जानें छठ पूजा पर सूर्य देव की उपासना का महत्व ! पढ़ें छठ पूजा का पौराणिक महत्व और पूजा विधि , साथ ही जानें छठ पूजा पर क्यों दिया जाता है सूर्य देव को अर्घ्य।
छठ पूजा दिवाली के बाद मनाया जाने वाला एक बड़ा हिन्दू पर्व है। यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत में बिहार, झारखंड, यूपी और दिल्ली में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है।
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इस पर्व में सूर्य देव की आराधना की जाती है। यह त्यौहार कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। इसमें हर एक दिन का विशेष महत्व होता है। इस पर्व की परंपरा के अनुसार पहले दिन को नहाए-खाए, दूसरे दिन को खरना, तीसरे दिन को संध्या अर्घ्य और चौथे दिन को सूर्योदय अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है।
छठ पूजा मुहूर्त
छठ पूजा के दिन सूर्योदय का समय | प्रातः 06:28 बजे |
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त का समय | सायं 17:41 बजे |
नोट: ऊपर दिया गया समय नई दिल्ली (भारत) के लिए मान्य है। अपने शहर के अनुसार जानें छठ पूजा के दिन: सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
महत्वपूर्ण तिथि
पर्व | तारीख़ | दिन | तिथि |
नहाए-खाए | 24 अक्टूबर 2017 | मंगलवार | चतुर्थी |
खरना | 25 अक्टूबर 2017 | बुधवार | पंचमी |
संध्या अर्घ्य | 26 अक्टूबर 2017 | गुरुवार | षष्टी |
सूर्योदय अर्घ्य | 27 अक्टूबर 2017 | शुक्रवार | सप्तमी |
पर्व से जुड़ी परंपरा
- नहाए-खाए – पर्व के पहले दिन होने वाली इस परंपरा का अर्थ होता है पवित्र स्नान करने के बाद लिया गया भोजन। लोग अपने आसपास के नदी या तालाब में स्नान कर शरीर व आत्मा की शुद्धि करते हैं। इस दिन श्रद्धालु रोटी और लौकी की सब्ज़ी खाते हैं।
- खरना – इस दिन व्रत रखने वाले न तो कुछ खाते हैं और न ही जल पीते हैं। शाम को गुड़ और चावल से खीर बनाई जाती है और रोटी नए बर्तन में पकाई जाती है। श्रद्धालु इस खीर को प्रसाद के रूप में बांटते हैं और इसे फलों के साथ खाते हैं। इस दौरान छठ पूजा के गीत गाए जाते हैं।
- संध्या अर्घ्य – इस दिन निर्जल व्रत किया जाता है और यह दिन सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण होता है। लोग अपने घर के पास वाली नदी या तालाब के घाट को मोमबत्ती व दीयों से सजाते हैं। टोकरियाँ सजाई जाती हैं जिनमें फल, ठेकुआ (गेहूँ के आटे व गुड़ से बनाया गया खाद्य पदार्थ), मूली, जटायुक्त नारियल, पान के पत्ते, लौंग, इलायची, इत्यादि रखे जाते हैं। सूर्यास्त के समय सूर्यदेव की पूजा की जाती है और जल में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य के साथ ये चीज़ें अर्पित करते हैं।
- सूर्योदय अर्घ्य – इस परंपरा के साथ छठ पूजा का समापन होता है। इस दिन लोग सूर्योदय से पहले पूजा घाट पहुँचकर छठ के गीत गाते हैं और फिर सूर्योदय होते ही सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद प्रसाद बाँटा जाता है। महाव्रती गुड़ व अदरक खाकर अपना व्रत संपन्न करते हैं।
छठ पूजा का धार्मिक महत्व
छठ पूजा का पर्व सूर्य देव की उपासना के लिए प्रसिद्ध है। इसके लिए श्रद्धालु गण इस दिन व्रत रखते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं इसलिए छठ पर्व पर छठ देवी को मनाने के लिए सूर्य देव को प्रसन्न किया जाता है।
एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को छठ पूजा 2017 की हार्दिक शुभकामनाएँ !
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