विश्वकर्मा पूजा आज: मुहूर्त एवं पंचांग

विश्वकर्मा पूजा आज, 17 सितंबर 2014, को है। क्या आपको एक ऐसा निर्मित जीवन चाहिए जो मुश्किलों से परे हो? तो आईये जानते हैं कि किस प्रकार विश्वकर्मा देव आपके लिए एक प्रेम, आशीर्वाद, एवं सेहतमंद जीवन निर्मित कर सकते हैं। 

विश्वकर्मा पूजा सितम्बर 17, 2014 को मनाई जाएगी।

यह शुभ दिन विश्वकर्मा देव को समर्पित किया जाता हैं। पर कुछ तो वजह अवश्य होगी जिसकी वजह से विश्वकर्मा देव को इतनी उच्च श्रद्धा से नवाज़ा जाता है। चलिए विश्वकर्मा देव और विश्वकर्मा पूजा के बारे में विस्तार से जानें। 

आपने आज के दिनों में इंजीनियर और वास्तुकारों के बारे में तो सुना ही होगा; इस लेख के द्वारा हम आपको एक दिव्य इंजीनियर से मिलवाएंगे, जिन्हे विश्वकर्मा के नाम से जाना जाता हैं। विश्वकर्मा देव अपने स्थापत्य एवं वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है और ये भी माना जाता हैं की उन्होंने देवताओं के राजस्वी महलों का निर्माण किया था। 


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विशवकर्मा पूजा 2014 मुहूर्त 


  • लाभ चौघड़िया पूजा मुहूर्त: 6:06 a.m. से 7:39 a.m.
  • अमृत चौघड़िया पूजा मुहूर्त: 7:39 a.m. से 9:11 a.m.
  • शुभ चौघड़िया पूजा मुहूर्त: 10:43 a.m. से 12:15 p.m. 
  • पूजा के लिए निषिद्ध क्षण (राहु काल की मौजूदगी): 12:15 p.m. से 13:47 p.m.

विश्वकर्मा पूजा के प्रमुख निर्माण


आपको विश्वकर्मा देव के प्रमुख निर्माण अवश्य जानने चाहिये। निम्नलिखित हैं विश्वकर्मा देव के दिव्य निर्माण: 
  1. विश्वकर्मा देव ने स्वर्ग लोक की रूप-रेखा तैयार कर उसकी रचना की थी। 
  2. सोने की लंका भी उनके प्रमुख निर्माणों में से एक है, जहां रावण रहते थे। 
  3. द्वारका नगरी उनकी बेहतरीन कृतियों में से एक है। 
अभी इतना कुछ जानने के बाद आप लोग अवश्य यह भी जानना चाहेंगे की विश्वकर्मा पूजा कैसे मनाई जाती है। चलिए, अब विश्वकर्मा पूजा से जुड़ी हुई रीतियों के बारे में जानते हैं। 

विश्वकर्मा पूजा 2014: रस्में और परम्पराएं


विश्वकर्मा पूजा के दिन निम्नलिखित रस्मों एवं परम्पराओं का पालन करें:
  1. विश्वकर्मा पूजा तरह तरह के कार्यशालाओं, कारखानों, दुकानों आदि में बड़े ही भक्ति भाव एवं समर्पण से मनाई जाती हैं। 
  2. इसके दौरान पंडाल या मंडप भी तैयार किये जाते हैं, जिनमें विश्वकर्मा देव की मूर्ति की स्थापना की जाती है। 
  3. इस दिन पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता भी रखी जाती है। लोग अपने घर की छतों पे भी पतंग उड़ाते हैं। बंगाल में विश्वकर्मा पूजा के दिन यह एक प्रमुख रस्म मानी जाती है। 
  4. वाहन और अन्य मशीनरी (साधन) को भी इस दिन पूजा जाता हैं।
  5. कुछ कारखानों में श्रमिकों को इस दिन उपहार में आकर्षक बोनस (अधिलाभ रकम) दी जाती हैं। 
  6. सभी रस्म एवं परम्पराओं के ख़त्म होने पर, लोगों के बीच प्रसाद वितरित किया जाता है। 
पौराणिक कथाओं के अनुसार विश्वकर्मा देव के पांच अवतार हैं: विराट विश्वकर्मा, धर्मवंशी विश्वकर्मा, अंगिरावंशी विश्वकर्मा, सुधन्वा विश्वकर्मा एवं बृगुवंशी विश्वकर्मा। 
विश्वकर्मा देव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आरती पढ़ें: 

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल श्रिष्टि के करता रक्षक स्तुति धर्म॥ म आदि श्रिष्टि में विधि को श्रुति उपदेश दिया। 
जीव मात्र का जग में ज्ञान विकास किया॥ 
ऋषि अंगिरा शान्ति नहीं पायी। 
रोग ग्रस्त राजा ने जब आश्रय लीना। 
संकट मोचन बनकर दूर दुःख कीना ॥ जय श्री विश्वकर्मा।
जब रथकार दम्पति तुम्हारी तेर करी। 
सुनकर दीन प्रार्थना विपत हरी सगरी॥ 
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे। 
द्विभुज चतुर्भुज दशभुज सकल रूप साजे ॥ 
ध्यान धरे तब पद का’ सकल सिद्धि आवे। 
मन द्विविधा मं जावे, अटल शक्ति पावे॥ 
श्री विश्वकर्मा की आरती जो कोई गावे। 
भजत गजानंद स्वामी सुख संपत्ति पावे॥ 
जय श्री विश्वकर्मा 

ऊपर दिए गए सभी रीतियों को पूरे समर्पण से विश्वकर्मा देव को अर्पण कीजिये, वो अवश्य ही आपकी मुरादें पूरी करेंगे। 


आज का पर्व!


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आज मात्र नवमी हैं। इस दिन उन सभी औरतों का श्राद्ध किया जाता हैं जिनके पति की मृत्यु उनसे पहले हो चुकी।

कन्या राशि में सूर्य का गोचर होने वाला है आज के दिन। इस गोचर के दौरान तूफ़ान, भारी वर्षा भी संभावित हैं।

आपका दिन मंगलमय हो! 

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