवाद से बचें, किसी भी कार्य में अधिक जोखिम उठाने जा रहें हैं तो अपनी असफलता निश्चित मानें।

मिथुन:

आपके लिए राहु आपके सुख स्थान अर्थात चतुर्थ भाव में प्रवेश कर रहे हैं, यदि यह स्थान पहले से ही ख़राब है तो इस समय परेशानियाँ बहुत बढ़ जाएंगी। घर से दूर प्रवास हो सकता है। अनावश्यक तनाव, विवाद से बचने का प्रयास करें। यदि दिल के मरीज़ हैं तो सावधानी बरतें। राहु की स्थिति यदि जन्म के समय अत्यंत शुभ है तो नए मकान, वाहन का सुख दे सकता है और मान-सम्मान में वृद्धि हो सकती है।

कर्क:

आपके राशि वालों के लिए राहु तृतीय भाव में होंगे जो पूरी कुंडली में राहु के सर्वोत्तम स्थानों में से एक है। पराक्रम में जबरदस्त वृद्धि होगी, सोचने समझने की शक्ति सराहनीय होगी। लिए गए निर्णय सही होंगे, समाज में प्रभाव बढ़ेगा। पद - प्रतिष्ठा की प्राप्ति होगी। सामाजिक तथा राजनैतिक क्षेत्र से जुड़े लोंगो को बहुत फायदा मिल सकता है, भाई - बहनों से थोड़ा विवाद हो सकता है।

सिंह:

यहाँ राहु दूसरे भाव में स्थित होगा, यहाँ यह मिश्रित प्रभाव देगा। यदि राहु की स्थिति शुभ है तो अचानक धन लाभ होगा अन्यथा यह स्थिति धन के घड़े में छेद जैसी है, धन कितना भी आ जाये टिकेगा नही। वाणी दूषित हो सकती है, बहुत कड़वा वचन बोल सकते हैं, अपनों से विवाद होगा, व्यसन में फस सकते हैं, इस दौरान नशे या बुरी आदतों की तरफ जाने से और क्रोध से बचें अन्यथा बहुत नुकसान हो सकता है ।

कन्या:

लग्नस्थ उच्च का राहु बहुत युक्ति बल देगा यहाँ राहु का परिणाम कुंडली में बुध की स्थिति से भी प्रभावित होगी। यदि जन्मकालिक राहु शुभ है तो कुछ अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, बुद्धि तेज़ परन्तु नकारात्मक दिशा में जा सकती है। स्त्री-पुरुष सम्बन्धी कुछ नए रिश्ते पनप सकते हैं। मतिभ्रम का शिकार हो सकते हैं। अत्यधिक क्रोध और आवेश का भी शिकार होंगे, व्यापारिक निर्णय सोच समझ कर लें।

तुला:

द्वादश भावगत राहु खर्च की अधिकता लाएगा, अनचाही यात्राएँ होंगी, वैसे विदेश भ्रमण का योग बनेगा और वहाँ से लाभ होने की प्रबल सम्भावना है। शत्रु परास्त होंगे, कोर्ट - कचहरी के मामलो में सफलता मिलेगी फिर भी पारिवारिक सुख में कमी रहेगी। यदि कुंडली में वैवाहिक जीवन में समस्या है तो वह बहुत बढ़ सकती है, जीवनसाथी से सम्बन्ध टूटने का खतरा बनेगा।

वृश्चिक:

आपकी राशि में राहु एकादश भाव में आयेंगे। वृश्चिक लग्न की कुंडली में राहु की यह स्थिति सर्वोत्तम है। राहु यहाँ धन सम्बन्धी मामलों के लिए राजयोग प्रदाता है , धन अप्रत्याशित और बहुत अधिक मात्रा में आने की प्रबल सम्भावना बनेगी। परन्तु साथ ही आपको अहंकार और आवेशित भी करेगा, जिसपर आपको नियंत्रण रखना होगा अन्यथा धन का नाश भी हो जायेगा। गर्भवती महिलाओं तथा संतान सुख के लिए यह स्थिति अच्छी नहीं है।

धनु:

आपके राशि वालों के लिए राहु दशम भाव में उच्च के होंगे, राज्य सम्बंधित कार्य, राजनीति, ठेकेदारी इत्यादि कार्य करने वालों के लिए बड़ा ही प्रभावशाली समय रहेगा। जनसम्पर्क बहुत तेज होगा, समाज में मान - प्रतिष्ठा बढ़ेगी। दूरस्थ के कार्यों में बहुत सफलता मिलेगी, विदेश यात्रा का भी योग बनेगा। पैतृक सम्पति भी प्राप्त हो सकती है। राहु यदि जन्म कालीन बहुत ख़राब है तो राज भय होगा, न्यायालय से या सरकार के द्वारा कोई दंड मिल सकता है अतः सावधानी बरतें।

मकर:

आपकी राशि के लिए नवम अर्थात भाग्य स्थान में राहु की यह स्थिति मिश्रित फल देगी, वैसे मकर लग्न में राहु मित्रवत रहते हैं और यदि जन्म काल में राहु अच्छी स्थिति में हैं तो अचानक भाग्य चमक सकता है अन्यथा बहुत ही अवरोधक होगी यह स्थिति। किसी भी कार्य में जल्दी सफलता नहीं मिलेगी, प्रवृत्ति नास्तिक हो सकती है अर्थात धर्म विमुख होंगे। यात्राएँ निरर्थक और परेशानी देने वाली होंगी। केवल भाग्य भरोसे कोई भी कार्य ना करें।

कुम्भ:

किसी भी कुंडली में राहु की यह स्थिति सबसे ख़राब स्थितियों में से एक है, यदि यहाँ चन्द्रमा का प्रभाव या यहीं से कुंडली में काल सर्प योग बन रहा हो तो स्वास्थ्य और घटना - दुर्घटना को लेकर बहुत सावधानी बरतें। अचानक धन लाभ हो सकता है परन्तु उसका अंतिम परिणाम अत्यंत कष्टकारी होगा अतः अचानक किसी कार्य से बहुत अधिक धन लाभ की सम्भावना बन रही हो तो थोड़ा सम्भलें। शत्रु आपको कष्ट पहुचाने के लिए गुप्त और तांत्रिक प्रयोग कर सकते हैं।

मीन:

सप्तम भाव में राहु का यह प्रवेश पारिवारिक, वैवाहिक, आर्थिक, व्यावसायिक किसी भी दृष्टिकोण से अच्छा नहीं है। यदि स्त्री हैं तो किसी पुरुष और पुरुष हैं तो किसी स्त्री से संबंधों के कारण बदनाम या परेशान हो सकते हैं। व्यापार में धोखा मिल सकता है, पार्टनर साथ छोड़ सकता है या धोखा दे सकता है अतः बहुत सावधानी बरतें। व्यापार में धन लगाने की सोच रहे हैं तो थोड़ा रुक जायें,समय अत्यंत प्रतिकूल है।

विशेष: जैसा प्रारम्भ में मैंने लिखा है कि राहु का प्रभाव व्यक्ति के मष्तिष्क पर होता है, जिससे व्यक्ति सही निर्णय लेने कि स्थिति में नहीं रह जाता। व्यक्ति बहुत अधिक कुतर्क करने लगता है और स्वयं को ही सबसे अधिक विद्वान और कर्मठ समझने लगता है, अक्सर अपने लोगो की बात नहीं मानता, विचार अस्थिर होता है, इसीलिए व्यक्तिगत रूप से राहु से प्रभावित व्यक्तियों के उपचार को मैं सबसे कठिन मानता हूँ। फिर भी निचे कुछ उपचार और प्रयोग दे रहा हूँ जिसे यदि राहु का प्रभाव बहुत प्रतिकूल हो तो पूरी आस्था और संयम से प्रयोग करें अवश्य लाभ होगा -

१. व्यसन और बुरी संगत से दूर रहें।
२. नियमित योग और प्राणायाम का सहारा लें इससे क्रोध और आवेश पर नियंत्रण रहेगा।
३. गरिष्ट और वायु विकार पैदा करने वाली खाद्य वस्तुओं से परहेज करें।
४. अपने अधीनस्थ कर्मचारियों और सेवकों को प्रसन्न रखें और सतर्क भी रहें।
५. राहु का सबसे अधिक प्रभाव सोचने - समझने की शक्ति पर होता है, बुद्धि क्षीण हो जाती है अतः बुध का उपचार बहुत लाभकारी होता है, राहु (अज्ञानता) बुध ( ज्ञान/बुद्धि ) से शांत होता है अतः बुध के मन्त्रों का जप और पन्ना धारण करना लाभकरी होता है।
६. राहु कुंडली में शुभ हो और प्रभावशाली हो तो तो "ॐ रां राहवे नमः " मन्त्र का जप करें।
७. राहु का प्रभाव बहुत अधिक हो और कोई सामान्य उपचार काम ना करे तो रुद्राभिषेक अद्भुत उपचार है, स्वास्थ्य या अदालत सम्बन्धी विकट परिस्थिति में महामृत्युंजय अनुष्ठान का सहारा लें (किसी विद्वान द्वारा, स्वयं नहीं )।

राहु सम्बन्धी दान: काला वस्त्र, कोयला, लोहे के बर्तन, काली तिल, सरसों/तिल का तेल, गोमेद इत्यादि।
राहु का दिन: शनिवार
समय: गोधूलि बेला

ज्योतिषविद पं. दीपक दूबे

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