आज, यानि अक्टूबर 1, 2014, को नवरात्रि का सातवाँ दिन और दुर्गा पूजा का तीसरा दिन मनाया जाएगा। देवी कालरात्रि माँ दुर्गा का सातवाँ स्वरुप हैं। देवी कालरात्रि की आराधना करें और अपनी सारी शंकाओं और भय से मुक्ति पाएँ।
नवरात्रि का सातवाँ दिन आज मनाया जायेगा। नवरात्रि का सातवाँ दिन देवी कालरात्रि को समर्पित है। देवी कालरात्री अपने भक्तों को उल्लेखनीय शक्ति, नाम और ख्याति पाने का वरदान देती हैं। अगर पूर्ण विश्वास और समर्पण के साथ पूजा की जाए तो माँ कालरात्री अपने भक्तों के मार्ग से सारी परेशानियाँ हटा देती हैं और उन्हें अपार सुख देती हैं। देवी कालरात्री को माँ दुर्गा का सबसे उत्तेजित रूप माना जाता है, और उन्हें ‘काली माँ’ के नाम से भी जाना जाता है।
नवरात्रि सातवाँ दिन - पंचांग
(नीचे दिया गया पंचांग नई दिल्ली के अनुसार है।)
आज सूर्योदय का समय है प्रातः 06:13 am और सूर्यास्त होगा सायं 18:07 pm ।
चंद्रोदय का समय है सायं 12:28 pm और चन्द्रास्त होगा रात 11:30 pm।
सप्तमी तिथि है (दोपहर 01:49 pm), अश्विन माह, शुक्ल पक्ष, एवं मूल नक्षत्र (11:03 pm) है।
राहुकाल शुरू हो रहा है दोपहर 12:10 pm और खत्म हो रहा है दोपहर 01:38 pm।
अमृत काल शुरू होगा सायं 04:50 pm और खत्म होगा सायं 06:23 pm।
पूजा मुहूर्त: 06:13 am से 09:12 am तक
देवी कालरात्रि का रूप विवरण
देवी कालरात्रि का रूप बहुत ही भयानक है और रंग काला है। उनके दर्शनमात्र से ही सारी नकारात्मकता का विनाश हो जाता है। उनकी तीन बड़ी-बड़ी लाल आँखें और बिखरे हुए लंबे काले बाल हैं। देवी कालरात्रि की चार भुजाएँ हैं। उनके ऊपरी बाएँ हाथ में एक कृपाण है और निचले बाएँ हाथ में लोहे का काँटा रहता है। माँ कालरात्रि का ऊपरी दायाँ हाथ वर मुद्रा में और निचला दायाँ हाथ अभय मुद्रा में रहता है। उनकी सवारी गर्दभ है। देवी कालरात्रि हर तरह के भय को दूर कर देती हैं और ब्रह्माण्ड से सारी नकारात्मकता और सभी बुरी शक्तियों का नाश कर देती हैं। देवी कालरात्री ने रक्तबीज नामक एक भयानक राक्षस का वध किया था।
देवी कालरात्रि का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अर्थात: जो देवी सब मनुष्यों के हृदय में देवी कालरात्रि के स्वरुप में वास करती हैं, उन देवी को मैं प्रणाम करता हूँ।
पूजा संस्कार
देवी कालरात्रि के पूजा संस्कार अन्य देवियों के समान ही हैं। विधि के अनुसार, सबसे पहले सभी ग्रहों और देवी के परिवार के सदस्यों के साथ कलश की पूजा की जाती है। देवी कालरात्रि सभी बुरी शक्तियों और काले जादू के प्रकोप से भी अपने भक्तों को मुक्त करती हैं।
यह दिन तांत्रिकों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन तांत्रिक आधी रात में देवी कालरात्रि की तांत्रिक संस्कारों से पूजा करते हैं।
दुर्गा पूजा का तीसरा दिन
दुर्गा पूजा का त्यौहार दुर्गा माँ का अभिनंदन करता है और यह छह दिन का त्यौहार है। आज दुर्गा पूजा का तीसरा दिन है, जिसे हम सप्तमी भी कहते हैं। दुर्गा पूजा के तीसरे दिन केले के पेड़ को पवित्र जल से नहलाया जाता है और गणेश जी की अर्धांगिनी के रूप में सजाया जाता है। फिर उस पेड़ को गणेश जी की मूर्ति के साथ रखा जाता है। अब नौ ग्रहों की दुर्गा माँ के नौ अवतारों के रूप में पूजा की जाती है।
दुर्गा मंत्र
ॐ जयंती मंगला काली, भद्रा काली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री, स्वः स्वधा नमोस्तुते।।
इस मंत्र का जाप देवी दुर्गा पर फूल अर्पित करते हुए करें।
माँ दुर्गा और देवी कालरात्रि आपकी सारी मनोकामनाएँ पूरी करें !
दुर्गा माँ को अपने साथ रखने के लिए अपने मोबाइल फ़ोन में आज ही दुर्गा चालीसा डाउनलोड करें: दुर्गा चालीसा ई-बुक FREE डाउनलोड
आज का पर्व!आज की सेंसेक्स निफ़्टी प्रिडिक्शन्स जानने के लिए यहाँ क्लिक करें: सेंसेक्स निफ़्टी प्रिडिक्शन्स
आपका दिन मंगलमय हो!
|
आने वाले पर्व !
कल नवरात्रि का आठवाँ (अष्टमी) और नौवाँ दिन (नवमी) है। इस दिन की पूरी जानकारी पाने के लिए हमारे कल प्रकाशित होने वाले लेख को ज़रूर पढ़ें।
|
No comments:
Post a Comment