करवा चौथ कल, जानें पूजा विधि-मुहूर्त

करवा चौथ पर आज ज़रूर करें ये काम! इस ब्लॉग के माध्यम से जानें इस दिन होने वाले रीति-रिवाज और चंद्रमा पूजन की विधि, साथ ही शादी के बाद पहली बार व्रत कर रही नवविवाहित महिलाओं के लिए जरूरी बातें! करवा चौथ कल रविवार, 8 अक्टुबर 2017 को मनाया जायेगा। 

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करवा चौथ


हिंदू धर्म में विवाहित स्त्रियां अपनी शादीशुदा जिंदगी को खुशहाल बनाये रखने के लिए कई व्रत रखती हैं, इनमें सबसे महत्वपूर्ण है करवा चौथ। यह पर्व कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि अक्टूबर या नवंबर के महीने में आती है। 2017 में यह पर्व 8 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। वहीं कुंवारी लड़कियां भी अच्छा जीवनसाथी पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं। इसमें महिलाएं पूरे दिन भूखी और प्यासी रहकर रात्रि में चंद्रमा के पूजन के बाद व्रत खोलती हैं। करवा चौथ दो शब्दों की संधि से बना है। इसमें करवा का मतलब है मिट्टी का बर्तन और चौथ का अर्थ है चतुर्थी तिथि। मान्यता है कि इस दिन करवा का इस्तेमाल करना जीवन में सुख और समृद्धि को दर्शाता है। इस वजह से इस पर्व को करवा चौथ की संज्ञा दी गई है। करवा चौथ का व्रत मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।


करवा चौथ पूजन मुहूर्त



पूजा का मुहूर्त18:00:40 से 19:11:12 तक
अवधि1 घंटे 10 मिनट
करवा चौथ चंद्रोदय समय20:12:59

उपरोक्त तालिका में दिया गया मुहूर्त नई दिल्ली के लिए है। जानें अपने शहर में: करवा चौथ पूजन मुहूर्त


करवा चौथ पर चंद्रमा के पूजन का महत्व


करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा का बड़ा महत्व है। इस दिन चंद्रमा के दर्शन और पूजन के बाद महिलाएं व्रत तोड़कर अन्न-जल ग्रहण करती हैं। इस पूजन के दौरान पहले महिलाएं छलनी से चंद्रमा के दर्शन करती हैं और फिर अपने पति को देखती हैं। इसके बाद पति के हाथों जल या मिठाई लेकर व्रत खोलती हैं। मान्यता है कि महिलाओं द्वारा छलनी से पुरुषों को देखने पर पति पर आने वाले तमाम संकट और बुरी शक्तियों का नाश होता है। इसके अलावा दाम्पत्य जीवन में मधुरता आती है। 

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शादी के बाद पहला करवा चौथ


शादी के बाद करवा चौथ का पहला व्रत रखना हर महिला के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन नवविवाहित स्त्रियां सुंदर परिधान और गहने आदि पहनती हैं। विवाह के बाद बहू के पहले करवा चौथ पर सास की ओर से सरगी देने का रिवाज भी होता है। इस परंपरा का चलन पंजाब में प्रमुख रूप से होता है। पंजाब में करवा चौथ का त्यौहार सरगी के साथ आरम्भ होता है। यह करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले किया जाने वाला भोजन होता है। जो महिलाएँ इस दिन व्रत रखती हैं उनकी सास उनके लिए सरगी बनाती हैं। शाम को सभी महिलाएँ श्रृंगार करके एकत्रित होती हैं और फेरी की रस्म करती हैं। इस रस्म में महिलाएँ एक घेरा बनाकर बैठती हैं और पूजा की थाली एक दूसरे को देकर पूरे घेरे में घुमाती हैं। इस रस्म के दौरान एक बुज़ुर्ग महिला करवा चौथ की कथा गाती हैं। 

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करवा चौथ पर बनने वाले व्यंजन


वैसे तो करवा चौथ के दिन महिलाएं निर्जला रहकर व्रत रखती हैं लेकिन इस दिन कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाने की परंपरा है। रात में व्रत खोलने के बाद ये मिठाई और व्यंजन खाये जाते हैं। इनमें हलवा, फिरनी या मालपुआ आदि प्रमुख रूप से बनाये जाते हैं।

हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए करवा चौथ व्रत का विशेष महत्व है। यह एक ऐसा पर्व है जो विवाहित स्त्री-पुरुष के अनुपम प्रेम को दर्शाता है और उनके दाम्पत्य जीवन को मजबूती व समृद्धि प्रदान करता है।

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को करवा चौथ पर्व की शुभकामनाएं!

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