आम आदमी पार्टी ने कुछ ही समय पहले राजनीति में कदम रखा और देखते ही देखते राजधानी में अपनी सरकार बनाई। परन्तु आम आदमी पार्टी के ऊपर ड्रामेबाजी करने के आरोप लग रहे हैं। आइए, ज्योतिष के माध्यम से देखते हैं कि कैसा रहेगा लोकसभा चुनाव में इनका प्रदर्शन…
शायद दुनिया के इतिहास में ऐसा पहले कभी हुआ हो कि कुछ महीने पहले एक पार्टी का गठन होता है। वह पार्टी न केवल किसी प्रदेश वह भी देश की राजधानी में, अपनी सरकार बना लेती है बल्कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लगभग पूरे देश में पार्टी के कार्यालय खुल जाते हैं। यानी जिस तरह कांग्रेस भारत देश की सबसे बड़ी पार्टी है ठीक उतनी ही पहुंच आम आदमी पार्टी की बनती जा रही है। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।
ज्योतिष की माने तो चमत्कार करने में शनि और राहु के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। ये ग्रह न केवल बहुत बड़ा बनाते है बल्कि बहुत बुरा भी बनाते हैं। ज्योतिष में कहा गया है कि जब शनि ग्रह उच्चावस्था में होता है तो विद्रोह या बगावत की आग जरूर फैलती है। जिस समय आम आदमी पार्टी का गठन हुआ उस समय मकर लग्न और मेष राशि थी। यानी चर राशियों का पूर्ण प्रभाव था। इतना ही नहीं कर्म स्थान पर तुला (चर) राशि में शनि बुध और शुक्र स्थित हैं। अत: पार्टी की गति में तीव्रता आनी स्वाभाविक है, जो कि आई भी। पार्टी ने बड़ी तीव्र गति से तरक्की भी है।
पार्टी के ऊपर ड्रामेबाजी करने के आरोप लग रहे हैं। लोग कहते हैं कि दिल्ली में काबिज पार्टी के मंत्री किसी भी मिशन पर निकलने से पहले मीडिया को बुलाना नहीं भूलते। हर ऐसा काम करने से नहीं चूकते जिसमें पब्लिसिटी मिलती हो। ये आरोप सही हैं या गलत आइए इसे “आप” की कुण्डली के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं।
फ़िल्म इंडस्ट्री और ड्रामा कम्पनियों में काम करने वाले लोगों की कुण्डलियों में दो ग्रहों का प्रभाव अवश्य देखा गया है, पहला बुध ग्रह का और दूसरा शुक्र का। यह प्रभाव या तो लग्न पर देखा गया है या फ़िर दशम भाव पर। पंचम भाव पर भी इन ग्रहों का प्रभाव देखा गया है। आइए देखते हैं कि क्या “आप” की कुण्डली में यह योग है?
मकर लग्न की कुण्डली में दशम भाव में बुध और शुक्र की युति है। यह युति लग्नेश शनि के साथ भी हो रही है। इतना ही नहीं इस युति में पंचमेश शुक्र भी शामिल है। यानी बुध और शुक्र का प्रभाव न केवल कर्म स्थान पर है बल्कि लग्न, पंचम और चतुर्थ भाव पर है। तो भाई कुण्डली तो यही इशारा कर रही है कि लोगों के आरोप सही है।
जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि उच्चावस्था का शनि विद्रोह उत्पन्न करवाता है और जनवरी 2013 से शनि को राहु का साथ भी मिल गया। यही वो समय था जब से जनता उस पार्टी का समर्थन करने लगी जो परम्बरा तोड़ने की बात कर रही थी। चाहे वह भष्टाचार परम्परा को तोड़ने की बात रही हो या कोई अन्य सरकारी नियम तोड़ने की परम्परा रही हो जैसे कि बिजली-पानी के बिल न चुकाने आदि का मामला रहा हो। शनि और राहु की यह युति जुलाई 2014 तक तो बनी ही हुई है। यानी यह युति परम्परा तोड़ने में सहायक है। जैसा कि आरोप लग रहे हैं कि “आप” और “कांग्रेस” में सांट-गांठ हो गई है, यदि यह आरोप है तो इसका मतलब ये कि “आप” भी परंपरावादी हो गई है। यदि यह सच है तो जिस गति से पार्टी का उदय हुआ है उसी गति से पार्टी अधोगति को प्राप्त हो सकती है लेकिन यदि यह आरोप गलत है तो पार्टी इसी अवधि यानी जुलाई या नवम्बर से पहले पहले बड़ी संख्या में अपनी विजय पताका लहराएगी।
यह फलादेश मैं किसी पार्टी से आत्मीयता वश नहीं कर रहा हूं बल्कि साफ़-साफ़ बता रहा हूं कि यदि आम आदमी पार्टी परम्परा से हट कर काम कर रही है तो जनता के कारक ग्रह शनि और संचार के कारक ग्रह राहु की युति इन्हें बहुत बड़ी सफलता देने वाली है ये लोकसभा चुनावों में एक बहुत बड़ी ताकत के रूप में उभरने वाले हैं लेकिन इसके विपरीत यदि परम्परावादी हो जाते हैं या भ्रष्ट लोगों के साथ हो जाते हैं तो जनता इन्हें पूरी तरह नकार देगी।
आइए अब इनके शपथग्रहण के समय की कुण्डली पर बात कर लें अरविंद केजरीवाल जी के शपथ ग्रहण करते समय मीन लग्न, तुला राशि और कन्या का नवांश था। द्विस्वभाव लग्न, चर राशि और द्विस्वभाव नवांश, यानी कहीं से भी स्थिरता दृष्टिगोचर नहीं हो रही है। लग्नेश वक्री होने के साथ ही द्विस्वभाव राशि में है यानी यहां से भी स्थिरता नजर नहीं आ रही है।
यहां लग्न, चतुर्थ और दशम भाव पर विशेष विचार करना जरूरी है। लग्नेश वक्री है यानी पार्टी कमजोर है, लग्नेश चतुर्थ भाव में अपने अतिशत्रु बुध की राशि में है, यानी पार्टी ने अपने शत्रु से सांठ-गांठ या समर्थन लिया। यानी सरकार में बुध की बड़ी अहमियत होगी। तीसरा भाव भी सपोर्ट का भाव है वहां का स्वामी शुक्र लाभ भाव में है यानी यानी सरकार में शुक्र की भी बड़ी अहमियत होगी।
वर्तमान में इन्हीं दो ग्रहों का गोचर बदल गया है। शपथ के समय जो बुध लग्नेश गुरु और बाह्य या जन समर्थन के भाव (चतुर्थ) पर प्रभाव डाल रहा था वह अब बदल गया है यानी चतुर्थ से उसकी दृष्टि हट गई है। साथ ही चतुर्थेश अपने से अष्टम भाव में चला गया है अत: सरकार अपने मुद्दों और लक्ष्य से भटक रही है। इन्हीं गोचर के कारण बहुत सम्भव है कि कई कांग्रेसी समर्थक अब उन्हें समर्थन देते रहने के मूड में नहीं हैं। तृतीय भाव भी सपोर्ट का भाव है जो विशेषकर अपनो के समर्थन का इशारा करता है। वहां का स्वामी शुक्र वक्री होकर दशम भाव में वापस आ गया है यानी अपने से अष्टम भाव में आ गया है। यानी अब अपने सगे सपोर्टर भी साथ छोड़ सकते हैं। पूरे जनवरी के महीने शुक्र वक्री है तब तक इनकी आंतरिक कलह जोरों पर रहेंगी। इसके बाद चीजे व्यवस्थित होना शुरु हो जाएंगी। लेकिन कुछ सपोर्टर फरवरी के अंत तक या फ़िर मार्च के महीने तक विपक्षियों से मिल सकते हैं। इनके लिए राहत देने वाली बात यह रहेगी कि मार्च के महीने में कुछ ऐसी रिपोर्ट्स आ सकती है जिससे “आप” काअ पक्ष थोड़ा सा मजबूत होगा। यानी बुध और शुक्र ग्रह जो इनके अंदर लोगों को मोहने की क्षमता देते हैं उन्हें यदि प्रसन्न नहीं रखते तो आने वाले समय में इन्हें बड़ा नुकसान हो सकता साथ ही अपनी वही बात फ़िर से दोहराना चाहूंगा कि यदि ये सच्चाई, ईमानदारी और पारदशिता का साथ देते हुए परम्परा से हट कर काम करते रहेंगे तो शनि और राहु की कृपा इन पर बनी रहेगी और ये एक बड़ा इतिहास रच सकते हैं अन्यथा जिन ग्रहों ने इन्हें बनाया है वो अपना आशिर्वाद वापस ले सकते हैं। कुल मिलाकर यह लोकसभा चुनाव बड़ा ही अप्रत्यासित परिणाम देने वाला रह सकता है।
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