शरद नवरात्रि आँठवे और नौंवे दिन अपने चरम को छू जाता है जिन्हें हम क्रमशः महाष्टमी और महानवमी के नाम से भी जानते हैं। आज, यानि अक्टूबर 2, 2014 को यह दोनों पवित्र दिन मनाए जाएँगे। इसीलिये यह दिन भौतिक सुख प्राप्त करने के लिए बहुत ही शुभ है।
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महागौरी को अष्टमी के दिन पूजा जाता है और नवमी का दिन देवी सिद्धिदात्री को समर्पित है। आइए जानते हैं इस दिन का पंचांग और मुहूर्त:
(नीचे दिया गया पंचांग नई दिल्ली के अनुसार है।)
- आज सूर्योदय का समय है प्रातः 06:18 और सूर्यास्त होगा सायं 18:02 ।
- अष्टमी तिथि है दोपहर 12:07 तक और उसके पश्चात नवमी तिथि दूसरे दिन प्रातः 09:58 तक रहेगी , अश्विन माह, शुक्ल पक्ष है।
- राहुकाल शुरू हो रहा है दोपहर 01:38 और खत्म हो रहा है दोपहर 03:06 पर
- अभिजीत मुहूर्त शुरू होगा प्रातः 11:46 और खत्म होगा दोपहर में 12:23 पर।
- अमृत काल शुरू होगा सायं 05:19 और खत्म होगा सायं 06:50 ।
- पूजा मुहूर्त: प्रातः 06:14 से 07:43 तक
आज के दिन की जाने वाली पूज
- सरस्वती पूजा
- महागौरी पूजा
- संधि पूजा
- कन्या पूजा
महागौरी का रूप-विवरण
पुराणों के अनुसार, देवी शैलपुत्री अपनी किशोरावस्था में बहुत ही सुन्दर थीं। उनके श्वेत रंग के कारण उनका नाम महागौरी पड़ा। वह इतनी गोरी थी की उनकी श्वेतता की तुलना शंख, चंद्रमा, और सफेद फूल कुंदा से की जाती थी। और वो सिर्फ श्वेत वस्त्र ही पहनती थी, जिस कारण से उनका नाम ‘श्वेताम्बरधरा’ रखा गया।
नवरात्रि के दौरान उन्हें आँठवे दिन, यानि अष्टमी के दिन पूजा जाता है। कहा जाता है कि महागौरी राहु ग्रह की देवी हैँ। वह बैल पर सवार होती हैं, इसीलिए उन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। देवी महागौरी के चार हाथ हैं। वह एक दाएँ हाथ में त्रिशूल पकड़ती हैं और दूसरे बायाँ हाथ अभय मुद्रा में रहता है। वह एक बाएँ हाथ में डमरू पकड़ती हैं और दूसरा दायाँ हाथ वर मुद्रा में रहता हैं।
महागौरी स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
सिद्धिधात्री का रूप-विवरण
देवी सिद्धिधात्री आदि-पराशक्ति का दार्शनिक रूप हैँ। मान्यताओं के अनुसार, रूद्र ने ब्रह्माण्ड की रचना के लिए आदि-पराशक्ति की आराधना की थी। वह शिव के अर्ध बाएँ भाग से देवी सिद्धिधात्री के रूप में प्रकट हुई थीं। तब से भगवान शिव को अर्ध-नारेश्वर के नाम से जाना जाता है। वह सर्वोच्च देवी हैं जो इस रचना की सारी शक्तियों को संभालती हैं।
नवरात्रि के दौरान देवी सिद्धिधात्री को नौवें दिन पूजा जाता है। केतु ग्रह देवी सिद्धिधात्री द्वारा शासित है। उनका रूप बहुत ही कुलीन है। जब वह बैठती हैं तो कमल पुष्प उनकी शैय्या बन जाता है और जब वह घूमती है तो शेर उनकी सवारी बन जाता है। उनकी चार भुजाएँ हैं। एक दाएँ हाथ में गदा और दूसरे दाएँ हाथ में चक्र है। ऐसे ही एक बाएँ हाथ में कमल पुष्प है और दूसरे बाएँ हाथ में शंख है।
देवी के पूजन से आप ब्रह्माण्ड की सारी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। सारी शक्तियाँ को पा सकते हैं और आध्यात्मिक प्रबुद्ध बन सकते हैं। भगवान शिव को भी अपनी सारी सिद्धि उनसे ही प्राप्त हुई थी। देवी की पूजा मात्र इंसानों द्वारा ही नहीं की जाती, बल्कि सारे जीव-जंतुओं द्वारा की जाती है- देव, गन्धर्व, असुर, यक्ष या सिद्ध।
सिद्धिधात्री स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
दुर्गा पूजा का चौथा दिन
दुर्गा पूजा का चौथा दिन भी आ गया है। यह दिन दुर्गा पूजा के सभी दिनों में सबसे महत्त्वपूर्ण मन जाता है क्योंकि इस दिन कन्यायों की पूजा की जाती है। भक्त इस दिन दुर्गा माँ को विशेष भेंट देते हैं। पूजा की बात की जाए तो इस दिन संधि पूजा की जाती है। कहा जाता है कि दुर्गा माँ आँठवे और नौंवे दिन के अंतराल में बहुत ही भयानक और शक्तिशाली रूप धारण करती हैं। माँ के इस रूप की पूजा भगवान राम ने रावण के विरुद्ध विजय पाने के लिए की थी।
मंत्र
सर्वमंगलमागल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तु ते॥
कुंकुमेन समालब्धे चन्दनेन विलेपिते। बिल्वपत्रकृतामाले दुर्गेअहं शरणं गत:॥
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आज का पर्व!आज हमारे देश के दो महान नेताओं का जन्म दिवस है, महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री। इस दिन के उपलक्ष्य में हमारे आज का लेख पड़ना न भूलें: महात्मा गांधी तथा लाल बहादुर शास्त्री जन्म दिवस (अक्टूबर 2)
आपका दिन मंगलमय हो!
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