ज्योतिष विज्ञान अध्ययन करने के लिए एक व्यापक क्षेत्र है। एक व्यक्ति के जीवन के कई पहलुओं का ज्योतिष की सहायता से अनुमान लगाया जा सकता है। हालांकि, ज्योतिषी पं. दीपक दूबे का मानना है कि ज्योतिष पर एक समुचित शोध करना बहुत आवश्यक है। आइये इस विषय पर विस्तार से जानें।
ज्योतिष को आज लोग सिर्फ आस्था या भ्रम की दृष्टि से देखते हैं। ज्योतिष शास्त्र के गणितीय स्वरूप को तो विज्ञान ने अपना लिया और वहाँ कोई विवाद भी नहीं है। सूर्य ग्रहण हो या चन्द्र ग्रहण ज्योतिषीय गणना सर्वमान्य है, परन्तु समस्या ज्योतिष के फलादेश के हिस्से में है। सभी ज्योतिषी यह बात तो दावे के साथ कह देते हैं कि फला ग्रह यहाँ है तो यह होगा, परन्तु यह बात हम किस आधार पर कहते हैं इसका कोई प्रमाण मिलना मुश्किल हो जाता है। देखा जाये तो बातें सत्य भी होती हैं, जैसे यदि कोई व्यक्ति मीडिया या ग्लैमर के क्षेत्र में तभी होगा जब उसका शुक्र अच्छा होगा, कोई यदि आईटी क्षेत्र में है और एक अच्छा प्रोग्रामर है तो यह बुध के मज़बूत हुए बगैर संभव नहीं है। परन्तु विज्ञान की कसौटी पर यह खरा कैसे उतरे? भारत के प्राचीन विधाओं पर जितना आक्रमण हुआ और होता चला जा रहा है उतना किसी सभ्यता और किसी देश की प्राचीन विधाओं पर नहीं हुआ। हमारे देश की विडंबना ये है कि संस्कृत और ग्रहों पर शोध पहले विदेशो में होता है फिर वह भारत में आता है और तब हम भारतीय उसे बड़े गर्व से कहते हैं कि हाँ यह ऐसे होता है और यह अमेरिका या फ्रांस ने बताया।
शनि दूर से देखने में नीले रंग का प्रतीत होता है यह बात हजारों वर्ष पूर्व वेदों में उल्लेखित है "नीलांज समाभासम रविपुत्रम यमाग्रजम, छायामार्तण्ड शम्भूतम तम नमामि शनैश्चरं " और इसका कारण अब जो सामने आया वह है शनि का अत्यधिक ठंडा होना, लगभग -२८८ डिग्री फ़ारेनहाइट तापमान है वहाँ का। अत्यधिक बर्फीली जगह होने के कारण वह नीले रंग का आभासित होता है। अब सवाल ये है कि पुराने ज़माने में कौन सी दूरबीन थी ?
यह हम सभी जानते हैं कि उर्जा का प्रभाव हम सभी पर पड़ता है, केवल १ डिग्री तापमान के अंतर के कारण मगरमच्छों का लिंग अलग - अलग हो जाता है। पृथ्वी पर सूर्य मंडल में उपस्थित सभी ग्रहों का प्रभाव और उर्जा तो काम करती ही है और तभी गर्मी, सर्दी, ज्वार - भाटा ये सभी चीज़े हम देखते हैं। परन्तु ये परिवर्तन अत्यधिक बड़े होते हैं और अब इसे विज्ञान ने भी सिद्ध कर दिया है कि ये परिवर्तन सूर्य और चंद्रमा के कारण हो रहे हैं, तो लोग इसे मानने लगे हैं। परन्तु जो परिवर्तन अति सूक्ष्म हैं या जिसका ज्ञान अभी विज्ञान के पास भी नहीं उसके लिए हम क्या करें?
विज्ञान भी, जो चीज़ें हैं या दिख रही हैं या जो वैज्ञानिकों के संज्ञान में आई हैं उन्ही पर आधारित है। हम यह कैसे मान लें कि पहले के वैज्ञानिकों जिन्हें हम ऋषि - मुनियों के नाम से जानते हैं उन्हें इनसे कम ज्ञान था या नहीं था ?
ज्योतिष को केवल कोरी कल्पना और भ्रम और फरेब की दृष्टि से देखना कितना सही है? मैं मानता हूँ कि ज्योतिष के ह्रास के लिए ज्योतिषी या यूँ कहें कि तथा कथित ज्योतिषी ही जिम्मेदार हैं, साथ ही हमारे देश की सरकार भी। एक और बड़ी विडम्बना यह है कि ज्योतिष को एक धर्म के साथ जोड़ कर देखा जाता है, जबकि यह किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व, वर्तमान और भविष्य के स्कैनिंग के लिए बेहतरीन टूल है। जैसे यदि किसी बच्चे का मंगल बहुत प्रभावी है परन्तु यदि वह पाप ग्रह राहू - केतु या शनि के प्रभाव में है तो बच्चा अपराधी बन सकता है। और वही मंगल यदि गुरु या चन्द्र के प्रभाव में हुआ तो वही बच्चा एक सेनानायक बनकर देश की सेवा कर सकता है। कितना अच्छा होता यदि हम ज्योतिष को धर्म से परे होकर देखते और इस अद्भुत विज्ञान का सहारा ऐसे कार्यों में लेते जहाँ दुनिया की कोई साइंस काम नहीं कर पाती। एक बच्चे को अपराधी बनने से रोका जा सकता है यदि उसके टेम्परामेंट का पहले से ज्ञान हो जाये। किसी व्यक्ति को स्वास्थ्य के प्रति सचेत किया जा सकता है और उसे सावधानी बरतने को कहा जा सकता है। साथ ही इस विद्या के भविष्य को देखने की क्षमता का लाभ उठाकर बहुत सी समस्याओं से बचा जा सकता है।
मैं सोचता हूँ कि सरकार और बुद्धिजीवियों को आगे आकर इस विधा पर और खोज करना चाहिए, क्योंकि जो करना चाहते हैं उनके पास संसाधन नहीं हैं। केवल इसे धर्म से जोड़कर और भ्रम बोलकर इसका उपहास करना उचित नहीं है। आज अधिकतर ज्योतिषी इसे धन कमाने का साधन मात्र समझने लगे हैं, बहुत सी विधाएँ अपनी सुविधा अनुसार पैदा कर ली हैं, जिसके कारण इस महान विद्या का दिन प्रतिदिन ह्रास होता जा रहा है।
मेरा ज्योतिषियों से तथा भारत के प्रबुद्ध बुद्धिजीवियों से अनुरोध कि वे आगे आयें और इस महान विद्या को और आगे बढ़ाने में सहयोग करें।
ज्योतिषविद पं. दीपक दूबे
ज्योतिष को आज लोग सिर्फ आस्था या भ्रम की दृष्टि से देखते हैं। ज्योतिष शास्त्र के गणितीय स्वरूप को तो विज्ञान ने अपना लिया और वहाँ कोई विवाद भी नहीं है। सूर्य ग्रहण हो या चन्द्र ग्रहण ज्योतिषीय गणना सर्वमान्य है, परन्तु समस्या ज्योतिष के फलादेश के हिस्से में है। सभी ज्योतिषी यह बात तो दावे के साथ कह देते हैं कि फला ग्रह यहाँ है तो यह होगा, परन्तु यह बात हम किस आधार पर कहते हैं इसका कोई प्रमाण मिलना मुश्किल हो जाता है। देखा जाये तो बातें सत्य भी होती हैं, जैसे यदि कोई व्यक्ति मीडिया या ग्लैमर के क्षेत्र में तभी होगा जब उसका शुक्र अच्छा होगा, कोई यदि आईटी क्षेत्र में है और एक अच्छा प्रोग्रामर है तो यह बुध के मज़बूत हुए बगैर संभव नहीं है। परन्तु विज्ञान की कसौटी पर यह खरा कैसे उतरे? भारत के प्राचीन विधाओं पर जितना आक्रमण हुआ और होता चला जा रहा है उतना किसी सभ्यता और किसी देश की प्राचीन विधाओं पर नहीं हुआ। हमारे देश की विडंबना ये है कि संस्कृत और ग्रहों पर शोध पहले विदेशो में होता है फिर वह भारत में आता है और तब हम भारतीय उसे बड़े गर्व से कहते हैं कि हाँ यह ऐसे होता है और यह अमेरिका या फ्रांस ने बताया।
शनि दूर से देखने में नीले रंग का प्रतीत होता है यह बात हजारों वर्ष पूर्व वेदों में उल्लेखित है "नीलांज समाभासम रविपुत्रम यमाग्रजम, छायामार्तण्ड शम्भूतम तम नमामि शनैश्चरं " और इसका कारण अब जो सामने आया वह है शनि का अत्यधिक ठंडा होना, लगभग -२८८ डिग्री फ़ारेनहाइट तापमान है वहाँ का। अत्यधिक बर्फीली जगह होने के कारण वह नीले रंग का आभासित होता है। अब सवाल ये है कि पुराने ज़माने में कौन सी दूरबीन थी ?
यह हम सभी जानते हैं कि उर्जा का प्रभाव हम सभी पर पड़ता है, केवल १ डिग्री तापमान के अंतर के कारण मगरमच्छों का लिंग अलग - अलग हो जाता है। पृथ्वी पर सूर्य मंडल में उपस्थित सभी ग्रहों का प्रभाव और उर्जा तो काम करती ही है और तभी गर्मी, सर्दी, ज्वार - भाटा ये सभी चीज़े हम देखते हैं। परन्तु ये परिवर्तन अत्यधिक बड़े होते हैं और अब इसे विज्ञान ने भी सिद्ध कर दिया है कि ये परिवर्तन सूर्य और चंद्रमा के कारण हो रहे हैं, तो लोग इसे मानने लगे हैं। परन्तु जो परिवर्तन अति सूक्ष्म हैं या जिसका ज्ञान अभी विज्ञान के पास भी नहीं उसके लिए हम क्या करें?
विज्ञान भी, जो चीज़ें हैं या दिख रही हैं या जो वैज्ञानिकों के संज्ञान में आई हैं उन्ही पर आधारित है। हम यह कैसे मान लें कि पहले के वैज्ञानिकों जिन्हें हम ऋषि - मुनियों के नाम से जानते हैं उन्हें इनसे कम ज्ञान था या नहीं था ?
ज्योतिष को केवल कोरी कल्पना और भ्रम और फरेब की दृष्टि से देखना कितना सही है? मैं मानता हूँ कि ज्योतिष के ह्रास के लिए ज्योतिषी या यूँ कहें कि तथा कथित ज्योतिषी ही जिम्मेदार हैं, साथ ही हमारे देश की सरकार भी। एक और बड़ी विडम्बना यह है कि ज्योतिष को एक धर्म के साथ जोड़ कर देखा जाता है, जबकि यह किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व, वर्तमान और भविष्य के स्कैनिंग के लिए बेहतरीन टूल है। जैसे यदि किसी बच्चे का मंगल बहुत प्रभावी है परन्तु यदि वह पाप ग्रह राहू - केतु या शनि के प्रभाव में है तो बच्चा अपराधी बन सकता है। और वही मंगल यदि गुरु या चन्द्र के प्रभाव में हुआ तो वही बच्चा एक सेनानायक बनकर देश की सेवा कर सकता है। कितना अच्छा होता यदि हम ज्योतिष को धर्म से परे होकर देखते और इस अद्भुत विज्ञान का सहारा ऐसे कार्यों में लेते जहाँ दुनिया की कोई साइंस काम नहीं कर पाती। एक बच्चे को अपराधी बनने से रोका जा सकता है यदि उसके टेम्परामेंट का पहले से ज्ञान हो जाये। किसी व्यक्ति को स्वास्थ्य के प्रति सचेत किया जा सकता है और उसे सावधानी बरतने को कहा जा सकता है। साथ ही इस विद्या के भविष्य को देखने की क्षमता का लाभ उठाकर बहुत सी समस्याओं से बचा जा सकता है।
मैं सोचता हूँ कि सरकार और बुद्धिजीवियों को आगे आकर इस विधा पर और खोज करना चाहिए, क्योंकि जो करना चाहते हैं उनके पास संसाधन नहीं हैं। केवल इसे धर्म से जोड़कर और भ्रम बोलकर इसका उपहास करना उचित नहीं है। आज अधिकतर ज्योतिषी इसे धन कमाने का साधन मात्र समझने लगे हैं, बहुत सी विधाएँ अपनी सुविधा अनुसार पैदा कर ली हैं, जिसके कारण इस महान विद्या का दिन प्रतिदिन ह्रास होता जा रहा है।
मेरा ज्योतिषियों से तथा भारत के प्रबुद्ध बुद्धिजीवियों से अनुरोध कि वे आगे आयें और इस महान विद्या को और आगे बढ़ाने में सहयोग करें।
ज्योतिषविद पं. दीपक दूबे
बहुत अच्छा पंडित जी(^J^)
ReplyDeletePandit ji app bol rhe ho yeh ik science se bi bad kar hai... par aaj tak meri kisi bi jotish ne correct prediction nai ki or na hi koi mere bare me aaj tak kuch sach bta paya hai... mera to isse aab vishwash uthne laga hai...mai bi aaj jotish vidya ko ik myth hi manta hoo
ReplyDeleteआप लोगों ने गत्यात्मक ज्योतिष को पढा और इसके सिद्धांतों को समझा है ?
ReplyDeleteज्योतिष की इस नई शाखा के श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा विकास किए जाने के बाद भविष्यवाणी करना काफी आसान हो गया है ....
इसके द्वारा हम पूरे जीवन में आनेवाली परिस्थितियों के उतार चढाव का ग्राफ खींच लेते हैं ...