जानें ग्रह और रोगों का सम्बन्ध

ज्योतिष एक विज्ञान है जो मानव जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है। हमारी कद -काठी तथा शरीर की बीमारियाँ भी ग्रह और उनकी स्थिति के द्वारा निश्चित होती हैं। क्या आप जानते हैं ग्रह और ज्योतिष में क्या सम्बन्ध है? पं. दीपक  दूबे द्वारा लिखा गया ये लेख पढ़िये और जानिये।

जानें ग्रह और रोगों का सम्बन्ध।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक ग्रह के शुभ और अशुभ दोनों ही प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ते हैं। जैसे प्रत्येक वरदान के पीछे कोई ना कोई शाप भी छुपा होता है वैसे ही प्रत्येक ग्रह की अच्छाइयों के पीछे भी कोई ना कोई समस्या अवश्य छुपी होती है चाहे वह आपकी कुंडली में कितनी ही अच्छी स्थिति में क्यों ना हो। हमारी पूरी जिंदगी जीवन से लेकर मृत्यु तक ग्रहों के प्रभाव में होती है, जिसमें हमारा कार्य, शिक्षा, विवाह, संतान, सामाजिक और आर्थिक स्थिति, हमारी कद - काठी, सब कुछ। यही कारण है की शरीर में रोग होना अवश्यम्भावी है, हमें संपूर्ण जीवन में प्राप्त होने वाले सभी प्रकार के रोग किसी ना किसी ग्रह से सम्बंधित होते हैं।

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आइये जानते हैं कुछ प्रमुख शारीरिक रोग, उससे सम्बंधित ग्रह उससे सम्बंधित दान और मंत्र -

सूर्य:

रोग: हड्डियों से सम्बंधित रोग, दन्त रोग, दृष्टि, खून का संचरण, गंजापन, तेज बुखार, कमज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता, दिल सम्बंधित बीमारी इत्यादि।
दान: गेंहूँ, शक्कर, लाल चन्दन, तांबा, सोना, लाल वस्त्र, माणिक्य इत्यादि।
दिन: रविवार
मन्त्र: ॐ हृं हृं स: सूर्याय नम:।

चन्द्रमा:

रोग: मानसिक कमजोरी, डिप्रेशन, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी, अनिद्रा, कमजोरी, नर्वस सिस्टम की समस्या, पागलपन इत्यादि।
दान: सफ़ेद वस्त्र, गाय का दूध, चावल, दही, खीर, सफ़ेद चन्दन, मोती इत्यादि।
दिन: सोमवार
मन्त्र: ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः।

मंगल:

रोग: क्रोध, झुंझलाहट, रक्त विकार, बवासीर, भगन्दर, गुप्तांगो में रोग, ऑपरेशन, हड्डियों का टूटना, दुर्घटना, ट्यूमर, कैंसर इत्यादि।
दान: मसूर दाल, लाल वस्त्र, ताम्बा, लाल चन्दन, मूंगा इत्यादि।
दिन: मंगलवार
मन्त्र: ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।

बुध:


रोग: हकलाना, चर्म रोग, अवसाद, कमजोर यादाश्त, स्नायु तंत्र सम्बंधित समस्या, अस्थमा, आंत सम्बन्धी रोग इत्यादि।
दान: मूंग की दाल, हरे वस्त्र, नारियल, सोना, पन्ना इत्यादि।
दिन: बुधवार
मन्त्र: ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।

गुरु:

रोग: मोटापा, लीवर सम्बधित रोग, पीलिया, थॉयरॉयड, मधुमेह, कैंसर, ट्यूमर, कान में रोग इत्यादि।
दान: चने की दाल, पीले वस्त्र, सोना, मिठाइयाँ, पीले फल, पुस्तकें, पुखराज इत्यादि।
दिन: बृहस्पतिवार
मन्त्र: ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम:।


शुक्र:

रोग: लकवा, गुप्तांगो में रोग और कमजोरी, खून की कमी, पथरी, मूत्राशय सम्बन्धी रोग इत्यादि।
दान: चावल, सफ़ेद वस्त्र, दूध, दही, सफ़ेद चन्दन, सुगन्धित द्रव्य और इत्र, ओपल इत्यादि।
दिन: शुक्रवार
मन्त्र: ऊं द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:।

शनि:

रोग: लकवा, पेट की बीमारियाँ, गठिया, वायु विकार, सिर दर्द, ह्रदय रोग, कैंसर, पैरों का फ्रैक्चर, व्यसन इत्यादि।
दान: लोहे और लकड़ी के फर्नीचर, लोहे के बर्तन, सरसों या तिल का तेल, नीला कपडा, उड़द की दाल, नीलम इत्यादि।
दिन: शनिवार
मन्त्र: ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नम:।

राहु:

रोग: पागलपन, कुष्ठ रोग, गुर्दा सम्बन्धी रोग, अल्सर, कैंसर, अल्सर, उच्च रक्तचाप, पेट सम्बन्धी बीमारियाँ, वायु विकार, ज़हरीले जीव जंतुओं के काटने के कारण होने वाले रोग।
दान : काला वस्त्र, कोयला, लोहे के बर्तन, काली तिल, सरसों का तेल, गोमेद इत्यादि।
दिन : शनिवार
मन्त्र : ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:।

केतु:

रोग: चोट, ऑपरेशन, फ्रैक्चर, रीढ़ की हड्डी और स्नायु तंत्र सम्बंधित रोग, बुरी लत, व्यसन, पागलपन, निम्न रक्त चाप इत्यादि।
दान: भूरे रंग या रंग-बिरंगा वस्त्र, कम्बल, सरसों या तिल का तेल, लोहे के बर्तन, लहसुनिया (कैट्स आई ) इत्यादि।
दिन: बुधवार
मन्त्र: ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: केतवे नम:।


विशेष: मन्त्रों का जप पूरे विधि-विधान से, सही समय और सही योग एवं सही मात्रा में ही होना चाहिए, अतः मन्त्र अनुष्ठान किसी विशेषज्ञ के द्वारा या उसकी देख-रेख में ही करें।

ज्योतिषविद पं. दीपक दूबे

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