शिक्षक दिवस: एक आदर्श गुरु कौन है?

प्रत्येक वर्ष 5 सितम्बर को हम "शिक्षक दिवस" के दिन उन महान विभूतियों को नमन तथा याद करते हैं, जिन्होंने हमें इस जीवन-पथ पर चलने का गुण सिखाया। आइये, आज इस पवित्र दिन पर जानते हैं ज्योतिषविद पं. दीपक दूबे के माध्यम से  - क्या है शिक्षक दिवस? कौन से ऐसे गुण हैं जो किसी इन्सान को बनाते हैं महान और आदर्श गुरु? और ग्रहों की क्या होती है भूमिका किसी को महान गुरु बनाने में? 

शिक्षक दिवस हर साल सितम्बर ५ को मनाया जाता है।


गुरु:


शिव की पवित्र नगरी वाराणसी के रहने वाले पण्डित दीपक दूबे अनन्य शिवभक्त, प्रखर ज्योतिषी और अनुष्ठानों के मर्मज्ञ हैं। साथ ही वे कर्मकाण्ड, मन्त्र-तन्त्र और वास्तु के गहन अध्येता भी हैं। उन्हें ज्योतिष और कर्मकाण्ड का ज्ञान अपने पिता से हासिल हुआ, जो स्वयं प्रकाण्ड ज्योतिषी और अनन्य काली-उपासक हैं। वे विभिन्न टीवी और एफ़एम चर्चाओं में ज्योतिषी के तौर पर प्रायः आमंत्रित किए जाते रहे हैं। मनोविज्ञान में स्नातक, पण्डित दीपक दूबे, कई पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी कर चुके हैं।
गुरु, अर्थात अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला। अंधकार यानि की अज्ञानता और प्रकाश अर्थात ज्ञान। गुरु, हमारे जीवन में आना वाली वह महान विभूति है जो हमें अज्ञानता रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाने का सामर्थ्य रखता है। यह गुण सबमें विद्यमान नहीं होता। एक सच्चा गुरु वह बन सकता है जो द्वेष और ईर्ष्या से परे हो, जो ज्ञान रूपी अमृत देने के लिए अपनी सुध-बुध भुला बैठे, उससे ज्ञान पाने वाला यदि उससे भी अधिक सामर्थ्यवान बन जाए तो भी गुरु ही सबसे अधिक प्रसन्न हो। अर्थात वही व्यक्ति सच्चा गुरु बन सकता है जो क्रोध, लोभ, मोह, द्वेष तथा स्वार्थ से परे हो तथा भटके हुए प्राणियों को सही रास्ता दिखाने का सामर्थ्य रखता हो। यहाँ ज्ञान का तात्पर्य केवल किताबी ज्ञान से ही नहीं अपितु जीवन का हर वो क्षेत्र जहाँ हमें पथ प्रदर्शक की आवश्यकता पड़ती है और जो हमें उस क्षण मार्ग दिखाए। किसी भी व्यक्ति की पहली गुरु उसको जन्म देने वाली माँ ही होती है। 

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शिक्षक दिवस क्या है ?


भारत में शिक्षक दिवस हर साल 5 सितम्बर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के दिन मनाया जाता है। वैसे तो यह दिन शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों को याद करने तथा सम्मानित करने का होता है, परन्तु मेरा मानना है कि इस दिन हमें उन महान विभूतियों को भी याद करना चाहिए जिनका योगदान हमें सच्चे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने में भी हो। इस श्रेणी में हम भारत की पहली महिला शिक्षक सावित्री बाई फूले, स्वामी विवेकानंद, मदर टेरेसा, गुरु रविन्द्र नाथ टैगोर, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम तथा आध्यात्मिक गुरुओं में संत ज्ञानेश्वर, गुरु नानक, गुरु गोविन्द सिंह और भी बहुत सी ऐसी महान विभूतियाँ हैं जिन्हे हम महान गुरुओं की श्रेणी में रखते हैं। 

गुरु और ज्योतिष 


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति में पाये जाने वाले सभी गुण किसी ना किसी ग्रह के प्रभाव के कारण ही होते हैं। जैसा की मैंने पहले कहा कि सच्चे गुरु में क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, स्वार्थ इत्यादि जैसे दुर्गुण नहीं होने चाहिए। एक सच्चे गुरु के अंदर ज्ञान, दया, क्षमा, तथा अपने ज्ञान को व्यक्त करने की क्षमता होनी चाहिए। 


यदि ज्योतिष के दृष्टिकोण से देखें तो एक सच्चे गुरु की कुंडली में बृहस्पति ग्रह जिसे स्वयं भी गुरु कहा जाता है, की स्थिति अच्छी होनी चाहिए। बुद्धि का कारक बुध और विशाल ह्रदय का कारक सूर्य भी अच्छी स्थिति या सूर्य-बुध युति होनी चाहिए। लग्न या पंचम से बृहस्पति का सम्बन्ध अवश्य होना चाहिए और लग्न राहु, केतु, मंगल, और शनि के प्रभाव में नहीं होना चाहिए। 

आइए अब कुछ महान विभूतियाँ जिन्हे हम पथ-प्रदर्शक के रूप में भी जानते हैं उनकी कुंडलियों पर नज़र डाली जाय, जिससे यह सिद्ध हो सके कि किसी को अच्छा गुरु बनाने में ग्रहों का क्या खेल है। 

कुछ महान विभूतियाँ और उनकी कुंडली 


सर्वप्रथम डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की कुंडली देखते हैं -



धनु लग्न अर्थात बृहस्पति की राशि, भाग्य स्थान पर अपनी ही राशि का सिंहस्थ सूर्य, केंद्र में उच्च का बुध, शुक्र के साथ। 

स्वामी विवेकानंद



स्वामी विवेकानंद जी की कुंडली में धनु लग्न जो स्वयं गुरु की ही राशि है, लग्न में भाग्येश सूर्य, द्वितीय भाव में बुध और शुक्र की युति अर्थात अत्यंत ही ओजस्वी वाणी। पंचम भाव में मेष का मंगल जिस पर गुरु की सीधी दृष्टि। 

रविन्द्र नाथ टैगोर 



श्री रविन्द्र नाथ टैगोर की कुंडली भी बृहस्पति की राशि अर्थात मीन लग्न की है जिसमें चन्द्रमा विराजमान हैं। द्वितीय भाव में उच्च का सूर्य साथ में बुध और शुक्र भी है। पंचम भाव में उच्च का गुरु स्थित है। 

मदर टेरेसा 



एक बार पुनः देखने को मिल रहा है कि मदर टेरेसा की कुंडली भी बृहस्पति की राशि वाली है अर्थात धनु लग्न की है। दशम भाव में उच्च का बुध और साथ में गुरु स्थित है। 

डॉ. भीमराव अम्बेडकर 




भारत के संविधान के रचयिता डॉ. भीमराव अम्बेडकर की कुंडली भी मीन लग्न की है अर्थात गुरु की हैं। द्वितीय भाव में उच्च का सूर्य, बुध के साथ हैं। 

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम 



हमारे पूर्व राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम की कुंडली में गुरु लग्नस्थ वो भी उच्च का है। उच्च का बुध, सूर्य के साथ हैं। शुक्र के साथ चतुर्थ में स्थित मंगल की दशम भाव पर यानि स्वराशि पर दृष्टि है ।

यहाँ पर इन सभी कुंडलियों में एक समानता देखने को मिल रही है और वह है बृहस्पति का लग्न से सीधा सम्बन्ध, या तो लग्न स्वयं बृहस्पति की है या स्वयं बृहस्पति लग्न में है। दूसरा बुध और सूर्य की युति भी लगभग सभी में है अधिकांश में बुध उच्च का है। वैसे भी गुरु, शुक्र और बुध ज्ञान के ही ग्रह माने जाते हैं और इनमें भी गुरु सर्वोपरि है। 

एक सच्चा और अच्छा गुरु बनने के लिए पहले एक अच्छा शिष्य भी बनना होता है। आइये शिक्षक दिवस पर हम सभी अपने गुरुजनों को नमन करते हुए एक अच्छा शिष्य बनने का संकल्प लें। 

ॐ नमः शिवाय 

ज्योतिषविद पं. दीपक दूबे

आज का पर्व!


आज पद्मा एकादशी का पावन त्यौहार है। आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें और अपने सभी पिछले जन्म के पापों से मुक्ति पाएँ। पद्मा एकादशी का सुफल आपको सुखद जीवन की ओर ले जाएगा।

आज जल झूलन एकादशी का भी पर्व है। जल झूलन एकादशी मुख्यतः राजस्थान के जयपुर शहर में मनाई जाती है। इस दिन जयपुर के लोग अपने आपको इस एकादशी के रंगो में रंग लेते हैं।

आज अंतराष्ट्रीय करुणा दिवस है। ज़रूरत मंद लोगों को दान देकर आज का दिन मनाएँ। आइये हम आने वाले समय को और सुखद बनाने का प्रण लें और ज़रूरतमंदों की मदद करें।

आज यानि सितम्बर 5, 2014 के दिन मंगल का वृश्चिक राशि में गोचर हो रहा है। अपनी राशि पर इसके होने वाले प्रभावों को पढ़ें और अपने समय को नियोजित करें।

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