आज 30 सितम्बर है, यानि नवरात्रि का छठा दिन। आज के ही दिन दुर्गा पूजा का दूसरा दिन भी मनाया जाता है । इस दिन के बारे में और अधिक जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
छठे दिन के आगमन के साथ नवरात्रि अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुकी है। माँ दुर्गा ने इस दिन कात्यायनी के रूप में अवतार लिया था। आज यानि नवरात्रि के छठे दिन को माँ कात्यायनी देवी की आराधना तथा पूजा करके मनाया जाता है। आइये वह दिव्य नज़ारा देखते हैं जब भक्त अपनी भक्ति और समर्पण से देवी कात्यायनी को सुरक्षित और बेहतर भविष्य के लिए प्रसन्न करेंगे।
नवरात्रि छठा दिन - पंचांग
(नीचे दिया गया पंचांग नई दिल्ली के अनुसार है।)
- आज सूर्योदय का समय है 06:16 am और सूर्यास्त होगा 06:04 pm पर।
- चंद्रोदय का समय है 11:32 am और चन्द्रास्त होगा 10:33 pm पर।
- षष्ठी तिथि 03:00 pm तक है , अश्विन माह, शुक्ल पक्ष, एवं ज्येष्ठ नक्षत्र (11:44 pm) है।
- राहुकाल शुरू हो रहा है 03:07pm पर और खत्म हो रहा है 04:35 pm पर।
- अमृत काल शुरू होगा 02:59 pm पर और खत्म होगा 04:35 pm पर।
- पूजा मुहूर्त: 06:12 am से 07:42 am
देवी कात्यायनी का रूप-विवरण
माँ कात्यायनी को तीन नेत्र और चार हस्त के साथ चित्रित किया गया है। उन्होंने ऊपर बाएँ हाथ में तलवार धारण की हुई है और निचले बाएँ हाथ में कमल का फ़ूल है। अब उनके दाएँ हाथ की बात करते हैं। माँ कात्यायनी का दायाँ आधा भाग शांत स्थिति को दर्शाता है। उनका ऊपरी दायाँ और निचला दायाँ हाथ क्रमशः रक्षा और अनुमति की मुद्रा में हैं। संत कात्यायन ने माँ दुर्गा को अपनी पुत्री के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था, जिसके फलस्वरूप माँ कात्यायनी ने उनके घर जन्म लिया। इसीलिए उन्हें माँ कात्यायनी कहा जाता है। नवरात्रि का छठा दिन साधकों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना गया है क्योंकि यह दिन साधना करने के लिए विशेष माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन कुँवारी कन्यायों द्वारा कठोर तप करने से उनके विवाह में आने वाली बाधाएँ मिट जाती हैं।
मंत्र
चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना |
कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि ||
पूजा विधि
नवरात्रि के छठे दिन की बात करें तो इस दिन अन्य नवरात्रि के प्रकार ही अनुष्ठान किए जाएंगे। कहा जाता है कि इस दिन कात्यायनी देवी की आराधना करने से धर्म, कर्म, मोक्ष और अर्थ की प्राप्ति होती है। रस्मों की शुरुआत करने से पहले कलश पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कलश में वास करते हैं, इसीलिए, कलश की पूजा करना बहुत शुभ माना गया है। इसके पश्चात देवी के परिवार के सदस्यों की पूजा की जाती है।
देवी कात्यायनी की पूजा विधि और संस्कार नवरात्र पर नव दुर्गा के अन्य रूपों की पूजा करने के लगभग समान है।
दुर्गा पूजा का दूसरा दिन
आज दुर्गा पूजा का दूसरा दिन है जिसे महा षष्ठी भी कहते हैं। इस दिन बोधन संस्कार आयोजित किए जाते हैं। बोधन संस्कार के अनुसार, भक्तों के सामने देवी दुर्गा का चेहरा अनावरण करते हैं। इस दिन माँ दुर्गा औपचारिक रूप से अपने माता पिता के घर में प्रस्थान करती हैं।
- महा षष्ठी संस्कार चार चरणों में होता हैं :
- कलपरम्बा: यह पूजा का शुरूआती चरण है।
- बोधन: इस चरण में देवी दुर्गा को दुर्गा पूजा के दौरान पवित्र किया जाता है।
- आमंत्रण: इस चरण में देवी दुर्गा को पृथ्वी पर आमंत्रित किया जाता है।
- अधिवास: दुर्गा माँ की मूर्तियों को पवित्र किया जाता है और देवी की मूर्तियों को अलग-अलग पंडालों में सजाया जाता है।
दुर्गा पूजा मंत्र
आगच्छा तवं महादेवी
स्थाने छत्र स्थिरा भव
यावता पूजां करिस्यामी त्वता तवं स्निधोभाव
श्री जगदम्बये दुर्गा देव्यै नमः दुर्गा देवी माँ वाहयामी, आवाहन अर्थये पुष्पांजलि समर्पयामि
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