नवरात्री तृतीया आज - मुहूर्त एवं पूजा-विधि

शरद नवरात्री का तीसरा दिन, 27 सितम्बर 2014, उस देवी के लिए जाना जाता है जो सुनहरी हैं और जिनके सर पर आधा चाँद विराजमान है। वह आती हैं शक्तिरूपा शेरनी पर विराजमान होकर। क्या आप जानते हैं कि वे आपको समस्त संसार की शक्तियों से विभूषित कर सकती हैं?


नवरात्री का तीसरा दिन देवी चंद्रघंटा को समर्पित है। इनको माता पार्वती का विवाहित रूप माना जाता है। भोलेनाथ से विवाह के पश्चात इन्होंने अपने माथे पर अर्ध-चन्द्र धारण कर लिया था, जो एक घंटे की तरह विराजमान हो गया। इसी कारण से इनको ‘चंद्रघंटा’ नाम दिया गया। 


मान्यताओं के अनुसार देवी चंद्रघंटा शुक्र ग्रह को दर्शाती हैं। इनके दस हाथ हैं। सीधे हाथ के चार हाथों में त्रिशूल, गदा, तलवार, एवं कमंडल हैं। पांचवा हाथ वरद मुद्रा में रहता है। बाईं ओर के चार हाथों में कमल का फूल, तीर, कमान, एवं जप की माला है। पांचवा हाथ अभया मुद्रा में रहता है। 

देवी चंद्रघंटा माता पार्वती का वो रूप हैं जिसमें वह युद्ध के लिए तैयार रहती हैं। मान्यताओं के अनुसार माता के माथे पर लगा अर्ध चन्द्र सभी बुरी शक्तियों को दूर कर वातावरण को पवित्र बनाता है। 

शरद नवरात्री 2014: तीसरे दिन का पंचांग 


(नीचे दिया गया पंचांग नई दिल्ली के अनुसार है।)
  1. आज सूर्योदय का समय है 06:11 am और सूर्यास्त होगा 06:12 pm पर। 
  2. चंद्रोदय का समय है 08:44 am और चन्द्रास्त होगा 08:09 pm पर। 
  3. तृतीया तिथि है (03:27 pm), अश्विन माह, शुक्ल पक्ष, एवं स्वाति नक्षत्र है। 
  4. राहुकाल शुरू हो रहा है 09:13 am पर और खत्म हो रहा है 10:42 am पर। 
  5. अभिजीत मुहूर्त का समय है 11:48 am से 12:35 pm। 
  6. अमृत काल शुरू होगा 01:25 pm पर और खत्म होगा 03:06 pm पर। 
  7. पूजा मुहूर्त: 07:41 am से 09:12 am

देवी चंद्रघंटा की पूजा-विधि 


देवी चंद्रघंटा के लिए की जाने वाली पूजन विधि नवरात्री के बाकी सभी शुभ दिनों के समान होती है। अंतर सिर्फ मन्त्रों का होता है। देवी चंद्रघंटा की पूजा के लिए नीचे दिए गए मन्त्रों का उच्चारण करें:

ध्यान मंत्र 

पिण्डज प्रवरारुढ़ा चण्डकोपास्त्र कैर्युता | 
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्र घंष्टेति विश्रुता ||

स्तुति 

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

देवी चंद्रघंटा की पूजा करने से आप ब्रह्माण्ड की समस्त शक्तियों को महसूस कर पाएँगे। माँ चंद्रघंटा जीवन की सभी परिस्थितयों का सामना करने के लिए अपने बच्चों को साहस देती हैं। आइए हम सब उस अनंत माँ के समक्ष अपना शीश झुकाएँ। 

उम्मीद करते हैं कि इस छोटे से लेख के माध्यम से आप अपने भविष्य को और भी सुखमय बना पाएँगे। आपके विचार हमारे लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं। कृपया हमें और भी बेहतर होने में मदद करें और हमारे प्रयासों का पूरा फ़ायदा उठाकर हमारी मेहनत को सफल बनाएँ। 

माँ देवी चंद्रघंटा अपनी अपार कृपा आप पर बरसाएँ!


आज का पर्व!

शरद नवरात्री का तीसरा दिन ‘सिन्दूर तृतीया’ के नाम से भी जाना जाता है।

जैसा की आज 27 सितम्बर 2014 है, आज का दिन ‘अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन दिवस के नाम से भी जाना जाता है।

आपका दिन मंगलमय हो!

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