अहोई अष्टमी व्रत आज - पूजा मुहूर्त

आज 22 अक्टूबर 2016 यानि अहोई अष्टमी का दिन माता अहोई को समर्पित है। माँ अहोई की कृपा से संतान की लंबी उम्र होती है और उन्हें सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है। आइए अहोई अष्टमी की पूजा विधि और मुहूर्त के बारे में विस्तार से जानते हैं।



पूजा मुहूर्तशाम 05:42 से 06:06 बजे तक
चंद्रोदयरात्रि 11:40 बजे
तारों का उदयशाम 06 बजकर 09 मिनट पर

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अहोई माँ की आरती:


जय अहोई माता, जय अहोई माता!
तुमको निसदिन ध्यावत हर विष्णु विधाता। टेक।।
ब्राहमणी, रुद्राणी, कमला तू ही है जगमाता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता।। जय।।
माता रूप निरंजन सुख-सम्पत्ति दाता।।
जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता।। जय।।
तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता।। जय।।
जिस घर थारो वासा वाहि में गुण आता।।
कर न सके सोई कर ले मन नहीं धड़काता।। जय।।
तुम बिन सुख न होवे न कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता।। जय।।
शुभ गुण सुंदर युक्ता क्षीर निधि जाता।
रतन चतुर्दश तोकू कोई नहीं पाता।। जय।।
श्री अहोई माँ की आरती जो कोई गाता। 
उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता।। जय।।

  1. हिन्दू पंचांग के अनुसार माँ अहोई की पूजा कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन प्रदोषकाल मे की जाती है। इस दिन महिलाएँ अन्न और जल का परित्याग कर अहोई भगवती की पूजा करती हैं और अपनी संतान की दीर्घायु और निरोगी काया की कामना ठीक उसी प्रकार करती हैं।
  2. इस दिन सभी माताएँ सूर्योदय से पहले जगती हैं और उसके बाद स्नान करके माता अहोई की पूजा करती हैं। पूजा के लिए अहोई देवी माँ की आठ कोने वाली तस्वीर पूजा स्थल पर रखें। 
  3. माँ अहोई के तस्वीर के साथ वहाँ सेई की भी तस्वीर होनी चाहिए। सेई कांटेदार स्तनपाई जीव होता है जो माँ अहोई के नज़दीक बैठता है। 
  4. पूजा की प्रक्रिया शाम को प्रारंभ होती है। पूजा की छोटी टेबल को गंगा जल से स्वच्छ करें। फिर इसमें आँटे की चौकोर रंगोली बनाएँ। 
  5. माँ की तस्वीर के पास एक कलश रखें। कलश का किनारा हल्दी से रंगा होना चाहिए और यह ध्रुव घास से भरा हो, अच्छा होगा कि वह सरई सींक हो। उसके बाद किसी बुजुर्ग महिला के मुख से अहोई माता की कथा श्रवण करें और माता को खीर एवं पैसा चढ़ाएँ। 
  6. चंद्रोदय के पश्चात महिलाएँ उसे (चंद्रमा को) जल का समर्पण करें और अपना उपवास खोलें। 

यदि अहोई अष्टमी के दिन ज़रुरतमंद, अनाथ और बुज़ुर्ग लोगों को भोजन कराया जाए तो माता अहोई बहुत प्रसन्न होती हैं।

माता अहोई आपकी संतान को लंबी उम्र और निरोगी काया प्रदान करें। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ आप सभी को एस्ट्रोसेज की ओर से अहोई अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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