गणतंत्र दिवस 2014: भारत की किस्मत

गणतंत्र दिवस हमारे देश में लोकतंत्र की स्वतंत्रता हेतु भारत में मनाया जाता है। 26 जनवरी 1950 में, भारत एक लोकतांत्रिक देश बन गया. भारत में 2014 गणतंत्र दिवस के ज्योतिषीय पहलुओं के बारे में अधिक जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
Republic Day, the Ganatantra Diwas, 26 January 2014, astrology prediction of India.
जनवरी 26, 1950 को हमारे देश का गणतंत्र यानी भारत का संविधान, अस्तित्व में आया और भारत वास्तव में एक संप्रभु देश बना। इस दिन भारत एक सम्पूर्ण गणतान्त्रिक देश बन गया, यही कारण है कि भारतीय इतिहास में यह दिन सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्तमान में गणतंत्र दिवस पूरे भारत देश में बहुत उत्साह से मनाया जाता है। विशेषकर देश की राजधानी दिल्ली में यह इतने विशिष्ट रूप में मनाया जाता है कि महीनों पहले से ही इसकी तैयारियां होने लगती हैं। शायद यही परम्परा है कि गणतंत्र दिवस मनाना ही गणतंत्र की रक्षा के लिए पर्याप्त है। क्योंकि गणतंत्र बनने से पहले देश में समाज का जो हाल था उसमें जो बदलाव आया है, हमे तो वह स्वाभाविक बदलाव ही नजर आता है। क्योंकि समय कुछ मामलों में स्वयं बदलाव कर लेता है और कुछ बदलाव किए जाते हैं। हमारे देश के की आत्मा समाज है और समाज में गणतंत्र के कारण जो बदलाव आने चाहिए वो आये तो नहीं।

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पहले राजतंत्र था अब गणतंत्र है, यानी बदला है तो “राज” और “गण” समाज और तंत्र तो वही नजर आ रहे हैं। देश का गणतंत्र ऐसा है कि नौकरी के लिए योग्यता की परख नहीं की जाती बल्कि धर्म, जाति और मजहब ही सर्वोपरि होता है। हर व्यक्ति के लिए उसकी जाति और धर्म के अलग-अलग कानून हैं। कानून को बकरी के कान की तरह, नेतागण अपने स्वार्थ की आपूर्ति के लिए मरोड़ देते हैं। कुछ सीटों के लिए तुष्टीकरण के खेल में देश की व्यवस्था की बलि चढ़ा दी जाती है।

आज भी देश की नारी को किसी गैर जाति से प्रेम करने पर सजा दी जाती है। गणतंत्र के रखवाले नेताओं के द्वारा जन शोषण का कार्य प्रगति पर है। करोड़ों नवजात शिशु और गर्भवती माताएं कुपोषण की शिकार है। नकली दवा के साथ साथ मानव अंग का भी व्यापार निरंतर पुष्पपल्लवित हो रहा है। एक तो आतंकवादी पकड़े नहीं जाते लेकिन यदि किसी तरह पकड़े भी गए तो उन्हें मेहमानों की तरह वर्षों पालते पोसते हैं। पड़ोसी मुल्क के लोग फ़ौजियों का सिर काट के ले जा रहे हैं और हम उनके नेताओं का स्वागत कर रहे हैं। इतना ही नहीं, अनेकों अपराध करने के बाद यहाँ का “गण” जाति-पाति और धर्म के नाम पर किसी अपराधी को भी “तंत्र” से जोड़ देते हैं और गणतंत्र का रक्षक नियुक्त कर देते हैं। ज्योतिष की मानें तो ये सब जल्दी बदलने वाला नहीं है। क्योंकि गणतंत्र की कुण्डली में लग्नेश और कर्मेश बृहस्पति नीच का है। जब हम नीच प्रवृत्ति के व्यक्ति से किसी अच्छे काम की आशा नहीं करते तो फ़िर किसी नीच ग्रह से हम कोई विशेष आशा क्यों करें। बृहस्पति अस्त भी है, साथ ही षष्ठेश सूर्य और अष्टमेश शुक्र के प्रभाव में है। चन्द्रमा मूल संज्ञक नक्षत्र यानी कि अश्वनी नक्षत्र में है। लग्न पर राहु, केतु और मंगल का प्रभाव है। यानी कि कहीं से भी कोई शुभ संकेत नहीं है। तो ऐसे में हम देश के कर्णधारों से कोई विशेष आशा न रखें तो ही ठीक है। जो भी इस देश या प्रदेश की कुर्सी पर बैठेगा उसके ज्ञान को ग्रहण लगेगा ही लगेगा। अत: आत्मनिर्भरता बहुत जरूरी होगी साथ ही समय समय पर जनजागरण करके देश के कर्णधारों को यह एहसास दिलाते रहना होगा कि वे निरंकुश नहीं है, वे हमसे हैं हम उनसे नहीं हैं। आइए अब आज के प्रमुख मुद्दे की बात कर लें।

26 जनवरी 2014 को गणतंत्र की आयु 64 की पूरी हो जाएगी यानी देश का गण्तंत्र 65वें वर्ष में प्रवेश कर जाएगा। पिछले साल देश की कुण्डली में लग्नेश शुक्र आठवें भाव में था और दशमेश शनि छठे भाव में था अत: कई कानूनों के बनने के बावजूद भी देश की कानून व्यवस्था चरमराई ही रही। इस साल यानी देश की 64 साल वाली कुण्डली में लग्नेश सूर्य छठे भाव में है और दशमेश शुक्र पंचम भाव में है अत: हालात में कुछ सुधार होने की उम्मीद हम कर सकते हैं।


इस वर्ष का वर्षेश चंद्रमा है अत: जनभावनाओं के आधार पर अगला चुनाव होना है। जिसने भी जनता की भावनाओं को छू लिया या भावुक कर लिया वही चुनावी जीत का बिगुल बजाएगा। चंद्रमा के वर्षेश होने के कारण विदेशों में हुई भारत की किरकिरी काफ़ी हद तक धुलेगी। भारत में आंतरिक शांति की स्थिति में सुधार होगा। डालर के मुकाबले रुपए की कीमत भी बेहतर होगी। लेकिन महंगाई कम करने का वादा कर सरकार बनाने वाले दलों की परेशानी में कमी आती नजर नहीं आ रही क्योंकि हाल फ़िलहाल महंगाई पर नियंत्रण होता तो नजर नहीं आ रहा। हालांकि देश में कई बेहतर नीतियों के लागू होने के योग हैं। विदेशों के साथ कुछ समझौतों के कारण भी देश की स्थिति में सुधार होगा।

कुल मिलाकर इस वर्ष की गणतंत्र कुण्डली, देश में बेहतरी का संकेत तो कर रही है, लेकिन कई तरह की परेशानियां भी दर्शा रही है। वर्ष का प्रथम भाग अपेक्षाकृत अधिक उठापटक वाला रहेगा। इसके बाद थोड़ी सी शांति की उम्मीद हम कर सकते हैं। जैसा कि लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि चुनाव बाद देश में कोई बड़ा चमत्कार होने वाला है तो ऐसा संकेत तो गणतंत्र कुण्डली नहीं दर्शा रही है लेकिन 4 जुलाई 2014 के पहले देश की प्रमुख कुर्सी पर किसी और के आसीन होने तथा उसके बाद स्थितियों में बेहतरी का संकेत जरूर कर रही है।

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