एस्ट्रोसेज की ओर आपको दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ। रौशनी का यह पर्व परिवार और दोस्तों के साथ ख़ुशियाँ साझा करने का त्यौहार है, इस त्यौहार के माध्यम से घर में ख़ुशियाँ एवं समृद्धि आती है, लिहाज़ा इस त्यौहार की पूजा विधि एवं शुभ मुहुर्त जानना बेहद आवश्यक है। तो चलिए इस लेख के माध्यम से जानते हैं दिवाली 2016 का शुभ मुहूर्त।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावश्या को मनाया जाता है। यह त्यौहार एकता एवं सामंजस्य का प्रतीक है। इस वर्ष यानी साल 2016 में यह पर्व 30 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिन माँ लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ होती है, जिससे घर में एकता व सामंजस्य बना रहता है और धन व वैभव आता है।
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार अमावश्या तिथि रात्रि 11 बजकर 07 मिनट से प्रारंभ होगी, जबकि प्रदोष काल सायं 5 बजकर 37 मिनट से रात्रि 8 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। वहीं लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त सायं 6 बजकर 29 मिनट से रात्रि 8 बजकर 12 मिनट तक है।
दिवाली चौघड़िया मुहूर्त
प्रात: काल मुहूर्त (चल, लाभ, अमृत) | 07:55:11 से 12:04:39 |
अपराह्न काल मुहूर्त (शुभ) | 13:27:48 से 14:50:57 |
सायं काल मुहूर्त (शुभ, अमृत, चल) | 17:37:16 से 22:28:04 |
नोट: ऊपर दिए गए मुहूर्त का समय केवल दिल्ली के लिए है। अपने शहर के अनुसार मुहूर्त जानने के लिए यहाँ क्लिक करें: जानें शहर के अनुसार मुहूर्त
व्यापारियों के लिए चौघड़िया मुहूर्त में बही-खाते का पूजन करना शुभ माना गया है। उपरोक्त दिए गए चौघड़िया मुहूर्त के अनुसार व्यापारी वर्ग पूजा-आराधना कर सकते हैं।
लक्ष्मी पूजा विधि
- पूजा स्थल पर को स्वच्छ करें। उसके बाद उसमें एक साफ़ कपड़ा बिछाकर चावल के माध्यम से माँ का आसन बनाएँ।
- चावल से निर्मित आसन पर स्वच्छ जल, फूल एवं नारियल व सिक्का से भरा कलश रखें।
- कलश के मुख पर आम की पत्तियाँ लगी हों।
- कलश के ऊपर थाली रखें।
- हल्दी पाउडर से थाली पर कमल बनाएँ और माँ लक्ष्मी की मूर्ति रखें।
- थाली पर कुछ सिक्के रखें।
- कलश के दाहिनी ओर भगवान गणेशजी की प्रतिमा रखें।
- अब अपनी आँख बंद करके ओम् का उच्चारण करें।
- पूजा के सामान पर गंगा जल छिड़कें।
- कलश पर हल्दी एवं कुमकुम लगाएँ और कुछ पुष्प रखें।
- घी के दिए जलाएँ।
- अपने हाथों में पुष्प एवं चावल लें और आँख बंद बंद करके माँ लक्ष्मी जी को याद करें।
- माँ लक्ष्मी जी की प्रतिमा पर चावल एवं पुष्पों को डालें।
- माँ लक्ष्मी जी की प्रतिमा को थाली में रखें और इसे गंगा जल, घी, दूध, दही एवं शहद व चीनी से साफ के घोल से साफ़ करें। उसके बाद इसे पानी से भी धोएँ।
- अब कलश पर इसे पुन: रखें।
- माला. चंदन का पेस्ट कुमकुम चढ़ाकर धूप चलाएँ।
- नारियल, पान-सुपारी, फल एवं मिष्ठान का भोग लगाएँ।
- मीठे बतासे एवं मुरमुरे चढ़ाएँ।
- और अंत में माँ लक्ष्मी जी की आरती गाएँ।
दीपावली का महत्व
दीपावली, ‘दीप’ और ‘अवली’ शब्दों से मिलकर बना है जिसका वास्तविक अर्थ होता है दीपों की पंक्ति। यह त्यौहार हमारी परंपरा और संस्कृति को एक करता है। घर रौशनी से जगमग हो जाते हैं। घर में लोग दीपक जलाकर, पटाखे फोड़कर और मिठाइयां बाँटकर ख़ुशियाँ मनाते हैं। दिवाली का त्यौहार धनतेरस से प्रारंभ होकर नरक चतुर्दशी, गोवर्धन पूजा औक भाई दूज के साथ समाप्त होता है।
एक बार फिर एस्ट्रोसेज की ओर से आपको दिवाली 2016 की हार्दिक शुभकामनाएँ! आशा करते हैं कि माँ लक्ष्मी के आशीर्वाद से आपके जीवन में ख़ुशहाली एवं समृद्धि आए।
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