शारदीय नवरात्रि तृतीया आज, जानें पूजा-विधि

तृतीय तिथि को माँ भगवती के चंद्रघंटा रूप का पूजन किया जाता है। माँ चंद्रघंटा का रूप शांतिदायक और कल्याणकारी है। माँ के मस्तक पर अर्धचंद्र है इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण समान चमकीला है। इनके दस हाथ हैं जिनमें खड्ग, बाण आदि शस्त्र विभूषित हैं। इनका वाहन सिंह माना गया है। इनकी मुद्रा युद्ध के लिए तैयार रहने वाली मानी गई है। इनको भोग के रूप में दूध प्रिय माना गया है। इनकी उपासना करने से मणिपुर चक्र जाग्रत होता है। देवी चंद्रघंटा की सच्ची पूजा से सुख, शांति और वैभव की प्राप्ति होती है।




माँ चंद्रघंटा

पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

ऊपर दिए गए मंत्र से देवी चंद्रघंटा की पूजा पूरी निष्ठा और सच्चे दिल से करें। माँ आपकी पुकार अवश्य सुनेंगी। शास्त्र में नवरात्रि का यह दिन माँ की पूजा करने और अपनी बुराईयों का त्याग तथा साधना से अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण बताया गया है।



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शारदीय नवरात्रि की पूजा विधि जानने के लिए यहाँ क्लिक करें: शरद नवरात्रि 2016 - पूजा विधि

माँ चंद्रघंटा की कृपा से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और पापों का नाश होता है। माँ को पीला रंग बहुत पंसद है, इसलिए पूजा में पीली और माँ की पंसद की वस्तुएँ जैसै - दूध, फल, खीर, सुगंधित फूल पूजन सामग्री में शामिल करें।

माँ चंद्रघंटा शुक्र ग्रह पर राज करती हैं जो हमारे जीवन में विलासिता लेकर आता है। एस्ट्रोसेज ने अपने यूज़र्स के लिए एक जबरदस्त एक्सक्लूसिव सेल’ को लॉन्च किया है जिसके तहत वे इस नवरात्रि में हमारे आकर्षक उत्पाद पा सकते हैं। 

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