मॉं लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय! पढ़ें दिवाली पर शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन का महत्व और संपूर्ण विधि। ऐसे मनाएं दिवाली, जरूर करें ये काम।
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भारत वर्ष और हिन्दू धर्म में दिवाली एक बहुत बड़ा त्यौहार है। रोशनी, उत्साह और उमंगों का यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है। दिवाली पर दीपों की ऋंखला अंधकार को दूर कर हमारे जीवन और आसपास के वातावरण में प्रकाश और उत्साह का संचार करती है। इस दिन धन की देवी महालक्ष्मी के पूजन का विधान है। हिन्दू पंचांग के अनुसार दिवाली का त्यौहार कार्तिक मास में अमावस्या को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि अक्टूबर या नवंबर के महीने में आती है। भारत-नेपाल समेत दिवाली का त्यौहार विश्व के कई देशों में हिन्दू,जैन, बौद्ध और सिख समुदाय के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है।
दिवाली पूजा का मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त
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19:13:28 से 20:19:19
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अवधि
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1 घंटे 5 मिनट
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प्रदोष काल
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17:47:58 से 20:19:19
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वृषभ काल
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19:13:28 से 21:09:16
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दिवाली पर कब करें लक्ष्मी पूजन?
दिवाली पर कब करें लक्ष्मी पूजन?
दिवाली पर देवी महालक्ष्मी की पूजा का विशेष विधान है। इस दिन सूर्यास्त के बाद और रात्रि में देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा की जाती है। दिवाली पूजन के संदर्भ में आम लोगों के लिए प्रदोष काल का समय सबसे उत्तम माना गया है। वहीं निशीथ काल यानि मध्य रात्रि का समय तांत्रिक पूजा के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
दिवाली का धार्मिक महत्व और पौराणिक कथा
हिन्दू धर्म में व्रत, त्यौहार और तीर्थों का बड़ा महत्व है, इसलिए इस धर्म में हर त्यौहार से जुड़ी कोई पौराणिक कथा अवश्य होती है, जो इसके महत्व को दर्शाती है। दिवाली के संदर्भ में भी कई धार्मिक कहानियां प्रचलित हैं। इनमें भगवान श्री राम और श्री कृष्ण से जुड़ी पौराणिक कथा का वर्णन प्रमुख रूप से मिलता है।
- मान्यता है कि कार्तिक अमावस्या यानि दिवाली के दिन ही भगवान श्री राम चौदह वर्ष का वनवास काट कर अयोध्या लौटे थे। इसी खुशी में लोगों ने घर-घर दीप जलाकर उत्सव मनाया था और दिवाली पर्व की शुरुआत हुई।
- एक अन्य कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने नरक चतुर्दशी पर नरकासुर राक्षस का वध करके देवता और साधु-संतों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी व राक्षस की कैद से 16 हजार स्त्रियों को आजाद कराया था। इसी खुशी में नरक चतुर्दशी के अगले दिन लोगों ने दीप उत्सव मनाया। तभी से नरक चतुर्दशी और दिवाली मनाई जाने लगी।
सौभाग्य में वृद्धि के लिए दिवाली पर करें- महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना
इसके अतिरिक्त ज्योतिष दृष्टिकोण से भी दिवाली का विशेष महत्व है। दरअसल दीपावली के आसपास सूर्य और चंद्रमा तुला राशि में स्वाति नक्षत्र में स्थित होते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य और चंद्रमा की यह स्थिति शुभ और उत्तम फल देने वाली होती है। इन्हीं धार्मिक, पौराणिक और ज्योतिषीय महत्व की वजह से दिवाली हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक है।
एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं! हम आशा करते हैं कि यह दिवाली का यह त्यौहार आप सभी के लिए मंगलमय हो।
Wishing to all of you a very happy diwali
ReplyDeleteआप सभी को शुभ दीपावली।
ReplyDeleteजय श्री सीताराम
बृजेश पाण्डेय
दोहा, कतर