आएं, अब घर बैठे ज्योतिष सीखें सिर्फ़ २ मिनट में ज्योतिषी ‘पुनीत पाण्डे’ के साथ। हमारी यह 2 मिनट ज्योतिष कोर्स की शृंखला आपको आसानी से ज्योतिष के बारे में बहुत कुछ सिखाएगीI आज हमारे ज्योतिषी जिस विषय की चर्चा करने जा रहे हैं वो है ‘चलित चक्र’।
आप इस पाठ की वीडियो नीचे देख सकते हैं-
जन्म पत्रिका में अक्सर आपने राशि या लग्न कुण्डली के अलावा भाव चलित कुण्डली को भी बना देखा होगा। आज मैं आपको बताता हूँ कि भावचलित और राशि कुण्डली में क्या फ़र्क है और भाव चलित कुण्डली से क्या देखा जाता है। राशि कुण्डली ज्योतिष में मुख्य कुण्डली है और यह बताती है कि ग्रहों और लग्न की राशि क्या है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, भाव चलित कुण्डली ग्रहों की भाव स्थिति बताती है। सामान्य तौर पर कौन सा ग्रह किस भाव में बैठा है यह भी हम राशि कुण्डली से देख लेते हैं जोकि सही नहीं है। इसके लिए हमें हमेशा भाव चलित कुण्डली को देखना चाहिए।
ज्यादातर समय राशि कुण्डली और भाव चलित कुण्डली में ग्रहों की स्थिति एक जैसी रहती है। पर जब कोई ग्रह राशि कुण्डली में कहीं और तथा भाव चलित कुण्डली में कहीं और होता है तो ज्योतिष के छात्र भ्रमित हो जाते हैं। इसलिए फलादेश के समय इन कुछ बातों का ध्यान रखें -
- ग्रह अपनी दशा में किस भाव का फल देगा यह हमेशा भाव चलित कुण्डली से देखें। जैसे कोई ग्रह राशि कुण्डली में पहले भाव में बैठा हो तो हमें लगेगा कि वह अपनी दशा में स्वास्थ्य देगा। लेकिन मान लिजिए कि वह ग्रह चलित कुण्डली में बारहवें भाव में चला गया तो फिर वह स्वास्थ्य की जगह बारहवें भाव का फल, जैसे अस्पताल में भर्ती होना और अकेलेपन जैसा फल ज़्यादा देगा। अगर ग्रह की भाव स्थिति भाव चलित कुण्डली में बदल जाती है तो ग्रह उस भाव से जुड़ा हुआ फल देता है जिस भाव में वह भाव चलित कुण्डली में होता है।
- सभी सॉफ्टवेयर में भाव चलित कुण्डली के साथ ही हर भाव का भाव मध्य बिन्दु भी दिया जाता है। जो ग्रह भावमध्य बिंदु के जितना पास होता है उतना की ज्यादा फल उस भाव का दे पाता है। अगर कोई ग्रह भाव प्रारम्भ बिन्दु के पास हो तो पिछले भाव का फल भी देता है और भाव अन्त बिन्दु के पास हो तो अगले भाव का फल भी देता है। ऐसे ग्रहों की दशा में जो भाव प्रारम्भ या भाव अन्त बिन्दु के बहुत नज़दीक हों, दो भावों के मिलेजुले फ़ल मिलते हैं।
- ग्रहों की भावगत स्थिति के अलावा अन्य सभी विषय जैसे दृष्टि, युति, राशिगत स्थिति - उच्च, नीच, मित्र, शत्रु राशि आदि राशि चक्र से ही देखने चाहिए।
- योगों को भी हमेशा राशि कुण्डली से ही देखना चाहिए।
इन महत्वपूर्ण नियमों का अभ्यास करें। अगले एपीसोड तक, नमस्कार।
पुनीत पाण्डे
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for libra lagna , venus sitting in 9th bhava (kanya ) in birthchart but shifted to 8th bhava (vrishab )in bhava chart. what results venus will give?
ReplyDeletelast day i was seeing a kundli of my friend......
ReplyDeletei confused after seeing it coz of bhava chalit placement of planet......
then i think well... wt does really mean of it.... BHAVA CHALIT... only bhava move... moving of house.... wt i conclude....
now i search on Google.. i open ur link.. to jst confirm it.... m amazed while reading ur article... tht i was ryt....
thanks for a lovely post GOD BLESS YOU