आम आदमी पार्टी का भविष्य कैसा होगा, यह कोई नहीं जानता। लेकिन सब जानना ज़रूर चाहते हैं। हमारे ज्योतिषी आचार्य रमन ने इस विषय पर प्रकाश डालने की कोशिश की है। आईए देखते हैं क्या है आम आदमी पार्टी का भविष्य।
वर्तमान समय में जनांदोलन से पैदा हुई आम आदमी पार्टी रोज़ सुर्ख़ियों में आ रही है - कभी अच्छे तो कभी बुरे प्रकरणों को लेकर। यह दल एक झटका है सभी बड़े दलों के लिए। कई राज्यों की सरकारें भयभीत हो रही हैं आने वाले भविष्य से। लोगों को भी इनसे बहुत आशा और अपेक्षाएँ हैं। मुख्य विरोधी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। कांग्रेस अपनी नयी छवि बनाने में लगी हुई है।
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कुछ लोगों का आरोप यह भी है कि कांग्रेस की बुराई कर सत्ता में आने वाली यही आम आदमी पार्टी कांग्रेस के समर्थन से सरकार चला रही है। विरोधियों का तो यहां तक कहना है कि इस दल ने इनके गुरु अन्ना हजारे की सीख को भी दरकिनार कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था की अभी दिल्ली पर ही ध्यान रखो लोक सभा पर नहीं। यदि विरोधियों की बात न करें तब भी कभी-कभी आम आदमी पार्टी के नेता अपने बयान के कारण कठिनाई में पड़ जाते हैं जैसे कि प्रशांत भूषण के कश्मीर के मसले पर विवादित बयान। इन स्थितियों को मद्देनज़र रखते हुए कई लोग पूछते हैं की इस पार्टी का क्या भविष्य है और कब तक यह कार्य ठीक से कर सकेगी।
अष्टम भाव आयुष्य का मुख्य भाव है। लग्न का उपनक्षत्र व्यक्ति के स्वास्थ्य की जानकारी देता है। स्थिर लग्न के लिए नवम भाव बाधक होता है और नवमेश बाधकाधिपति। द्वितीय और सप्तम मारक स्थान होते हैं।
इस कुंडली में लग्न का उपनक्षत्र स्वामी सप्तम भाव में है और षष्ठेश चंद्रमा के नक्षत्र में है। चन्द्रमा पाप प्रभाव में है जो ठीक नहीं है। गुरु और सूर्य मारकेश हैं और शुक्र बधाकेश। सूर्य और शुक्र लाभ में बैठे हैं और गुरु पंचम में है। सूर्य शुक्र के नक्षत्र में है और शुक्र सूर्य के नक्षत्र में। शनि और गुरु दोनों ही गुरु के नक्षत्र मैं हैं और बुध सूर्य के नक्षत्र में। राहु और शनि अष्टम भाव में है और शुक्र की राशी में हैं। अतः राहु भी बाधकेश का कार्य करेगा।
केतु की महादशा ३१-१२-२०१५ तक है, उसके बाद शुक्र और फिर सूर्य की महादशा शुरू होगी। अतः इस दल को केतु के बाद बाधक और मारक ग्रहों की दशा मिलेगी। राहु अपने ही नक्षत्र में है और बुध के नक्षत्र में कोई गृह नहीं है। लग्न पर गुरु की दृष्टि तो है मगर गुरु वक्री है। शुक्र भी वक्री है। अत: यह कुंडली अल्पायु से मध्यायु का संकेत देती है। कोई दल एक व्यक्ति नहीं होता जिसकी मृत्यु की तारीख़ देखी जा सके, किन्तु हम यह अवश्य देख सकते हैं की किस समय से यह दल निष्क्रिय हो सकता है; वहीं एक तरह से दल का अवसान होता है।
लग्न के उपनक्षत्र स्वामी का सप्तम भाव में होना और छठे भाव के स्वामी के नक्षत्र में होना कहीं न कहीं संकट तो दर्शाता है। अत: आगे चलकर इस दल की राहें कठिन होने वाली हैं।
केतु की महादशा भी बड़ी कठिनाइयों का संकेत कर रही है। उसके बाद शुक्र की महादशा आएगी जो कि बाधकाधिपति है और लाभ स्थान में स्थित है। राहु का अंतर १-३-२०२६ में समाप्त होगा और उसका प्रत्यंतर १३-८-२०२३ तक रहेगा। २०२३ से २०२६ के बीच का समय इस दल के लिए अनुकूल नहीं रहेगा। उस अवधि में दल विलोपन की स्थिति में जा सकता है।
इस वर्ष भारत में लोकसभा के चुनाव हैं और इस दल का अभी केतु की महादशा में शनि का अंतर चल रहा है जो ३-१-२०१५ तक रहेगा। शनि पंचम और अष्टम भाव को बहुत स्पष्ट रूप से दर्शाता है। अतः ये दशाएं इन्हें उम्मीद के अनुरूप परिणाम देने में समर्थ नहीं होंगी। शनि लग्नेश होने के साथ द्वादश भाव का भी प्रदर्शक है। अतः कुछ अंदरूनी मतभेदों के कारण पार्टी अधिक लाभ पाने से वंचित रह सकती है।
आचार्य रमन
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कुछ लोगों का आरोप यह भी है कि कांग्रेस की बुराई कर सत्ता में आने वाली यही आम आदमी पार्टी कांग्रेस के समर्थन से सरकार चला रही है। विरोधियों का तो यहां तक कहना है कि इस दल ने इनके गुरु अन्ना हजारे की सीख को भी दरकिनार कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था की अभी दिल्ली पर ही ध्यान रखो लोक सभा पर नहीं। यदि विरोधियों की बात न करें तब भी कभी-कभी आम आदमी पार्टी के नेता अपने बयान के कारण कठिनाई में पड़ जाते हैं जैसे कि प्रशांत भूषण के कश्मीर के मसले पर विवादित बयान। इन स्थितियों को मद्देनज़र रखते हुए कई लोग पूछते हैं की इस पार्टी का क्या भविष्य है और कब तक यह कार्य ठीक से कर सकेगी।
अष्टम भाव आयुष्य का मुख्य भाव है। लग्न का उपनक्षत्र व्यक्ति के स्वास्थ्य की जानकारी देता है। स्थिर लग्न के लिए नवम भाव बाधक होता है और नवमेश बाधकाधिपति। द्वितीय और सप्तम मारक स्थान होते हैं।
इस कुंडली में लग्न का उपनक्षत्र स्वामी सप्तम भाव में है और षष्ठेश चंद्रमा के नक्षत्र में है। चन्द्रमा पाप प्रभाव में है जो ठीक नहीं है। गुरु और सूर्य मारकेश हैं और शुक्र बधाकेश। सूर्य और शुक्र लाभ में बैठे हैं और गुरु पंचम में है। सूर्य शुक्र के नक्षत्र में है और शुक्र सूर्य के नक्षत्र में। शनि और गुरु दोनों ही गुरु के नक्षत्र मैं हैं और बुध सूर्य के नक्षत्र में। राहु और शनि अष्टम भाव में है और शुक्र की राशी में हैं। अतः राहु भी बाधकेश का कार्य करेगा।
केतु की महादशा ३१-१२-२०१५ तक है, उसके बाद शुक्र और फिर सूर्य की महादशा शुरू होगी। अतः इस दल को केतु के बाद बाधक और मारक ग्रहों की दशा मिलेगी। राहु अपने ही नक्षत्र में है और बुध के नक्षत्र में कोई गृह नहीं है। लग्न पर गुरु की दृष्टि तो है मगर गुरु वक्री है। शुक्र भी वक्री है। अत: यह कुंडली अल्पायु से मध्यायु का संकेत देती है। कोई दल एक व्यक्ति नहीं होता जिसकी मृत्यु की तारीख़ देखी जा सके, किन्तु हम यह अवश्य देख सकते हैं की किस समय से यह दल निष्क्रिय हो सकता है; वहीं एक तरह से दल का अवसान होता है।
लग्न के उपनक्षत्र स्वामी का सप्तम भाव में होना और छठे भाव के स्वामी के नक्षत्र में होना कहीं न कहीं संकट तो दर्शाता है। अत: आगे चलकर इस दल की राहें कठिन होने वाली हैं।
केतु की महादशा भी बड़ी कठिनाइयों का संकेत कर रही है। उसके बाद शुक्र की महादशा आएगी जो कि बाधकाधिपति है और लाभ स्थान में स्थित है। राहु का अंतर १-३-२०२६ में समाप्त होगा और उसका प्रत्यंतर १३-८-२०२३ तक रहेगा। २०२३ से २०२६ के बीच का समय इस दल के लिए अनुकूल नहीं रहेगा। उस अवधि में दल विलोपन की स्थिति में जा सकता है।
इस वर्ष भारत में लोकसभा के चुनाव हैं और इस दल का अभी केतु की महादशा में शनि का अंतर चल रहा है जो ३-१-२०१५ तक रहेगा। शनि पंचम और अष्टम भाव को बहुत स्पष्ट रूप से दर्शाता है। अतः ये दशाएं इन्हें उम्मीद के अनुरूप परिणाम देने में समर्थ नहीं होंगी। शनि लग्नेश होने के साथ द्वादश भाव का भी प्रदर्शक है। अतः कुछ अंदरूनी मतभेदों के कारण पार्टी अधिक लाभ पाने से वंचित रह सकती है।
आचार्य रमन
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