शरद पूर्णिमा 2016 आज: मुहूर्त एवं पूजा विधि

‘कौमुदी उत्सव’, या चंद्रोत्सव अथवा शरद पूर्णिमा पर्व अक्टूबर 2016 की 15 तारीख़ को मनाया जाएगा। हिन्दू वर्ष के अनुसार यह त्यौहार चंद्रमा एवं पृथ्वी के सामंजस्य का प्रतीक है। इस उत्सव के महत्व के बारे अधिक जानने के लिए स्क्रोल डाउन करें।


शरद पूर्णिमा 


हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार आश्चिन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा शरद पूर्णिमा के रुप में मनाई जाती है। यह त्यौहार मॉनसून की समाप्ति एवं शरद ऋतु के प्रारंभ होने का प्रतीक है। इसे कोजागिरी पूर्णिमा, कुमार पूर्णिमा एवं रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

ज्योतिषियों के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में चंद्रमा एवं पृश्वी दोनों एक-दूसरे के बेहद नजदीक होते हैं। इसके कारण माना जाता है कि चंद्रमा की किरणों द्वारा अमृत वर्षा होती है जो हमारे जीवन के दुष्प्रभाव को दूर करने के साथ ही हमारे लिए एक सकारात्मक वातावरण को तैयार करती हैं।
शरद पूर्णिमा का समय

शरद पूर्णिमा तिथि अक्टूबर 15, 2016 को दोपहर 01:25:38 से प्रारंभ होगी, जबकि इसका समापन अक्टूबर 16, 2016 को सुबह 09:53:04 बजे को होगा।

शरद पूर्णिमा 2016: रीति-रिवाज़


  1. माँ लक्ष्मी एवं ऐरावत हाथी पर सवार होने वाले इंद्र देव की इस दिन पूजा होती है।
  2. लक्ष्मी पूजन के दौरान “ओम् लक्ष्मया नम:” मंत्र का जाप करें।
  3. इंद्र पूजा के लिए “ ओम् इंद्र: नम:” मंत्र का जाप करें।
  4. इस पूजा में मीठी खीर का भोग लगाया जाता है। खीर को सिल्वर के बर्तन में रखें।
  5. खीर को चंद्रमा की रौशनी में सुरक्षित तरीक़े से रखें और अगले दिन इसका सेवन करें।
  6. सभी देवी-देवताओं को स्वच्छ कर उन्हें नए कपड़े भेंट करें।
  7. दीपक एवं फूलों के द्वारा पूजा करें।
  8. शरद पूर्णिमा का व्रत धारण करें और यह उपवास शरद पूर्णिमा की कथा सुनने के बाद ही खोलें।
  9. पाठ के दौरान पानी से भरे हुए कलश को रखें।
  10. इसके अलावा गेहूँ से भरा गिलास और रोली से भरे कटोरे रखें। चावल भी रखे होने चाहिए।
  11. पूजा के के दिन रात्रि जागरण करें।

शरद पूर्णिमा का महत्व


  1. इस दिन माँए अपने बच्चों की स्वास्थ्य एव दीर्ष कामने के लिए उपवास रखती हैं।
  2. ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दिन उपवास रखते हैं उन्हें माँ लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
  3. किसी नए वाहन को ख़रीदन के लिए शरद पूर्णिमा का दिन बेहद शुभ माना जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार यह भी माना जाता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने गोपियाँ संग रासलीला मनायी थी, तभी से शरद पूर्णिमा को ‘रास पूर्णिमा’ भी कहा जाता है। 

हम आशा करते हैं कि शरद पूर्णिमा के लिए यह जानकारी आपके लिए पर्याप्त होगी। ईश्वर आपको सुख-समृद्धि दे। 

एस्ट्रोसेज की ओर से शरद पूर्णिमा 2016 के अवसर पर आपको हार्दिक शुभकामनाएँ!

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2 comments:

  1. अच्छी बातों को हम तक पहुंचाने के लिए दिल से धन्यवाद

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