गणपति विसर्जन के महा उत्सव के लिए हो जाइए तैयार क्योंकि कल (15 सितम्बर 2016) को गणेश जी जा रहे हैं अपने घर। क्या आप जानते हैं कि गणेशोत्सव क्यों मनाया जाता है? क्या आप यह जानते हैं कि आज के दिन भगवान विष्णु आपका जीवन खुशियों से भर सकते हैं? साथ ही, यह दिन अनंत चतुर्दशी के नाम से भी मनाया जाता है? जानिए हमारे साथ सब कुछ!
हर साल, गणेश विसर्जन व् अनंत चतुर्दशी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाए जाते हैं। चलिए अब इस दिवस के बारे में गहराई से जाना जाए।
गणेश विसर्जन 2016 उत्सव
गणेश विसर्जन बहुत ही बड़े पैमाने पर मनाया जाता है, खासकर महाराष्ट्र में। परन्तु अब यह उत्सव दुनिया भर में प्रचलित हो गया है। इस दिन की महिमा इतनी निराली है कि हर कोई गणेशोत्सव का हिस्सा बनना चाहता है। भूमंडलीकरण के दौर में मोबाइल एप्लीकेशन्स आपको इस दिन का अच्छा ब्यौरा दे सकती हैं। यदि आप हैलीकॉप्टर का खर्चा उठा सकते हैं, तो गणेश विसर्जन का लुत्फ़ आसमान से उठाना इस साल बहुत ट्रेंड में है। अंग्रेज़ी में इसे ‘बर्ड्स आई व्यू’ भी कहा जाता है।
आज के उत्साहजनक दिन में जब हर कोई त्यौहार की तैयारियों में व्यस्त होगा तब अनेकों बढ़िया कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए जाएंगे जैसे संगीत कार्यक्रम, नृत्यकला, और भी बहुत कुछ। यहाँ तक कि बड़े-बड़े सितारे भी अपनी दुनिया की चकाचौंध से निकलकर इस कार्यक्रम का हिस्सा बनते हैं। हर कोई भगवान गणेश का सबसे बड़ा भक्त बनना चाहता है। क्यों?
क्योंकि गणपति सबसे दयालु देवता हैं, जिनके अंदर संसार की सभी शक्तियाँ व् सुख-भोग विराजमान हैं। आखिर कौन उनका चहेता नहीं बनना चाहेगा?
इन सभी अच्छी चीज़ों के बीच एक ऐसी बात है जो हम सबके लिए बहुत अच्छी नहीं है। वो है प्रदूषण। इसमें ध्यान देने योग्य सबसे ज़रूरी चीज़ है गणेश जी की मूर्ती। पुराने ज़माने में मूर्तियाँ मिट्टी से बनाई जाती थीं, पर अब वह प्लास्टर ऑफ पैरिस से बनाई जाती हैं। यह नए ज़माने की मूर्तियाँ जिस भी जलिय स्थान में प्रवाहित की जाती हैं उसे प्रदूषित कर देती हैं। इसलिए सबसे अच्छा है मिट्टी की मूर्ती से पूजा करना।
अनंत चतुर्दशी की महत्ता
आज ही के दिन कुछ लोग अनंत चतुर्दशी भी मनाते हैं, इसीलिए गणेश विसर्जन और चतुर्दशी को एक सामान प्राथमिकता दी जाती है। अनंत चतुर्दशी जैन समाज के लिए बहुत ही बड़ा त्यौहार है। दूसरी ओर, हिन्दुओं में भी इस दिन की अपनी मान्यता है। जब आधा हिन्दुस्तान गणेश जी को अलविदा कर रहा होता है, तब दूसरी तरफ विष्णु भक्त अपने भगवान की पूजा में व्यस्त होते हैं। भगवान विष्णु को अनंत नाम से भी जाना जाता है। इसीलिए इस दिन को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है।
आज के दिन विष्णु भक्त अपने भगवान को 14 साल की सौगंध में बाँध देते हैं कि उनका जीवन अब अगले चौदह वर्ष तक सुख-समृद्धि से संपन्न रहेगा। आज ही के दिन अनंत देव की पवित्र डोर हाथ में बाँधी जाती है। यह डोर या तो चौदह गांठों के साथ होती है या फिर चौदह अलग-अलग धागों की बानी होती है। आमतौर पर यह डोर पीले रंग की होती है। 14 गांठें या 14 धागे 14 साल की शपथ का प्रतीक हैं। इसे कंकण या फिर बाजूबंद की तरह भी बाँधा जा सकता है। चलिए अब जानते हैं कि इस डोर को पहनने का तरीका क्या है?
पवित्र धागे को कैसे पहनें?
- सबसे पहले धागे को भगवान विष्णु को पहना कर पवित्र कर लें।
- फिर कुछ मंत्र पढ़े जाते हैं।
- उसके पश्चात डोरी पर कुमकुम लगाया जाता है और इसे अनंत धर्म कहा जाता है।
- बाद में अनंत देव की पूजा कर पुरुष इस पवित्र डोर को अपने सीधे हाथ में बांधते हैं और महिलाएँ उलटे हाथ में।
पवित्र धागे के शारीरिक लाभ
माना जाता है कि 14 गांठें या फिर 14 धागे हमारे शरीर में उपस्थित 14 गांठों को दर्शाती हैं। यह 14 गांठें एक दुसरे से चेतना शक्ति द्वारा जुड़ी रहती हैं। मान्यता के अनुसार यह पवित्र डोर हमारी चेतना शक्ति को बढ़ा देती है। इससे हमारे शरीर की गति बढ़ जाती है, जिससे हमें जीवन शक्ति मिलती है।
यमुना व् शेषनाग की पूजा-विधि
आज के दिन यमुना व् शेषनाग की भी पूजा की जाती है। देवी यमुना की पूजा विधि नीचे दी गई है:
- देवी यमुना की मूर्ती को पंचामृत (दहि, शहद, जल, दूध, एवं घी) से स्नान कराएँ।
- उसके पश्चात मूर्ती को उसकी जगह पर रख दिया जाता है।
- फिर हल्दी व् सिन्दूर का टीका लगाया जाता है।
- चावलों को कलश में भरा जाता है और देवी की अंग पूजा की जाती है।
- आखिर में आरती गाई जाती है और दिया व् धूप जलाई जाती है।
अब जानते हैं शेषनाग की पूजा-विधि:
- मूर्ती को नहलाएँ और उसके स्थान पर रख दें।
- फिर अंग पूजा व् नाम पूजा करें।
- उसके पश्चात शेषनाग के सात सिरों की पूजा की जाती है।
- आखिर में आरती गा कर व दिया-धूप जला कर पूजा से उठा जाता है।
अनंत चतुर्दशी के भोग व्यंजन
आज के पावन पर्व पर बहुत से व्यंजन बनाए जाते हैं, जैसे:
- मीठे कद्दू के पुए
- मीठे पुए
- पंचामृत
क्यों है यह सबसे ख़ास दिन?
आज का दिन बहुत ही शुभ एवं ख़ास है क्योंकि यह बहुत से मार्ग देता है आपके जीवन को और भी सुखद बनाने के लिए।
यदि हम निष्कर्ष निकालें तो नीचे दी गई चीज़ें बनाती हैं इस दिन को सबसे शुभ:
- गणेश विसर्जन
- विष्णु पूजा
- पवित्र धागा बाँधा जाता है
- शेषनाग एवं यमुना देवी की पूजा
इस छोटे से लेख के साथ हम उम्मीद करते हैं कि आप भगवान गणेश एवं विष्णु की अपार महिमा के भागी बनेंगे। इश्वर में श्रद्धा बनाए रखें और अपना जीवन धन्य करें।
एस्ट्रोसेज की तरफ से आपको आज के शुभ पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
आज के पर्व!
आज पंचक आरम्भ हो रहा है। इनके बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें: पंचक 2016
आज केरल में थिरुवोणम का महापर्व मनाया जाएगा। यह खूबसूरत त्यौहार पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रहा है। क्या आप जानना चाहते हैं क्यों? यहाँ क्लिक करें: ओणम 2016
आपका दिन शुभ रहे!
|
No comments:
Post a Comment