ज्योतिष सीखना इतना आसान कभी नहीं था। अब बस २ मिनट में ज्योतिष सीखें ज्योतिषी पुनीत पाण्डे के साथ। हमारी यह 2 मिनट ज्योतिष कोर्स की शृंखला आपको आसानी से ज्योतिष के बारे में बहुत कुछ सिखाएगीI आज हमारे ज्योतिषी जिस विषय की चर्चा करने जा रहे हैं वो है ‘कारक सिद्धान्त’ अर्थात कुण्डली देख कर कैसे करें भविष्यवाणी।
आप इस पाठ की वीडियो नीचे देख सकते हैं-
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अब तक हम ज्योतिष के लगभग सभी ज़रूरी सिद्धान्त को समझ चुके हैं। अब समझते हैं कि उन सिद्धान्तों का भविष्यफल देखने में कैसे प्रयोग करें। सबसे पहले बताता हूँ कारक सिद्धान्त के बारे में।
जब कुण्डली में किसी विषय विशेष के बारे में देखते हैं तो आपको तीन मुख्य बिन्दुओं पर ध्यान देना होगा - १. भाव, २. भावेश और ३. स्थिर कारक ग्रह। इनके आपस में संयोग से अगल अलग बातों की भविष्यवाणी की जाती है। जैसे हम ग्रह कारकत्व वाले एपीसोड से जानते हैं कि सूर्य स्वास्थ्य, पिता, राजा आदि का कारक ग्रह है। अगर किसी कुण्डली में सूर्य बहुत कमज़ोर है तो ज़रूरी नहीं कि सूर्य के सभी कारकत्व नकारात्मक रूप से प्रभावित हों। कौन से कारकत्व प्रभावित होंगे वह भाव और भावेश पर निर्भर करेगा। जैसे हम भाव के कारकत्व एपीसोड से जानते हैं कि स्वास्थ्य को पहले भाव से देखा जाता है, पिता को नवें भाव से देखा जाता है आदि। तो अगर सूर्य के साथ नौवां भाव और नौवे भाव का स्वामी भी कमजोर हों तभी पिता के बारे में खराब परिणाम मिलेंगे। अगर नौवां भाव और नवे भाव का स्वामी कुण्डली में शक्तिशाली हो तो सिर्फ सूर्य के कमजोर होने से पिता से जुडे हुए खराब फल नहीं मिल सकते। इसी तरह अगर पहला भाव और पहले भाव का स्वामी शक्तिशाली हो तो सिर्फ सूर्य के खराब होने से स्वास्थ्य खराब नहीं होगा। समझे? इसलिए ही कहा कि किसी विषय विशेष के बारे में देखने के लिए तीनों बातों - भाव, भावेश और कारक ग्रह को देखना ज़रूरी है।
कुण्डली अध्ययन की सुविधा के लिए ग्रह और भाव के मिलेजुले कारकत्व को ब्लैकबोर्ड पर देखें और नोट कर लें -
जैसे माता के बारे में देखना हो तो चौथे भाव और चंद्र को देखें। अगर प्रापर्टी के बारे में देखना हो तो चौथे भाव और मंगल को देखें आदि। यह जीवन से जुड़े हुए मुख्य विषयों की तालिका है। ग्रह और भाव के कारकत्व की जानकारी से इस तालिका को आप खुद ही बढ़ा सकते हैं।
इन महत्वपूर्ण नियमों का अभ्यास करें। अगले एपीसोड तक, नमस्कार।
पुनीत पाण्डे
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अब तक हम ज्योतिष के लगभग सभी ज़रूरी सिद्धान्त को समझ चुके हैं। अब समझते हैं कि उन सिद्धान्तों का भविष्यफल देखने में कैसे प्रयोग करें। सबसे पहले बताता हूँ कारक सिद्धान्त के बारे में।
जब कुण्डली में किसी विषय विशेष के बारे में देखते हैं तो आपको तीन मुख्य बिन्दुओं पर ध्यान देना होगा - १. भाव, २. भावेश और ३. स्थिर कारक ग्रह। इनके आपस में संयोग से अगल अलग बातों की भविष्यवाणी की जाती है। जैसे हम ग्रह कारकत्व वाले एपीसोड से जानते हैं कि सूर्य स्वास्थ्य, पिता, राजा आदि का कारक ग्रह है। अगर किसी कुण्डली में सूर्य बहुत कमज़ोर है तो ज़रूरी नहीं कि सूर्य के सभी कारकत्व नकारात्मक रूप से प्रभावित हों। कौन से कारकत्व प्रभावित होंगे वह भाव और भावेश पर निर्भर करेगा। जैसे हम भाव के कारकत्व एपीसोड से जानते हैं कि स्वास्थ्य को पहले भाव से देखा जाता है, पिता को नवें भाव से देखा जाता है आदि। तो अगर सूर्य के साथ नौवां भाव और नौवे भाव का स्वामी भी कमजोर हों तभी पिता के बारे में खराब परिणाम मिलेंगे। अगर नौवां भाव और नवे भाव का स्वामी कुण्डली में शक्तिशाली हो तो सिर्फ सूर्य के कमजोर होने से पिता से जुडे हुए खराब फल नहीं मिल सकते। इसी तरह अगर पहला भाव और पहले भाव का स्वामी शक्तिशाली हो तो सिर्फ सूर्य के खराब होने से स्वास्थ्य खराब नहीं होगा। समझे? इसलिए ही कहा कि किसी विषय विशेष के बारे में देखने के लिए तीनों बातों - भाव, भावेश और कारक ग्रह को देखना ज़रूरी है।
कुण्डली अध्ययन की सुविधा के लिए ग्रह और भाव के मिलेजुले कारकत्व को ब्लैकबोर्ड पर देखें और नोट कर लें -
ग्रह और भाव | कारकत्व |
सूर्य व प्रथम भाव | स्वास्थ्य, शरीर |
सूर्य / चन्द्र व द्वितीय भाव | आंखें |
गुरु व द्वितीय और एकादश भाव | धन |
बुध व द्वितीय भाव | बोलना |
तृतीय भाव व मंगल | भाई बहन |
चतुर्थ भाव व चंद्र | माता |
चतुर्थ भाव व मंगल | प्रॉपर्टी |
चतुर्थ भाव व शुक्र | वाहन |
पंचम भाव व शु्क्र | फिल्म / सिनेमा / कला आदि |
पंचम भाव व गुरु | पुत्र |
पंचम भाव व बुध | बुद्धि |
षष्ठ भाव व शनि | रोग व शत्रु |
सप्तम भाव व शुक्र | पति / पत्नी / विवाह आदि |
अष्टम भाव व शनि | आयु |
नवम भाव व सूर्य | पिता |
नवम भाव व गुरु | गुरु व धर्म |
दशम भाव व बुध / गुरु | यश व व्यवसाय |
एकादश भाव व गुरु | धन व लाभ |
द्वादश भाव व राहु | विदेश यात्रा |
जैसे माता के बारे में देखना हो तो चौथे भाव और चंद्र को देखें। अगर प्रापर्टी के बारे में देखना हो तो चौथे भाव और मंगल को देखें आदि। यह जीवन से जुड़े हुए मुख्य विषयों की तालिका है। ग्रह और भाव के कारकत्व की जानकारी से इस तालिका को आप खुद ही बढ़ा सकते हैं।
इन महत्वपूर्ण नियमों का अभ्यास करें। अगले एपीसोड तक, नमस्कार।
पुनीत पाण्डे
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