सुनंदा पुष्कर इस दुनिया को छोड़ चुकी हैं। राजनीतिज्ञ हों या फ़िल्मी दुनिया के लोग, सभी स्तब्ध हैं। पता नहीं पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट क्या आती है, लेकिन आइए इस प्रकरण का पोस्टमॉर्टम ज्योतिष के नज़रिए से किया जाए।
ग़ौरतलब है कि मरने से पहले सुनंदा पुष्कर ने शशि थरूर पर गंभीर आरोप लगाए थे कि उनके संबंध पाकिस्तानी महिला पत्रकार से हैं, जो कि आइ एस आइ की एजेन्ट भी है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी ट्वीट किया कि आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) के दौरान शशि थरूर के अपराधों को उन्होंने खुद पर ले लिया था। ऐसे में लोगों के मन में सवालों का उठना लाज़मी है कि कहीं उनकी मौत के पीछे आइ एस आइ का हाथ तो नहीं है या आइपीएल के काले कारनामों को छुपाने के लिए उन्हें मौत दे दी गई हो? ख़ैर फ़िलहाल पुलिस इसे आत्महत्या मानकर चल रही है और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। आईए देखते हैं कि ज्योतिश क्या कहता है।
प्राप्त जानकारियों के अनुसार सुनंदा पुष्कर का जन्म 1 जनवरी 1962 को सायं 5 बजे मिथुन लग्न और तुला राशि में हुआ। सुनंदा की पहली शादी कश्मीर के रहने वाले संजय रैना से गुरु की महादशा और शुक्र की अंतरदशा में हुई। इनकी कुण्डली में गुरु सप्तमेश है जबकि शुक्र पंचमेश होकर सप्तम भाव में स्थित है। 1991 में इन्होंने शनि में बुध की दशा में दूसरा विवाह किया। बुध लग्नेश है और चतुर्थेश होकर विवाह के भाव सप्तम में स्थित है। 1997 में शनि की महादशा और चन्द्रमा की अंतरदशा में इनके दूसरे पति का एक दुर्घटना में निधन हो गया। चन्द्रमा द्वितीयेश है जो सुनंदा के लिए तो मारक है ही साथ ही, पति के भाव से अष्टम भाव भी है जहाँ राहु भी स्थित है और इनकी कुण्डली में चन्द्रमा स्वयं राहु के नक्षत्र स्वाति में स्थित है अत: चन्द्रमा ने इनके परिवार को बिखेर दिया। इसके बाद की दशाएँ यानी शनि की महादशा के साथ आयीं मंगल, राहु व गुरु की अंतरदशाएँ इन्हें अन्य सुविधाएं तो देती रहीं लेकिन इनके वैवाहिक जीवन में वीराने का एहसास कराती रहीं।
नवम्बर 2005 से इन पर इनके लग्नेश बुध की महादशा का प्रभाव शुरू हुआ जो इनके लिए शनि की तुलना में कुछ बेहतरी लाता गया। बुध की महादशा में शुक्र की अंतरदशा का प्रभाव इन पर अप्रैल 2009 से शुरू हुआ और फरवरी 2012 तक चला। इसी दशा ने न केवल इनका थरूर से प्रेम करवाया बल्कि इनका विवाह भी करवाया। फरवरी 2012 से दिसम्बर 2012 तक इन पर बुध की महादशा में सूर्य की अंतरदशा का प्रभाव रहा। यह दशा भी इनके लिए ठीक थी लेकिन वर्तमान में इन पर बुध की महादशा में चन्द्रमा की अंतरदशा का प्रभाव था जो दिसम्बर 2012 से शुरू हुआ था।
जैसा कि हमने पहले भी कहा कि चन्द्रमा इनका द्वितीयेश है जो न केवल सुनंदा के लिए मारक है बल्कि पति के भाव से अष्टम भाव है जहाँ राहु भी स्थित है और इनकी कुण्डली में चन्द्रमा स्वयं राहु के नक्षत्र स्वाती में स्थित है अत: चन्द्रमा की दशा इनके लिए बहुत विपरीत परिणाम देने वाली रही। पिछली बार जब शनि की महादशा में चन्द्रमा की अंतरदशा का प्रभाव आया तो इन्होंने अपने दूसरे पति को खोया था और लम्बे समय तक निराशा में रहीं और एकाकी जीवन जिया। इस बार बुध की महादशा में चन्द्रमा की अंतरदशा ने इनके जीवन में फिर से निराशा और हताशा का बीज बोया। इनके और इनके पति के बीच कुछ न कुछ बड़ा पंगा तो जरूर चल रहा था इस बात का इशारा दशाएँ भी कर रही थीं। चन्द्रमा राहु के नक्षत्र में है अत: पति का किसी विदेशी महिला से लगाव स्वाभाविक है। इनका बीमार होना स्वाभाविक है।
क्योंकि इनकी कुण्डली में चन्द्रमा शनि से दृष्ट है और राहु के नक्षत्र में है। ध्यान देने वाली बात यह है कि चन्द्रमा पर शनि की दृष्टि वैसे भी हताशा और निराशा देने वाली कही गई है ऊपर से जब शनि अष्टम में है तो यह हताशा ज़रूरत से ज्यादा हो जाती है और व्यक्ति आत्महत्या के बारे में सोचने लगता है। कहा गया है कि जब गोचर वश चन्द्रमा और सूर्य आमने सामने होते हैं तो उस समय आत्महत्या की घटनाएँ अधिक होती हैं। सुनंदा की मृत्यु के समय यह गोचर हमें देखने को मिल रहा है। 17 जनवरी 2014 को चन्द्रमा शायं 4 बजकर 08 मिनट तक शनि के नक्षत्र (पुष्य) में था। ध्यान रहे इनके जन्म के समय भी चन्द्रमा पर शनि और राहु का प्रभाव था और मृत्यु के समय भी। अत: इस समय आत्महत्या के योग पूरी तरह नज़र आ रहे हैं। 17 जनवरी 2014 को चन्द्रमा शायं 4 बजकर 08 मिनट तक उनके मन में घोर हताशा और निराशा बरकरार रही। शायं 4 बजकर 08 मिनट के बाद चन्द्रमा बुध के नक्षत्र (आश्लेषा) में गया। बुध को औषधियों से सम्बंधित ग्रह माना गया है साथ ही सुनंदा की कुण्डली में बुध लग्नेश और चतुर्थेश भी है। यानी शुभ ग्रहों के प्रभाव व दशाओं में बुध शरीर के लिए फायदेमंद लेकिन अशुभता की स्थिति में शरीर के लिए हानिकारक भी हो सकता है। उनकी मृत्यु के समय दशाएं थीं बुध-चंद्रमा-केतु-बुध-गुरु। बाकी अन्य ग्रहों की दशाओं और पहलुओं की चर्चा हम कर चुके हैं जिससे लगभग यह सिद्ध हो रहा है कि बहुत सम्भव है कि यह आत्महत्या का मामला था। अब जानना यह है कि उन्होंने किस माध्यम से आत्महत्या की।
दशाओं और गोचर से शनि, राहु, बुध और गुरु का प्रभाव उनके लग्न और अष्टम पर नजर आ रहा है। शनि, राहु जहर और दवाओं के दुष्प्रभाव दोनों को दर्शाते हैं जबकि गुरु दशमेश है। उत्तरकालामृत में दशम से दवाओं और चिकित्सक का विचार किया जाता है। स्वाभाविक है दवाओं के दुष्प्रभाव का विचार दशम से विरुद्ध भाव यानी कि चतुर्थ से किया जाना चाहिए। साथ ही हम छठे भाव को भी सामिल कर सकते हैं। मृत्यु के समय क्योंकि बुध का प्रभाव भी है, और गोचर में चतुर्थेश बुध अष्टम में व षष्ठेश मंगल चतुर्थ में है अत: बहुत सम्भव कि दवाओं को ही आत्महत्या का माध्यम बनाया गया। हां मंगल की गोचरीय स्थिति चतुर्थ में व चतुर्थेश के अष्टम भाव में होने के कारण घरेलू विवाद बड़ा भयानक रहा होगा। सप्तम में शनि-मंगल दोनों की दृष्टि है अत: बहुत सम्भव है कि इन पति पत्नी में मारपीट तक हुई होगी लेकिन मौत की वजह आत्महत्या होनी चाहिए।
सुनंदा पुष्कर केवल केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री शशि थरूर की पत्नी होने के कारण या आइपीएल मामले से जुड़े होने के करण ही चर्चा में नहीं रहती थीं। वो अपने सौंदर्य और रहन सहन के कारण भी चर्चाओं का केन्द्र हुआ करती थीं। आमतौर पर लोग सौंदर्य की तुलना चन्द्रमा से करते हैं और ज्योतिष तो इस बात को मानता ही है। नि:शंदेह सुनंदा पुष्कर को कवियों के नज़रिए से चन्द्र की प्रतिकृति कहा जा सकता है, लेकिन अब सुनंदा पुष्कर की संदिग्ध हालात में मौत हो चुकी है। दक्षिणी दिल्ली के होटल 'लीला' के कमरा नंबर 345 में 17 जनवरी 2014 को उनका शव मिला है। पुलिस की ओर से स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा गया है। वैसे भी हमारे देश की पुलिस का जाँच कार्य अक्सर संदेह के घेरे में रहता है ऊपर से जब मामला केन्द्रीय मंत्री का हो तो लोगों के मन में ये शंका होना स्वाभाविक है कि सही जाँच सामने आएगी।
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ग़ौरतलब है कि मरने से पहले सुनंदा पुष्कर ने शशि थरूर पर गंभीर आरोप लगाए थे कि उनके संबंध पाकिस्तानी महिला पत्रकार से हैं, जो कि आइ एस आइ की एजेन्ट भी है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी ट्वीट किया कि आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) के दौरान शशि थरूर के अपराधों को उन्होंने खुद पर ले लिया था। ऐसे में लोगों के मन में सवालों का उठना लाज़मी है कि कहीं उनकी मौत के पीछे आइ एस आइ का हाथ तो नहीं है या आइपीएल के काले कारनामों को छुपाने के लिए उन्हें मौत दे दी गई हो? ख़ैर फ़िलहाल पुलिस इसे आत्महत्या मानकर चल रही है और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। आईए देखते हैं कि ज्योतिश क्या कहता है।
चन्द्र की प्रतिकृति और चन्द्र की दशा
नवम्बर 2005 से इन पर इनके लग्नेश बुध की महादशा का प्रभाव शुरू हुआ जो इनके लिए शनि की तुलना में कुछ बेहतरी लाता गया। बुध की महादशा में शुक्र की अंतरदशा का प्रभाव इन पर अप्रैल 2009 से शुरू हुआ और फरवरी 2012 तक चला। इसी दशा ने न केवल इनका थरूर से प्रेम करवाया बल्कि इनका विवाह भी करवाया। फरवरी 2012 से दिसम्बर 2012 तक इन पर बुध की महादशा में सूर्य की अंतरदशा का प्रभाव रहा। यह दशा भी इनके लिए ठीक थी लेकिन वर्तमान में इन पर बुध की महादशा में चन्द्रमा की अंतरदशा का प्रभाव था जो दिसम्बर 2012 से शुरू हुआ था।
जैसा कि हमने पहले भी कहा कि चन्द्रमा इनका द्वितीयेश है जो न केवल सुनंदा के लिए मारक है बल्कि पति के भाव से अष्टम भाव है जहाँ राहु भी स्थित है और इनकी कुण्डली में चन्द्रमा स्वयं राहु के नक्षत्र स्वाती में स्थित है अत: चन्द्रमा की दशा इनके लिए बहुत विपरीत परिणाम देने वाली रही। पिछली बार जब शनि की महादशा में चन्द्रमा की अंतरदशा का प्रभाव आया तो इन्होंने अपने दूसरे पति को खोया था और लम्बे समय तक निराशा में रहीं और एकाकी जीवन जिया। इस बार बुध की महादशा में चन्द्रमा की अंतरदशा ने इनके जीवन में फिर से निराशा और हताशा का बीज बोया। इनके और इनके पति के बीच कुछ न कुछ बड़ा पंगा तो जरूर चल रहा था इस बात का इशारा दशाएँ भी कर रही थीं। चन्द्रमा राहु के नक्षत्र में है अत: पति का किसी विदेशी महिला से लगाव स्वाभाविक है। इनका बीमार होना स्वाभाविक है।
क्योंकि इनकी कुण्डली में चन्द्रमा शनि से दृष्ट है और राहु के नक्षत्र में है। ध्यान देने वाली बात यह है कि चन्द्रमा पर शनि की दृष्टि वैसे भी हताशा और निराशा देने वाली कही गई है ऊपर से जब शनि अष्टम में है तो यह हताशा ज़रूरत से ज्यादा हो जाती है और व्यक्ति आत्महत्या के बारे में सोचने लगता है। कहा गया है कि जब गोचर वश चन्द्रमा और सूर्य आमने सामने होते हैं तो उस समय आत्महत्या की घटनाएँ अधिक होती हैं। सुनंदा की मृत्यु के समय यह गोचर हमें देखने को मिल रहा है। 17 जनवरी 2014 को चन्द्रमा शायं 4 बजकर 08 मिनट तक शनि के नक्षत्र (पुष्य) में था। ध्यान रहे इनके जन्म के समय भी चन्द्रमा पर शनि और राहु का प्रभाव था और मृत्यु के समय भी। अत: इस समय आत्महत्या के योग पूरी तरह नज़र आ रहे हैं। 17 जनवरी 2014 को चन्द्रमा शायं 4 बजकर 08 मिनट तक उनके मन में घोर हताशा और निराशा बरकरार रही। शायं 4 बजकर 08 मिनट के बाद चन्द्रमा बुध के नक्षत्र (आश्लेषा) में गया। बुध को औषधियों से सम्बंधित ग्रह माना गया है साथ ही सुनंदा की कुण्डली में बुध लग्नेश और चतुर्थेश भी है। यानी शुभ ग्रहों के प्रभाव व दशाओं में बुध शरीर के लिए फायदेमंद लेकिन अशुभता की स्थिति में शरीर के लिए हानिकारक भी हो सकता है। उनकी मृत्यु के समय दशाएं थीं बुध-चंद्रमा-केतु-बुध-गुरु। बाकी अन्य ग्रहों की दशाओं और पहलुओं की चर्चा हम कर चुके हैं जिससे लगभग यह सिद्ध हो रहा है कि बहुत सम्भव है कि यह आत्महत्या का मामला था। अब जानना यह है कि उन्होंने किस माध्यम से आत्महत्या की।
दशाओं और गोचर से शनि, राहु, बुध और गुरु का प्रभाव उनके लग्न और अष्टम पर नजर आ रहा है। शनि, राहु जहर और दवाओं के दुष्प्रभाव दोनों को दर्शाते हैं जबकि गुरु दशमेश है। उत्तरकालामृत में दशम से दवाओं और चिकित्सक का विचार किया जाता है। स्वाभाविक है दवाओं के दुष्प्रभाव का विचार दशम से विरुद्ध भाव यानी कि चतुर्थ से किया जाना चाहिए। साथ ही हम छठे भाव को भी सामिल कर सकते हैं। मृत्यु के समय क्योंकि बुध का प्रभाव भी है, और गोचर में चतुर्थेश बुध अष्टम में व षष्ठेश मंगल चतुर्थ में है अत: बहुत सम्भव कि दवाओं को ही आत्महत्या का माध्यम बनाया गया। हां मंगल की गोचरीय स्थिति चतुर्थ में व चतुर्थेश के अष्टम भाव में होने के कारण घरेलू विवाद बड़ा भयानक रहा होगा। सप्तम में शनि-मंगल दोनों की दृष्टि है अत: बहुत सम्भव है कि इन पति पत्नी में मारपीट तक हुई होगी लेकिन मौत की वजह आत्महत्या होनी चाहिए।
अब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट कुछ भी आए, क्योंकि कई बार रिपोर्ट सही नहीं आती लेकिन ज्योतिष शास्त्र तो यही संकेत कर रहा है कि उन्होंने आत्महत्या की है और इसके लिए उन्होंने दवाओं को माध्यम बनाया। यही अनुमान सामने आ रहा है बाकी तो सच्चाई क्या है, यह तो ईश्वर को ही पता है।
That's an excellent analysis !!
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