धन और स्वास्थ्य के लिए अवश्य करें ये उपाय! पढ़ें धनतेरस पर्व का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व। जानें इस दिन आयुर्वेद के जनक देव धन्वंतरि और मृत्यु के देवता यमराज की पूजन का विधान।
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दिवाली हिंदू धर्म का सबसे प्रमुख त्यौहार है। यह पांच दिनों तक चलने वाला उत्सव है और इसकी शुरुआत धनतेरस से होती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार धनतेरस पर्व कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जनक धन्वंतरि देव समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इसे धन्वंतरि जयंती भी कहा जाता है। धनतेरस से ही घरों में दिवाली पर होने वाली सजावट और खरीददारी शुरू हो जाती है। मान्यता है कि इस दिन कोई भी व्यक्ति अपना धन और वस्तु किसी को उधार नहीं देता है। इसके अतिरिक्त धनतेरस पर बर्तन, आभूषण और वस्त्र भी खरीदे जाते हैं।
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धनतेरस मुहूर्त
मुहूर्त
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19:21:21 से 20:20:41
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अवधि
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59 मिनट
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प्रदोष काल मुहूर्त
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17:50:00 से 20:20:41 तक
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वृषभ काल मुहूर्त
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19:21:21 से 21:17:09 तक
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उपरोक्त तालिका में दिया गया मुहूर्त नई दिल्ली के लिए है। अपने शहर के अनुसार जानें: धनतेरस मुहूर्त
धन्वंतरि जयंती
मुख्य रूप से धनतेरस का पर्व आयुर्वेद के जनक धन्वंतरि देव की स्मृति में मनाया जाता है, इसलिए इस दिन वैद्य और हकीम भगवान धन्वंतरि का पूजन करते हैं। पूजा में भगवान धन्वंतरि को रोली, चावल, पुष्प और नैवेद्य आदि अर्पित करें। यदि संभव हो सके तो नए बर्तन में खीर का भोग लगाएं और नीचे दिये गए मंत्र का जप करें-
‘’॥ॐ धन्वंतराये नमः॥’’
इस प्रकार भगवान धन्वंतरि का पूजन करते हुए उनसे बेहतर स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करें।
विस्तार से जानें: धनतेरस पूजन का विधान और धार्मिक कर्म
धनतेरस पर यम पूजन
पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार धनतेरस पर मृत्यु के देवता यमराज के निमित्त दीपदान करने का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि जिस घर में धनतेरस पर संध्याकाल में यमराज के निमित्त दीप जलाये जाते हैं, वहां अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
- इस दिन आटे का दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार के पर रखा जाता है, इस दीप को जमदीवा यानि यमराज का दीपक कहा जाता है।
- रात्रि के समय में महिलाएं नई रुई की बत्ती बनाकर चार बत्तियां जलाएं और दीपक की बत्ती दक्षिण दिशा की ओर रखनी चाहिए।
- यमराज जल, फूल और नैवेद्य अर्पित कर यम पूजन करें और उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए प्रार्थना करें कि वे अपनी दया दृष्टि आपके परिवार पर बनाए रखें।
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धनतेरस पर शाम के समय आंगन में रंगोली बनाकर दीप जलाना चाहिए और लक्ष्मी जी का आह्वान करना चाहिए। कार्तिक स्नान करके प्रदोष काल में घाट, गौशाला, कुआं, बावड़ी और मंदिरों में तीन दिन तक दीपक जलाना चाहिए।
एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को धनतेरस पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं! भगवान धन्वंतरि आपको बेहतर स्वास्थ्य और दीर्घायु प्रदान करें।
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