जानें गोवर्धन पूजा और परिक्रमा का महत्व! पढ़ें गोवर्धन पूजा के नियम, विधि और धार्मिक महत्व। साथ ही जानें गोवर्धन पूजा के लिए भगवान कृष्ण का संदेश
गोवर्धन पूजा भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ा एक अहम अध्याय है। देवराज इंद्र के अहंकार को दूर करने के लिए बाल रूप में भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था। यह पर्व दिवाली के अगले दिन पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 20 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। यह पर्व प्रकृति और मानव समुदाय के बीच के संबंध को दर्शाता है। वेदों में इस दिन वरुण, इंद्र, अग्नि आदि देवताओं की पूजा का विधान है। इस दिन गोवर्धन पर्वत, गोधन यानि गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। वैसे तो गोवर्धन पूजा का पर्व पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन उत्तर प्रदेश में विशेषकर मथुरा, वृंदावन, गोकुल आदि जगहों पर इस पर्व को बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा मुहूर्त
शुभ समय
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आरंभ समय
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समाप्ति समय
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अवधि
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गोवर्धन पूजा प्रात:काल मुहूर्त
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06:24:40
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08:41:08
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2 घंटे 16 मिनट
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गोवर्धन पूजा संध्याकाल मुहूर्त
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15:30:35
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17:47:04
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2 घंटे 16 मिनट
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उपरोक्त तालिका में दिया गया मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जाने अपने शहर में: गोवर्धन पूजा मुहूर्त
पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार एक समय देवराज इंद्र को अपनी शक्तियों पर अभिमान हो गया था और उनके इस अहंकार के नाश के लिए भगवान श्री कृष्ण ने एक लीला रची थी। विष्णु पुराण में वर्णित कथा के अनुसार गोकुल वासी अच्छी वर्षा और फसल के लिए हर्षोल्लास के साथ इंद्र देव की पूजा करते थे। लेकिन एक समय बाल कृष्ण ने लोगों से कहा कि, अच्छी वर्षा और गायों के चारे के लिए गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। कृष्ण की इस बात से सहमत होकर गोकुल वासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू कर दी। इस बात से देवराज इंद्र क्रोधित हो गए और इस अपमान का बदला लेने के लिए उन्होंने मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। बारिश से गोकुल वासियों की रक्षा करने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया। इंद्र को जब पता चला कि भगवान श्री कृष्ण स्वयं गोकुल वासियों की रक्षा कर रहे हैं, तो उन्होंने भगवान कृष्ण से क्षमा याचना कर उनकी वंदना की। इस पौराणिक कथा के बाद से ही गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई।
गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का विशेष महत्व है। गोवर्धन पर्वत उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित है। जहां हर साल देश और दुनिया से लाखों श्रद्धालु गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा के लिए पहुंचते हैं।
पढ़ें: गोवर्धन पूजा के नियम और विधि
अन्नकूट उत्सव
गोवर्धन पूजा के अवसर पर मंदिरों में अन्न कूट का आयोजन किया जाता है। अन्न कूट यानि कई प्रकार के अन्न का मिश्रण, जिसे भोग के रूप में भगवान श्री कृष्ण को चढ़ाया जाता है। कई मंदिरों में अन्न कूट उत्सव के दौरान जागरण किया जाता है और भगवान श्री कृष्ण से खुशहाल जीवन की कामना की जाती है।
एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं!
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